मोदी की गारंटी : आप भाजपा के साथ हैं तो बृजभूषण-अजय मिश्र टेनी-साध्वी प्रज्ञा ठाकुर समेत दर्जनों की तरह आपके सारे अपराध हो जायेंगे माफ
मोदी गारंटी यह थी कि आप उद्योगपति हैं, भाजपा को चुनवी बांड से चंदा देना चाहते हैं तो आपके द्वारा बैंकों से लिया गया कर्ज भी माफ किया जा सकता है और रिजर्व बैंक आफ इण्डिया आपका नाम भी उजागर नहीं करेगी। चुनावी बांड की जानकारी तो वैसे भी सूचना के अधिकार के दायरे से बाहर रखी गई थी...
संदीप पाण्डेय और आयुष बाजपेई की टिप्पणी
Modi's guarantee : आजकल एक नया जुमला सुनाई देने लगा है। मोदी की गारंटी। आखिर यह क्या चीज है? नरेन्द्र मोदी देश के प्रधानमंत्री हैं। प्रधान मंत्री सरकार चलाता है। सरकार चलाने के लिए एक देश का संविधान है। संविधान देश के नागरिकों को कुछ गारंटी देता है, तो क्या मोदी संविधान के अलावा कोई गारंटी देने की बात कर रहे हैं? या संविधान को नजरअंदाज कर कोई गारंटी दे रहे हैं?
एक तो मोदी सार्वजनिक रूप से कहते हैं कि किसी भी भ्रष्टाचारी को बख्शा नहीं जाएगा। कई नेताओं, उद्योगपतियों के घर प्रवर्तन निदेशालय के छापे तो पड़ते हैं, लेकिन वे सभी विपक्षी राजनीतिक दलों से जुड़े हुए व्यक्ति होते हैं। हाल ही में जब प्रवर्तन निदेशालय हेमंत सोरेन, अरविंद केजरीवाल, लालू यादव, तेजस्वी यादव, आदि को सूचना भेज रहा था, पूछताछ कर रहा था और हेमंत सोरेन की तो गिरफ्तारी भी हो गई, तो नीतीश कुमार ने पाला बदल कर भारतीय जनता पार्टी के साथ पुनः सरकार बना ली। कहीं ऐसा तो नहीं कि नीतीश को भी आशंका थी कि उनको भी किसी मामले में फंसाया जा सकता है? राजनीति का यह खुला सच है कि चुनाव आयोग द्वारा तय की गई सीमा से कई गुना ज्यादा पैसा उम्मीदवार चुनाव पर खर्च करते हैं। जो हिसाब किताब में नहीं दिखाया जा रहा है वह कालाधन है और भ्रष्टाचार से अर्जित किया गया है। इस खेल में सभी बड़े दल शामिल हैं।
किसान सम्मान निधि के तहत किसानों को खाते में दिए जाने वाले रु. 2,000 के अलावा चुनाव से पहले भाजपा भी मतदाताओं को पैसा बांटती है। भाजपा तो विपक्षी दलों की बनी-बनाई सरकारों को तोड़ने के लिए भी बहुत पैसा खर्च करती है। इसके लिए भी काले धन का ही इस्तेमाल होता है, मगर इसे भाजपा भ्रष्टाचार नहीं मानती। इसे वह अपनी राजनीतिक कुशलता मानती है। यानी मोदी गारंटी है कि यदि आप भाजपा के विरोध में रह कर भ्रष्टाचार करेंगे, तो प्रवर्तन निदेशालय आपके यहां छापा मार सकता है और यदि आप भाजपा के साथ हैं तो कोई आपको छुएगा नहीं।
चुनावी बांड से भाजपा सहित बड़े दल जो पैसा ले रहे थे, जिसकी जानकारी चुनाव आयोग को नहीं देनी होती थी, वह तो भ्रष्टाचार का नियमितीकरण है। मोदी गारंटी यह थी कि आप उद्योगपति हैं, भाजपा को चुनवी बांड से चंदा देना चाहते हैं तो आपके द्वारा बैंकों से लिया गया कर्ज भी माफ किया जा सकता है और रिजर्व बैंक आफ इण्डिया आपका नाम भी उजागर नहीं करेगी। चुनावी बांड की जानकारी तो वैसे भी सूचना के अधिकार के दायरे से बाहर रखी गई थी।
मोदी गारंटी यह है कि जो पूंजीपति भाजपा की मदद करेंगे उनकी दिन दूनी रात चौगुनी तरक्की होगी और उनको कोई सरकारी संस्थान परेशान भी नहीं करेगा। हाल ही में सर्वोच्च न्यायालय ने चुनावी बांड को असंवैधानिक ठहराया है, किंतु यह फैसला सुनाने में उसे छह साल लग गए, जबकि मोदी दोबारा प्रधानमंत्री बन गए और कितने ही राज्यों के चुनाव हो चुके हैं जिसमें भाजपा, जो चुनवी बांड की सबसे बड़ी लाभार्थी रही है, ने इससे मिले पैसों का इस्तेमाल कर लिया है और इस पैसे से विपक्षी दलों की सरकारें गिराकर अपनी या अपने गठबंधन की सरकारें बना लीं।
