Portugal : पुर्तगाल के मंत्री की कार से टक्कर और मंत्री जी का इस्तीफा
Portugal : पुर्तगाल कभी जीवंत लोकतंत्र के लिए नहीं जाना जाता, फिर भी ड्राईवर द्वारा गैर-इरादतन दुर्घटना के बाद मंत्री जी को इस्तीफा देना पड़ा है...
वरिष्ठ पत्रकार महेंद्र पाण्डेय की टिप्पणी
Portugal : पुर्तगाल (Portugal) के आतंरिक मामलों के मंत्री (Interior Minister), एडुआर्दो कैब्रिता (Eduardo Cabrita), की कार से टकराकर 5 महीने पहले एक सड़क मजदूर की मौत हो गयी थी। कार को मंत्री जी का सरकारी ड्राईवर चला रहा था। मंत्री जी पांच महीनों तक संवेदना प्रकट करते रहे और सफाई देते रहे कि इस दुर्घटना में उनका कोई कसूर नहीं है क्योंकि वे तो कार में केवल एक सवारी की तरह बैठे थे।
अब, पांच महीने बाद एक स्थानीय न्यायालय (Public Prosecutor) ने उनके ड्राईवर को निर्धारित गति सीमा से अधिक गति से कार चलाने और गैर-इरादतन हत्या का दोषी करार दिया है, इसके बाद मंत्री जी ने भी अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। इस त्यागपत्र को प्रधानमंत्री अंतोनियो कोस्टा (Antonio Costa) ने स्वीकार कर लिया है। मंत्री एडुआर्दो कैब्रिता, वर्ष 2015 से लगातार मंत्री थे, और वर्तमान में उनके अधीन पुलिस, सीमा और अग्निशमन विभाग थे।
पुर्तगाल कभी जीवंत लोकतंत्र (Democracy) के लिए नहीं जाना जाता, फिर भी ड्राईवर द्वारा गैर-इरादतन दुर्घटना के बाद मंत्री जी को इस्तीफा देना पड़ता है, तो दूसरी तरफ तथाकथित महान लोकतांत्रिक परंपरा वाला हमारा देश है, जहां मंत्री जी के नाम पंजीकृत गाडी से उनके बेटे उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी में आन्दोलनकारी किसानों को सबक सिखाने के लिए रौद देते हैं और मंत्री जी निर्लज्ज भाव से मंत्री की कुर्सी से चिपके रहते हैं और प्रधानमंत्री और दूसरे मंत्री इस नरसंहार पर आँखे मूंदे बैठे रहते हैं। यहाँ इस तरह की किसी घटना में पुलिस और मेनस्ट्रीम मीडिया तरह-तरह से पीड़ितों को ही गुनाहगार साबित करने का काम करती है और इस मामले में भी यही किया जा रहा है। देश की न्यायालयों से अब जनता ने कुछ भी अपेक्षा रखना छोड़ दिया है।
लखीमपुर खीरी (Lakhimpur Kheri) की घटना से प्रभावित होकर हरयाणा के अम्बाला में भारतीय जनता पार्टी (BJP) के संसद सदस्य नायब सैनी ने भी अपनी कार से एक किसान को कुचल दिया था, जिससे उसकी मृत्यु हो गयी। हमारे देश में मंत्री, संसद सदस्य इत्यादि पर कि भी ऐसे मामले दर्ज करना तो असंभव है ही, बल्कि पार्षद और सरपंचों पर भी ऐसे मुकदमे दर्ज नहीं किये जाते।
हमारे विशाल लोकतांत्रिक परंपरा वाले देश में तो जनता केवल उनके वाहनों से ही कुचलकर मरती बल्कि राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री और दूओसरे मंत्रियों के काफिले के समय सडकों को अवरुद्ध करने पर भी मरती है। यहाँ जनता को कुचलना, दंगा कराना, आगजनी, हिंसा भड़काना, भाषणों से मजहबी नफरत फैलाना इत्यादि राजनीति और सरकार में आगे बढ़ने की सीढियां हैं। हमारे देश के न्यायालय और दूसरे संवैधानिक संस्थान बस हथौड़ा पीट कर आर्डर-आर्डर चीखते रहते हैं और राजनीति इन्हें पुरस्कृत करती है।
पिछले कुछ वर्षों से वाहनों से कुचलकर हत्या करना पूरी दुनिया में एक नई परिपाटी बन गयी है। अमेरिका में जॉर्ज फ्लॉयड की हत्या के बाद उपजे आन्दोलन, ब्लैक लाइव्स मैटर, के दौरान कम से कम 139 बार विभिन्न शहरों में आन्दोलनकारियों पर वाहन चढाने के प्रयास किये गए थे। हाल में ही म्यांमार के यांगून शहर में लोकतंत्र के समर्थक प्रदर्शनकारियों को कुचलने का प्रयास सेना ने अपने वाहनों से किया, जिसमें कम से कम 5 प्रदर्शनकारियों की मौत हो गयी।
पुर्तगाल में सरकार में एडुआर्दो कैब्रिता का कद काफी बड़ा था, और अगले महीन चुनाव भी होने हैं – फिर भी मंत्री जी को इस्तीफ़ा देना पड़ा, यह वहां के लोकतंत्र और न्याय व्यवस्था की खूबी है। एडुआर्दो कैब्रिता पर पहले भी कुछ आरोप लग चुके हैं। वर्ष 2017 में पुलिस ने उक्रेन नागरिक की पूछताछ के नाम पर हत्या कर दी थी, वर्ष 2019 में अग्निशमन विभाग में अज्वलनशील उपकरणों के नाम पर ऐसे उपकरणों की खरीद की गयी थी जो ज्वलनशील थे।
वर्ष 2018 में सेना के एक भण्डार से बड़ी मात्र में हथियारो और गोला-बारूद की चोरी की खबर को छुपाया गया था और हाल में ही पुर्तगाल की संयुक्त राष्ट्र के अंतर्गत कार्यरत सुरक्षा सैनिकों पर हीरे, स्वर्ण और मादक पदार्थों की तस्करी का आरोप भी लगा है।