मनमानी करने के लिए कोरोना टेस्टिंग को कंट्रोल कर रही है मोदी सरकार
थायरोकेयर के प्रबंध निदेशक ने खुलासा करते हुए बताया कि कोरोना टेस्टिंग को अब सभी क्षेत्रों के लिए खोल दिया गया है, लेकिन सरकारें जिला स्तर पर प्राइवेट टेस्ट सेंटरों को नियंत्रित कर रही हैं, वेलमुनी ने कहा कि अब यह पहले से और भी ज्यादा हो रहा है....
वरिष्ठ पत्रकार दिनकर कुमार का विश्लेषण
यह कैसी महामारी है जो चुनाव के समय गायब हो जाती है और चुनाव सम्पन्न होते ही भयंकर रूप धारण कर लेती है? कोरोना के रूप में दुनिया भर के निरंकुश शासकों को एक ब्रह्मास्त्र मिल गया है जिसका इस्तेमाल वे नागरिकों के मौलिक अधिकारों का हनन करने, विरोध को कुचलने और सार्वजनिक सम्पत्तियों को लूटने के लिए कर रहे हैं। हर मोर्चे पर नाकाम रही मोदी सरकार भी फर्जी राष्ट्रवाद के एजेंडे को लागू करते हुए कोरोना नामक आपदा को अवसर में बदलते हुए राष्ट्रीय सम्पत्तियों को बेच रही है और कोरोना का आतंक फैलाकर नागरिकों को बंदी की तरह जीने के लिए मजबूर कर रही है। जैसे ही बिहार में चुनाव सम्पन्न हो गया नए सिरे से कोरोना का आतंक फैलाने का काम भाजपा की बी टीम आम आदमी पार्टी के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने शुरू कर दिया है। सरकार की इस मुहिम में अदालतें भी बराबर की भागीदार नजर आती हैं जो मास्क नहीं लगाने पर दो हजार वसूलने का फरमान जारी कर रही हैं।
चुनाव के समय कोरोना मानो अवकाश पर चला गया था। राजनीतिक पार्टियों की बैठकें हो या चुनावी सभाएं, सभी में कोरोना गाइडलाइन की धज्जियां उड़ाई जा रही थी। बीते दिनों भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे पी नड्डा ने गया में चुनावी सभा की और वहां कोरोना गाइडलाइन हवा हो गई। राजनीतिक पार्टियों के कार्यालयों में टिकट की मारामारी और विरोध प्रदर्शनों के दौरान कोरोना की दूरी और मास्क का नामोनिशान नहीं था।
चुनावी दौर में कोरोना के प्रति लापरवाही का यह हाल सिर्फ कार्यकर्ताओं और छोटे नेताओं में ही नहीं दिख रहा था, बल्कि बड़े नेताओं ने भी हद कर दी। नामांकन से लेकर चुनावी सभाओं और पार्टी की बैठकों में जा रहे बड़े नेता कई जगहों पर बिना मास्क के ही दिखाई पड़े। यही वजह है कि बड़े नेताओं की देखादेखी छोटे नेता भी ऐसा ही करते रहे।
बिना मास्क के पार्टी कार्यालय में घूमते कुछ नेताओं से जब मीडिया ने बात की तो उनका कहना था कोरोना अब नहीं है, अब तो बस कोरोना की हवा बची है जो हल्का असर करती है, फिर इतनी चिंता क्यों करनी।
