कोरोना का भय दिखाकर मोदी सरकार ने रेल को रसातल में पहुंचाया, किराये में दोगुनी वृद्धि की तैयारी

भारतीय रेलवे ने 100 रुट्स पर करीब 150 प्राइवेट ट्रेन चलाने का खाका तैयार किया है। इसमें मुंबई-दिल्ली, चेन्नई-दिल्ली, नई दिल्ली-हावड़ा, शालीमार-पुणे, नई दिल्ली-पटना जैसे रुट्स शामिल हैं। प्रत्येक ट्रेन में न्यूनतम 15 कोच होंगे। इन ट्रेनों की अधिकतम स्पीड 160 किमी प्रति घंटा है।

Update: 2021-02-23 11:58 GMT

वरिष्ठ पत्रकार दिनकर कुमार का विश्लेषण

आपदा पैदाकर अपने कारपोरेट आकाओं को तमाम राष्ट्रीय संपत्ति बेचने के मिशन को सफल बनाने में जी जान से जुटी मोदी सरकार ने भारतीय रेल को रसातल में पहुंचा दिया है। कोरोना के बहाने लॉकडाउन लागू करते हुए देश भर में रेल का परिचालन बंद करने के पीछे आम लोगों को बीमारी से बचाने का मकसद नहीं था, बल्कि इस तरह का आतंक फैलाकर मोदी सरकार रेल को अंबानी-अदानी के हवाले करने की साजिश को अंजाम देना चाहती थी। इसके साथ ही आम लोगों की जेब काटने की स्कीम को लागू करना चाहती थी। लगभग एक साल से रेल का सामान्य संचालन संभव नहीं हुआ है। लेकिन इस दौरान सारे नियम बदल दिये गए हैं और आम लोगों को निचोड़ने की पूरी तैयारी कर ली गई है।

रेलवे को बेचने का काम विरोध के बगैर करने के लिए हजारों रेलगाड़ियों का परिचालन बंद कर दिया गया और चंद रेलगाड़ियों को स्पेशल का नाम देकर चलाते हुए आम लोगों की जेब काटने का सिलसिला शुरू किया गया। ऐसी स्पेशल ट्रेन में न्यूनतम किराया पांच सौ रूपये है। हर तरह की रियायतों को समाप्त कर दिया गया है। पूंजीपतियों को रेल बेचने के चक्कर में मोदी सरकार ने करोड़ों गरीबों के परिवहन के साधन को ही खत्म करने का निश्चय कर लिया है। कोई और देश होता तो ऐसी साजिश के खिलाफ जनता अब तक सड़क पर उतर गई होती, लेकिन साल भर से हजारों ट्रेनों का परिचालन ठप होने पर भी कोरोना का आतंक फैलाकर मोदी सरकार ने इस मुद्दे को चर्चा से ही गायब कर रखा है।

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट भाषण में टूरिस्ट प्लेस को जोड़ने के लिए प्राइवेट ट्रेन का एक सर्किट बनाने का ऐलान किया है। इसके तहत इस सर्किट पर प्राइवेट ट्रेन तेजस एक्सप्रेस चलाया जाएगा। इसके लिए रेवले ने देशभर के 100 रुट्स का चुनाव किया है। भारतीय रेलवे ने लोकल और ग्लोबल स्तर की प्राइवेट कंपनी का स्वागत किया है।

प्राइवेट ट्रेन चलाने में घरेलू कंपनियां टाटा रिएल्टी एडं इंफ्रास्ट्रक्चर, हिटाची इंडिया और साउथ एशिया, एस्सेल ग्रुप, अडानी पोर्ट और एसईजेड ने इंटरेस्ट दिखाया। वहीं ग्लोबल प्लेयर हुंडई, मारक्यूअर जैसी कंपनियां भी प्राइवेट ट्रेन चलाने में अपनी रुचि दिखा रही हैं। भारतीय रेलवे ने 100 रुट्स पर करीब 150 प्राइवेट ट्रेन चलाने का खाका तैयार किया है।

इसमें मुंबई-दिल्ली, चेन्नई-दिल्ली, नई दिल्ली-हावड़ा, शालीमार-पुणे, नई दिल्ली-पटना जैसे रुट्स शामिल हैं। प्रत्येक ट्रेन में न्यूनतम 15 कोच होंगे। इन ट्रेनों की अधिकतम स्पीड 160 किमी प्रति घंटा है।