मोदी की गारंटी यह है कि यदि आप भाजपा की मर्जी के मुताबिक नहीं चल रहे और आपने कोई गलत काम किया, और यदि नहीं भी किया किंतु सरकार का विरोध किया हो तो आपका घर बुलडोजर से गिरा दिया जाएगा। यदि आप राजनेता हैं तो आपका राजनीतिक जीवन समाप्त कर दिया जाएगा ताकि आप फिर चुनाव जीत कर विधायक या सांसद न बन सकें। मोदी की यह भी गारंटी है कि यदि आप भाजपा के साथ हैं, और खासकर सवर्ण हैं, तो आपने कितना बड़ा ही अपराध क्यों न किया हो, जैसे बृज भूषण शरण सिंह, अजय मिश्र टेनी, साध्वी प्रज्ञा ठाकुर, बाबा राम रहीम या बिल्किस बानो के बलात्कारी, तो आपको सरंक्षण दिया जाएगा। बलात्कारियों को संस्कारी ब्राह्मण तक बताया गया है।
बिल्किस बानो के बलात्कारियों को भाजपा सरकार द्वारा सजा पूरी होने से पहले ही छोड़े जाने के बाद सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय से दोबारा जेल भेजा गया, किंतु अभी महीना पूरा भी नहीं हुआ और उनमें से एक पैरोल पर बाहर आ गया और दूसरे ने पैरोल के लिए आवेदन किया है। राम रहीम, जो गम्भीर अपराधों की सजा काट रहे हैं, भी अपनी मर्जी से जेल के बाहर आते रहते हैं। दूसरी तरफ भीमा कोरेगांव मामले में व दिल्ली दंगों के मामले में बंद लोग, जिनका मुकदमा अभी चल ही रहा है, को कोई जमानत नहीं मिलती।
1991 का एक कानून है उपासना स्थल अधिनियम। इसके अनुसार किसी भी धार्मिक स्थल के चरित्र में 15 अगस्त, 1947 के बाद कोई बदलाव सम्भव नहीं है। बाबरी मस्जिद को एक अपवाद के रूप में इससे बाहर रखा गया था। बाबरी मस्जिद ध्वंस के बाद न्यायालय की अनुमति से वहां मंदिर का उद्घाटन हो चुका है। लेकिन वाराणसी में ज्ञानवापी मस्जिद और मथुरा में शाही ईदगाह मस्जिद, जो क्रमशः काशी विश्वनाथ मंदिर व कष्ण जन्म भूमि मंदिर से सटी हुई हैं, में न्यायायल ने यह पता लगाने के लिए सर्वेक्षण का आदेश दे दिया कि क्या ये मस्जिदें मंदिर तोड़ कर बनाई गईं? वाराणसी में मस्जिद के तहखाने में न्यायालय ने पूजा की इजाजत भी दे दी। मोदी की यह गारंटी है कि जहां जहां भी मस्जिदें हैं और यदि शक हो कि वे मंदिर तोड़कर बनाई गईं हैं तो वे मामले पुनः खोले जा सकते हैं।
मोदी की यह गारंटी है कि यदि गौ-रक्षा के नाम पर हिन्दुत्वादी कार्यकर्ताओं ने किसी मुस्लिम या दलित के साथ हिंसा की हो, दिनदहाड़े उन बुद्धिजीवियों की गोली मार कर हत्या की गई हो जो हिन्दुत्वावादी विचारधारा का विरोध करते हैं, किसी दलित-मुस्लिम बस्ती में जाकर लोगों को उकसाने के इरादे से जुलूस निकाले गए हों, सार्वजनिक सभाओं में मुसलमानों के खिलाफ उकसाने वाले बयान दिए गए हों या भरी संसद में एक भाजपा सांसद दूसरे मुस्लिम सांसद को साम्प्रदायिक गाली देते हों, तो अपराध करने वाले को संरक्षण दिया जाएगा और यदि कोई हिन्दुत्वादी विचारधारा की जरा सी भी आलोचना कर दे, और न भी करे सिर्फ वह साम्प्रदायिक राजनीति के खिलाफ हो, तो उसके विरुद्ध दो समुदायों के बीच द्वेष फैलाने के जुर्म में मुकदमा लिख लिया जाएगा और हो सकता है जेल भी भेज दिया जाए।
मोदी की गारंटी है कि यदि कोई हिन्दुत्ववादी कार्यक्रम के लिए सड़क पर भी आयोजन करना हो तो खुली छूट मिलेगी। पूरा शासन-प्रशासन कार्यक्रम कराने में लग जाएगा जैसे राम मंदिर के उद्घाटन पर अधिकारियों को जिम्मेदारी दी गई कि वे जगह जगह राम कथा करवाएं, भारतीय वायुसेना के हेलीकाॅप्टर से अयोध्या में फूलों की वर्षा हुई, अयोध्या के एक सरकारी विश्वविद्यालय से दीपोत्सव पर 22 लाख दिए जलवाए गए, उत्तर प्रदेश सरकार के हेलीकाॅप्टर से पेशेवर कलाकारों को राम, सीता, लक्ष्मण बना कर अयोध्या में उतारा गया, किंतु यदि कोई अन्य संगठन कोई कार्यक्रम करना चाहे, और खासकर जो सरकार पर सवाल खड़ा करने वाला हो, तो उसे अनुमति नहीं मिलेगी।
(लेखक संदीप पाण्डेय सोशलिस्ट पार्टी (इण्डिया) के महासचिव हैं व आयुष बाजपेई नेशलन एकेडमी आफ लीगल स्टडीज़ एण्ड रिसर्च, हैदराबाद, में विधि के तीसरे वर्ष के छात्र हैं।)