देश में कोरोना वायरस संक्रमितों की संख्या और जांच को लेकर लगातार हो रहे बड़े-बड़े सरकारी दावों के बीच देश के सबसे बड़े निजी टेस्ट लैब्स में से एक थायरोकेयर के प्रबंध निदेशक ए वेलुमनी ने पिछले दिनों कोरोना जांच में बड़ी हेराफेरी का आरोप लगाया। वेलुमनी ने आरोप लगाया कि कई जिलों में सरकार के अधिकारी कोरोना वायरस टेस्ट की प्रक्रिया को सीधे तौर पर नियंत्रित करने की कोशिश कर रहे हैं, ताकि वे अपने जिले की बेहतर छवि पेश कर सकें।
थायरोकेयर के प्रबंध निदेशक ने खुलासा करते हुए बताया कि कोरोना टेस्टिंग को अब सभी क्षेत्रों के लिए खोल दिया गया है, लेकिन सरकारें जिला स्तर पर प्राइवेट टेस्ट सेंटरों को नियंत्रित कर रही हैं। वेलमुनी ने कहा कि अब यह पहले से और भी ज्यादा हो रहा है। उन्होंने दावा किया कि हमें अलग-अलग राज्यों के कई जिलों में सैंपल्स न उठाने के लिए दबाव बनाया जा रहा है और ये दावा किया जा रहा है कि लैब झूठे पॉजिटिव केस रिपोर्ट कर रहे हैं।
थायरोकेयर के प्रबंध निदेशक ने बताया कि "हर रोज कम से कम 100 जिलों में दो हजार तक सैंपल्स कम कर दिए जाते हैं। इसकी वजह है कि कुछ जिले अपने यहां ज्यादा पॉजिटिविटी केस नहीं दिखाना चाहते। वे अपना स्कोरकार्ड बेहतर दिखाना चाहते हैं।" वेलुमनी ने दावा किया कि थायरोकेयर के लैब्स जितने जिलों में सैंपल्स लेते हैं, उनमें से 30 फीसदी में यह समस्या आ रही है। स्टाफ को मौखिक तौर पर टेस्टिंग सीमित करने के लिए कहा जा रहा है। हालांकि, उन्होंने उन जिलों का नाम लेने से इनकार कर दिया।
इसी तरह का आरोप एक अन्य प्रतिष्ठित टेस्टिंग लैब के अधिकारी ने भी लगाया है। अधिकारी ने कहा कि वे भी वेलुमनी द्वारा उठाए गए मुद्दों पर परेशानी झेल रहे हैं। अधिकारी ने कहा कि महाराष्ट्र और गुजरात के कुछ जिले इसी तरह की कोशिशों में जुटे हैं। इस वजह से उनका लैब अपनी पूरी क्षमता के साथ टेस्टिंग में शामिल नहीं हो पा रहा है। बता दें कि थायरोकेयर लैब देश के पांच सबसे बड़े टेस्टिंग सेंटर्स में से एक है। थायरोकेयर लैब के सेंटर्स महाराष्ट्र, कर्नाटक, तमिलनाडु, बिहार, पश्चिम बंगाल, जम्मू-कश्मीर, झारखंड, उत्तर प्रदेश, दिल्ली और उत्तराखंड में कोरोना जांच के लिए सैंपल्स इकट्ठा करने के काम में लगे हैं।
कोरोना टेस्टिंग एक ऐसा हथियार है जिसका इस्तेमाल कर मोदी सरकार जब चाहे रोगियों के आंकड़े को आसमान तक पहुंचा सकती है या टेस्टिंग को ही बंद कर हालात को सामान्य घोषित कर सकती है। निजी फायदे के लिए जन स्वास्थ्य से खिलवाड़ करने वाली ऐसी सरकार कोरोना को गंभीरता से नहीं लेती। वह आम नागरिकों के जेहन में भय को जिंदा रखना चाहती है। दूसरी तरफ लोकतंत्र को कुचलने के लिए वह अपनी राह की रुकावटों को इसी बहाने दूर कर देना चाहती है। भले ही अर्थव्यवस्था रसातल में पहुंच चुकी है, करोड़ों लोग बेरोजगार हो गए हैं और मंहगाई से आम लोग त्राहि-त्राहि कर रहे हैं, मोदी सरकार को तो हिन्दू राष्ट्र बनाना है और धर्मांधता का जहर फैलाकर शासन करना है।