मोदीराज में किसानों और जवानों की जिंदगी हो गई है बर्बाद, बोलना बंद करता तो मैं भी बन जाता उपराष्ट्रपति : सत्यपाल मलिक फिर अपनी ही सरकार पर हुए हमलावर

Satyapal Malik : राज्यपाल सत्यपाल मलिक के तेवरों से लगता है कि अपने कार्यकाल के समाप्त होने के बाद वो किसानों के हक़ों, न्यूनतम समर्थन मूल्य कानून को लेकर एक नए आंदोलन को देश में फिर से खड़ा करने के सन्देश साफ़ तौर पर दे रहे हैं....

Update: 2022-09-12 07:48 GMT

वरिष्ठ पत्रकार जगदीप सिंह सिंधु की टिप्पणी

Satyapal Malik : 9 सितंबर को रोहतक के नांदल भवन में कई खापों द्वारा आयोजित शिक्षा सम्मान समारोह बोलते हुए एक बार फिर मेघालय के राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने अपनी ही पार्टी की केन्द्रीय सरकार पर निशाना साधा है। राज्यपाल ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यकाल में किसानों और जवानों की जिंदगी बर्बाद हुई है।

9 सितंबर के बाद एक बार फिर शनिवार 10 सितंबर को उन्होंने एक अजीबोगरीब बयान देकर सियासी सरगर्मियां बढ़ा दी हैं। शनिवार को उन्होंने दावा किया कि उन्‍हें संकेत दिया गया था, अगर वह केंद्र में सत्तासीन मोदी सरकार के खिलाफ बोलना बंद कर दें तो उन्हें उपराष्‍ट्रपति बना दिया जाएगा। वहीं जगदीप धनखड़ को उपराष्‍ट्रपति बनाए जाने पर मलिक कहते हैं, धनखड़ डिजर्विंग उम्मीदवार थे, उपराष्‍ट्रपति बनाने ही चाहिए थे। मेरा कहना इसमें ठीक नहीं है, लेकिन मुझे इशारे मिल रहे थे कि अगर आप सरकार के खिलाफ नहीं बोलोगे तो आपको उपराष्‍ट्रपति बना देंगे। मैं यह नहीं कर सकता, जो महसूस करता हूं वह जरूर बोलता हूं।'

वहीं राहुल गांधी की यात्रा के बारे में सत्यपाल मलिक ने कमेंट किया, 'राहुल अपनी पार्टी के लिए काम कर रहे हैं अच्‍छी बात हैं नौजवान आदमी हैं, पैदल तो चल रहे हैं। अब तो नेता यह सब काम तो करते ही नहीं हैं। भाजरत जोड़ों यात्रा का क्‍या संदेश जाएगा, मुझे नहीं पता। यह तो जनता बताएगी कि क्‍या संदेश गया, लेकिन मुझे यह लगा कि ठीक काम कर रहे हैं।'

गौरतलब है कि राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने 2004 में भाजपा का दामन थामा था। मूल रूप से समाजवादी वैचारिक पृष्ठभूमि से आये सत्यपाल मलिक ने उत्तर प्रदेश से अपना राजनीतिक सफर शुरू किया था। 1946 में बागपत के हिस्वाडा गांव में गरीब किसान परिवार में जन्मे सत्यपाल मलिक ने मेरठ कॉलेज में कानून की पढ़ाई की और छात्र राजनीति में उतरे। 1974 में चौधरी चरण सिंह के भारतीय क्रांति दल से बागपत से पहला चुनाव उतर प्रदेश विधानसभा का लड़ा और 1977 तक उतर प्रदेश विधानसभा में विधायक रहे। एक लम्बे राजनीतिक अनुभव के साथ राज्यपाल सत्यपल मलिक ने भारतीय राजनीति के कई उतार चढ़ाव देखे हैं।

सत्यपाल मलिक कहते हैं, 'किसानों को एक और संघर्ष के लिए फिर से तैयार रहना होगा न्यूनतम समर्थन मूल्य के कानून की मांग को केंद्र सरकार मनवाने के लिए बड़ी लड़ाई लड़नी होगी। ये लड़ाई अब कभी भी शुरू हो सकती है, क्योंकि केंद्र सरकार की नियत मुझे ठीक नहीं लगती है। किसानों के हक़ की इस आंदोलन में मैं राज्यपाल के अपने पद से त्यागपत्र देकर कूद जाऊंगा।'

2014 के लोकसभा चुनाव के लिए भाजपा के चुनावी घोषणापत्र में सम्मिलित 'किसान नीति' को सत्यपाल मालिक ने ही तैयार किया किया था, जिसको आधार बना कर भाजपा किसानों को अपने पक्ष में लुभाने में सफल हुयी।

सत्यपाल मलिक राजनीति में अपने बेबाक वक्तव्यों के लिए भी जाने जाते हैं। सभा को सम्बोधित करते हुए सत्यपाल मालिक ने कहा कि मुझे किसी का खौफ नहीं, जो सही होगा बोलता रहूंगा। जब मैं जम्मू कश्मीर का राज्यपाल बन के गया तो मुझे बताया गया कि किसी प्रोजेक्ट की फाइल जोकि देश के बड़े उद्योगपति अंबानी की है, को पास करने की लिए 300 करोड़ तक मिल सकते हैं, लेकिन मैंने मना दिया और उस को नियमों के अनुसार रोक दिया। बढ़ते पूंजीवादी नियंत्रण के संदर्भ में सत्यपल मालिक ने कहा की प्रधानमंत्री के मित्र वर्तमान में फायदा उठा रहे हैं।

सत्यपाल मालिक ने कहा, मुझे कोई महत्वाकांक्षा नहीं, लेकिन पूरे भारत में किसानों की स्थिति और शोषण किये जाने को लेकर चिंतित हूँ, क्योंकि गांव व किसान परिवार से हूँ, इसलिये किसानों के हक़ों के मुद्दे उठता रहूँगा। किसान बिल पर चुप रहने के एवज में मुझे उराष्ट्रपति बनाने का आश्वासन भी दिया गया था।

मार्च 2022 में सत्यपाल मलिक ने हरियाणा के जींद जिले में खापों के एक समारोह में देश के किसान से आह्वान किया था कि अब अभी जातियों के किसानों को एक जुट होकर 2024 में अपनी सरकार बनानी चाहिए।

पहले कृषि क्षेत्र में सुधार के नाम पर 3 कानून जिनका पूरे भारत में किसानों द्वारा विरोध किया गया, फिर सेना में अग्निपथ योजना और नये बिजली संशोधन बिल जैसी नीतियों से क्षेत्रपति समाज को हाशिये पर धकेलने के लिए घोर पूंजीवादी ताकतें पूरी तरह से राजनीति का प्रयोग करने में लगी हुई है।

राज्यपाल सत्यपाल मलिक के तेवरों से लगता है कि अपने कार्यकाल के समाप्त होने के बाद वो किसानों के हक़ों, न्यूनतम समर्थन मूल्य कानून को लेकर एक नए आंदोलन को देश में फिर से खड़ा करने के सन्देश साफ़ तौर पर दे रहे हैं। सत्यपाल मलिक का बतौर राज्यपाल कार्यकाल 30 सितंबर2022 को पूरा होने वाला है।

देखना होगा कि क्या सत्यपाल मलिक भारत में क्षेत्रपति वर्ग के अग्रणी के रूप में सभी किसान जातियों को एकजुट करके किसानों की राजनीति को फिर से केंद्र में लाकर चौधरी चरण सिंह के लक्ष्य को साकार करने में कितना सफल होते हैं।

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