बेरोजगार युवाओं को हिंसक बनाती सत्ता उनका इस्तेमाल करती है बजरंग दल, विश्व हिन्दू परिषद और श्रीराम सेना जैसे संगठनों में

सत्ता के लिए युवा वोट बैंक और उन्मादी/हिंसक भीड़ तंत्र से अधिक कुछ भी नहीं हैं। बीजेपी सरकार ने जितना नुकसान युवाओं का किया है उतना शायद ही आबादी के किसी वर्ग का किया होगा – उन्हें प्रत्यक्ष तौर पर केवल अपने फायदे के लिए समाज विभाजन और हिंसा के लिए प्रेरित किया है....

Update: 2023-08-17 10:39 GMT

(प्रतीकात्मक तस्वीर)

महेंद्र पाण्डेय की टिप्पणी

Listen to youth voices – they have own aspirations for the better future. हमारे देश में सत्ता में बैठे नेताओं के लगभग हरेक भाषण में यह जिक्र किया जाता है कि हमारा देश युवाओं का देश है, पर जब योजनाओं और नीतियों की बारी आती है तब इन्ही युवाओं को पूरी तरह से नकार दिया जाता है। जब युवा सत्ता के सामने बेरोजगारी और बेहतर शिक्षा जैसी अपनी समस्याएं रखते है, या फिर इसके लिए आन्दोलन करते हैं तब उनका दमन किया जाता है। कई राज्य सरकारों ने तो यह घोषणा भी की है कि आन्दोलन में हिस्सा लेने वाले युवाओं को रोजगार से अलग रखा जाएगा।

सत्ता के लिए युवा वोट बैंक और उन्मादी/हिंसक भीड़ तंत्र से अधिक कुछ भी नहीं हैं। बीजेपी सरकार ने जितना नुकसान युवाओं का किया है उतना शायद ही आबादी के किसी वर्ग का किया होगा – उन्हें प्रत्यक्ष तौर पर केवल अपने फायदे के लिए समाज विभाजन और हिंसा के लिए प्रेरित किया है – जिसका असर समाज में लम्बे समय तक महसूस किया जाएगा।

दूसरी तरफ, युवाओं के अपने विचार हैं, अपनी आकाक्षाएँ हैं और बेहतर भविष्य के लिए अपनी जरूरतें हैं – पर युवाओं से यह सब कोई नहीं पूछता। युवाओं और किशोरों के लिए आवाज उठाने वाली एक अंतरराष्ट्रीय संस्था, पार्टनरशिप फॉर मैटरनल, न्यूबोर्न, एंड चाइल्ड हेल्थ ने पिछले वर्ष अक्टूबर में 1.8 यंग पीपल फॉर चेंज नामक अभियान की शुरुआत की थी।

इस अभियान के तहत लक्ष्य है कि इस वर्ष के अक्टूबर तक विकासशील देशों के कम से कम दस लाख युवाओं और किशोरों से उनके विचार जाने जाएँ कि बेहतर भविष्य के लिए उन्हें सबसे जरूरी क्या लगता है। यह सर्वेक्षण युवाओं के बीच अबतक किया गया सबसे बड़ा सर्वेक्षण है। इस अभियान के तहत अबतक 7 लाख से अधिक युवाओं के विचार एकत्रित किये जा चुके हैं और हाल में ही इस सर्वेक्षण के प्राथमिक परिणाम सार्वजनिक किये गए हैं।

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सर्वेक्षण के अनुसार 40 प्रतिशत से अधिक युवाओं ने बेहतर भविष्य के लिए बेहतर शिक्षा, रोजगार और स्किल डेवलपमेंट को सबसे जरूरी बताया। दूसरे स्थान पर सुरक्षा और युवा विचारों का सम्मान था, जिसे 21 प्रतिशत से अधिक युवाओं से सबसे जरूरी बताया था। लगभग 16 प्रतिशत युवाओं ने बेहतर स्वास्थ्य और पोषण को प्राथमिकता दी। पार्टनरशिप फॉर मैटरनल, न्यूबोर्न, एंड चाइल्ड हेल्थ का मुख्यालय जेनेवा में विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुख्यालय में स्थित है। इसकी एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर हेलगा फोग्स्ताद ने इन परिणामों को प्रस्तुत करते हुए कहा कि इस समय दुनिया में युवाओं की जितनी संख्या है ऐसी संह्या मानव इतिहास के किसी भी मोड़ पर नहीं रही है, फिर भी सरकारी नीतियों में इन युवाओं की आकांक्षा की उपेक्षा की जाती है।

परिणामों से स्पष्ट है कि दुनियाभर के युवा अपने और समाज के बेहतर भविष्य के लिए आर्थिक सुरक्षा, कौशल विकास, बेहतर शिक्षा, बेहतर पोषण और आजादी को जरूरी मानते हैं, पर दुखद है कि अधिकतर विकासशील देशों में इन सभी विषयों की उपेक्षा की जा रही है। कोविड 19 से पहले विकासशील देशों के 53 प्रतिशत 10 वर्ष से कम उम्र के बच्चे सामान्य से कम ज्ञान रखते थे, पर अब यह संख्या 70 प्रतिशत से अधिक हो चली है।

भले ही यह एक अंतरराष्ट्रीय सर्वेक्षण था, पर हमारे देश के लिए इसका विशेष महत्त्व है। सर्वेक्षण के सात लाख से अधिक प्रतिभागियों में सबसे अधिक, 17 प्रतिशत से अधिक, भारत के हैं। इसके बाद 12 प्रतिशत यूगांडा के, 10.2 प्रतिशत इंडोनेशिया के और 8.4 प्रतिशत ज़ाम्बिया के हैं। कुल प्रतिभागियों में 68.8 प्रतिशत अफ्रीका के, 27.5 प्रतिशत एशिया के और शेष दक्षिणी अमेरिका के हैं।

युवा वर्ग बेरोजगारी की बात करता है, स्वास्थ्य की बात करता है और शिक्षा की बात करता है – पर सत्ता उन्हें हिंसक बना रही है और सामाजिक असमानता पैदा करने के लिए उपयोग कर रही है। बेरोजगार और अशिक्षित युवा ही बजरंग दल, विश्व हिन्दू परिषद और श्रीराम सेना जैसे ध्रुवीकरण को बढ़ावा देने वाले संगठनों की शक्ति हैं – और सत्ता को सत्ता में बने रहने के लिए ऐसे ही संगठनों की जरूरत है।

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