कोरोनाकाल में 24 मार्च 2020 को सभी यात्री गाड़ियों का संचालन रेलवे बोर्ड ने बंद कर दिया था। जून के बाद कुछ गाड़ियों को दोबारा चालू किया गया लेकिन इनको स्पेशल ट्रेनों की केटेगरी के तहत चलाया जा रहा है। इन स्पेशल गाड़ियों का समय, उनके डिब्बों की संख्या एवं सुविधाएं और स्टेशन सामान्य एक्सप्रेस और मेल गाड़ियों के समान बताए गए हैं फिर भी किराया डेढ़ से दोगुना वसूला जा रहा है।

कोरोना काल से पूर्व केरल एक्सप्रेस में ग्वालियर से भोपाल का एसी 2 का किराया 850 रुपए था जो बढ़कर अब 1017 रुपए हो गया है। वहीं छत्तीसगढ़ एक्सप्रेस में रायपुर और नागपुर के बीच एसी 3 का किराया 450 रुपए से बढ़कर 999 रुपए हो गया है और राजधानी में बिलासपुर से भोपाल के बीच एसी 3 का किराया 1350 रुपए से 1869 रुपए कर दिया गया है।

केंद्र सरकार द्वारा आपदा प्रबंधन अधिनियम 2005 के अंतर्गत अक्टूबर 2020 में जारी अनलॉक 4-5 के गाइडलाइन में कहा गया था कि रेल यात्रा फ्री रहेगी लेकिन बेतहाशा किराया वृद्धि से सरकार के करनी और कथनी में काफी अंतर दिख रहा है। राजधानी एक्सप्रेस जैसी ट्रेनों में भोजन का चार्ज भी वसूला जा रहा है लेकिन खाना उपलब्ध नहीं कराया जाता। बल्कि अनाधिकृत वेंडरों को खाद्य सामाग्री बेचने की अनुमति दी जा रही है जो कोरोना प्रोटोकॉल के विरुद्ध है।

दिल्ली, पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र और बिहार जैसे राज्यों में मेट्रो एवं कई लोकल और पैसेंजर ट्रेन चल रही हैं लेकिन छत्तीसगढ़ में जहां आम आदमी स्पेशल ट्रेन का किराया वहन कर पाने में सक्षम नहीं है वहां कोई लोकल और पैसेंजर गाड़ी बहाल नहीं की गई है। यानी राज्यों के साथ भेदभाव भी किया जा रहा है।

कोरोनाकाल में 1 जुलाई, 2020 को रेल मंत्रालय ने घोषणा की कि 109 जोड़ी मार्गों में 151 ट्रेनें निजी क्षेत्रों द्वारा संचालित की जाएंगी। निजी क्षेत्र 30,000 करोड़ रुपये का निवेश करेगा। केवल चालक और गार्ड रेलवे कर्मचारी होंगे; अन्य सभी कर्मचारी निजी कंपनी के होंगे, जो ट्रेन का संचालन कर रहे हैं। निजी कंपनियां अपनी पसंद के किसी भी स्रोत से ट्रेन और लोकोमोटिव की खरीद के लिए स्वतंत्र हैं।

यदि ऐसा है, तो रेलवे उत्पादन इकाइयों का क्या होगा? निजी ट्रेन का परिचालन अप्रैल 2023 तक शुरू हो जाएगा। एक बार निजी संस्थाएं निजी एयरलाइंस की तरह ही ट्रेनों का संचालन शुरू कर देंगी, निजी ट्रेन में यात्रा करने वाले लोगों को पसंदीदा सीटों, अतिरिक्त सामान और ऑन-बोर्ड सेवाओं आदि के लिए भुगतान करना होगा। निजी ट्रेन ऑपरेटरों को यात्रियों से मनमाना किराया वसूलने की स्वतंत्रता दी गई है।

घोषणा के तुरंत बाद हमेशा की तरह 'भक्तों' ने यह कहकर सरकार के फैसले का स्वागत करना शुरू कर दिया कि "निजी गाड़ियों का किराया प्रतिस्पर्धी होगा, निजी कंपनियों का परिचय यह सुनिश्चित करेगा कि ट्रेनें माँग पर उपलब्ध हों और निजी कंपनी समय की पाबंदी सुनिश्चित करेगी।"

दुर्भाग्य से, हमारे देश में मीडिया की मुख्यधारा बिना किसी डर के सच बोलने के बजाय वर्तमान सरकार के ढोल पीटने वालों में शामिल हो गई है। सरकार कॉर्पोरेट क्षेत्र के हितों के प्रति अपनी वफादारी साबित कर रही है और आम लोगों के हित हमेशा की तरह दफन हो रहे हैं।

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