Mukesh Ambani : अंबानी का इरादा लंदन में बसने का नहीं लेकिन असल बात ज्यादा जरूरी

Mukesh Ambani : लन्दन बैंक क़र्ज़ न लौटने वाले माल्या और नीरव मोदी, सट्टेबाज ललित मोदी की शरण स्थली रही है। अम्बानी वाकई लन्दन जाएंगे या नहीं इसके बारे में भी अभी निश्चित कुछ कहा नहीं जा सकता।

Update: 2021-11-06 15:00 GMT

टॉप-10 अमीरों में हुआ मुकेश अंबानी का नाम दर्ज, अडानी से बस इतना पीछे

रवींद्र गोयल का विश्लेषण

Mukesh Ambani। जब दुनिया के सबसे धनी द्वय (अमेजन कंपनी के मालिक जेफ्फ बेजोस और इलेक्ट्रिक कार कंपनी टेस्ला के मालिक एलोन मुस्क) दुसरे गृह पर अपनी कुटी बनाने के लिए जमीन देख रहे है, कुछ सूत्र कह रहे हैं कि हमारे अपने मुकेश भाई अम्बानी (Mukesh Ambani) ने भी लन्दन में एक कुटिया खरीद ली है। उनके इस घर में 49 बेडरूम हैं। 300 एकड़ जमीन पर बने इस घर को अंबानी ने 592 करोड़ रुपए में खरीदा है। और लन्दन में बसने के लिए भारतीयों (Indians) को ग्रीन वीजा के लिए 18 करोड़ रुपए का भी निवेश करना पड़ता है।

अम्बानी परिवार ने हिन्दू संस्कृति (Hindu Culture) के प्रेम और लगाव की वजह से अपने लन्दन वाले नये मकान पर एक मंदिर भी बनवाया है। मंदिर का डिज़ाइन उनके मुंबई स्थित घर और उनकी रिलायंस कंपनी (Reliance Company) के विभिन्न भारतीय कार्यालयों के समान है। गणेश, राधा-कृष्ण और हनुमान की संगमरमर की मूर्तियां राजस्थान के एक मूर्तिकार से ली गई हैं। मुंबई से दो पुजारियों को भी ले जाने की उम्मीद जताई जा रही है।

इस दीवाली वो और उनका परिवार वहीं थे और जानकार सूत्र कह रहें हैं कि भविष्य में ज्यादातर समय वो लोग लन्दन में ही रहेंगे। लेकिन आज (6 नवम्बर ) के कुछ अख़बारों में रिलायंस इंडस्ट्रीज का स्पष्टीकरण छपा है जिसमें कहा गया है कि वहां बसने का अम्बानी परिवार का कोई इरादा नहीं है। लन्दन में संपत्ति खरीदने का वास्तविक उद्देश्य वहां एक प्रमुख गोल्फ़िंग और स्पोर्टिंग रिज़ॉर्ट विकसित करना है।रिलायंस ने कहा कि इस संपत्ति के अधिग्रहण से समूह के तेजी से बढ़ते उपभोक्ता कारोबार में इजाफा होगा।"साथ ही, यह विश्व स्तर पर भारत के प्रसिद्ध आतिथ्य उद्योग के पदचिह्न का भी विस्तार करेगा।"

लन्दन यूं तो हाल के दिनों में बैंक क़र्ज़ न लौटने वाले विजय माल्या और नीरव मोदी की शरण स्थली रही है। कुछ दिन पहले उसने क्रिकेट की दुनिया के सट्टेबाज़ ललित मोदी को भी अपने यहाँ पनाह दी थी। अम्बानी भाई वाकई लन्दन जाएँगे या नहीं इसके बारे में भी अभी निश्चित कुछ कहा नहीं जा सकता।

कुछ लोग यह जरूर कह रहे हैं कि कोविड महामारी में लॉकडाउन के दौरान अम्बानी परिवार को दूसरे घर की जरूरत महसूस हुई। मुंबई स्थित अल्टामाउंट रोड पर 4 लाख वर्ग फुट पर एंटीलिया नामक मकान के बावजूद लॉकडाउन के दौरान मुकेश अंबानी का पूरा परिवार गुजरात के जामनगर में उनकी रिफाइनरी के परिसर में ही रहा। यह भी सच है कि इसी साल 25 फरवरी, 2021 को मुकेश अंबानी के मुंबई घर के बाहर एक लावारिस स्कॉर्पियो में जिलेटिन की छड़ें मिली थी। स्कॉर्पियो से एक चिट्ठी भी मिली थी जिसमें लिखा था- ''नीता भाभी और मुकेश भैय्या फैमिली यह एक झलक है। अगली बार यह सामान पूरा होकर आएगा। तुम्हारी पूरी फैमिली को उड़ाने के लिए इंतजाम हो गया है, संभल जाना। Good Night।"

यह भी सच है की पिछले दिनों देश के धनपतियों में भारत छोड़ो की होड़ सी लगी है। 5 महीने पहले ग्लोबल वेल्‍थ माइग्रेशन रिव्यू की एक रिपोर्ट आयी थी। उस रिपोर्ट के मुताबिक 2020 में भारत के पांच से छह हजार अमीरों ने देश छोड़ दिया है, इस साल यानि 2021 में पिछले साल से ज्यादा अमीर देश छोड़ सकते हैं। इससे पहले 2015 से 2019 के बीच 29 हजार से ज्यादा करोड़पतियों ने भारत की नागरिकता छोड़ी थी।

और एक बात यह भी है कि पिछले साल अपने गुजरती भाई अडानी के मुकाबले मुकेश भाई को काफी कम कमाई पर ही संतोष करना पड़ा। हुरून रिपोर्ट* बताती है कि पिछले साल जहां अडानी परिवार ने 1002 करोड़ रुपये रोज़ कमाए वहीं अम्बानी को केवल 163 करोड़ रुपये की कमाई पर संतोष करना पड़ा। और अडानी के मुकाबले पिछले साल अम्बानी भाई ने सरकारी संपत्ति की खरीद में भी कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई।

लगता है अम्बानी भाई की भारत से पलायन की गुत्थी समय के साथ ही सुलझेगी। वैसे अंग्रेजी की यह कहावत ' there can be no smoke without fire' (आग के बिना धुआं नहीं होता) शायद यूँ ही तो नहीं बनी है।

* 'हुरून रिपोर्ट' लन्दन आधारित एक शोध और प्रकाशन संस्था है जो दुनिया के धन कुबेरों की संपत्ति, उसमें फेर बदल, उनके कामों आदी पर सालाना रिपोर्ट प्रकाशित करती है । यूँ तो यह संस्था पुरानी है पर भारत में यह संस्था 2012 से काम कर रही है और सितेम्बर माह के अंत में इस संस्था ने 2020 के मुकाबले 2021 में भारत के धनपतियों की सूची और पिछले एक साल में उनमें आये बदलाव सम्बन्धी अपनी रिपोर्ट ज़ारी की है।

(लेखक दिल्ली विश्वविद्यालय से रिटायर्ड प्रोफेसर हैं)

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