निरंकुश सत्ता अर्थव्यवस्था और मानवाधिकार को रखना चाहती है पूरे नियंत्रण में ताकि किया जा सके लंबे समय तक राज

डिमन के अनुसार निरंकुश सत्ता अर्थव्यवस्था और मानवाधिकार को पूरे नियंत्रण में रखना चाहती है, जिससे वे सत्ता में लम्बे समय तक काबिज रह सकें। शेयरहोल्डर्स से उन्होंने कहा कि पूंजीवाद में भले ही कुछ कमियाँ हों, पर दुनिया के लिए यही अर्थव्यवस्था का सर्वश्रेष्ठ स्वरुप है....

Update: 2023-10-26 11:41 GMT

महेंद्र पाण्डेय की टिप्पणी

In capitalist territory, socialism is viewed as source of all evils in the society. इजराइल-हमास युद्ध छिड़ने के ठीक बाद जेपी मॉर्गन चेज बैंक के अध्यक्ष जेमी डिमन ने बताया कि दुनिया इस समय सबसे खतरनाक दौर से गुजर रहा है, और ऐसा खतरनाक दौर पिछले कई दशकों से नहीं देखा गया है। जेपी मॉर्गन चेज अमेरिका का सबसे बड़ा निजी बैंक है और हाल में ही जब अनेक बैंक अमेरिका में डूब रहे थे, तब इसी बैंक ने उनका अधिग्रहण किया था। इसमें फर्स्ट रिपब्लिक बैंक की खूब चर्चा की गयी थी।

चेज बैंक के अध्यक्ष जेमी डिमन ने वर्तमान वैश्विक आर्थिक हालात पर कहा कि पहले रूस-उक्रेन युद्ध और अब इजराइल-हमास युद्ध के बाद आर्थिक हालात और खराब हो जायेंगे और भले ही यह मध्य-पूर्व का मामला है, पर इसका असर पूरी दुनिया पर पड़ेगा। उर्जा और खाद्यान्न की कीमतों, वैश्विक व्यापार, तमाम देशों के रिश्तों और कूटनीतिक संबंधों पर इसका दूरगामी असर होगा।

अध्यक्ष जेमी डिमन अनेक वर्षों से जेपी मॉर्गन चेज के अध्यक्ष हैं और स्वयं एक अरबपति हैं। जाहिर है, उनके हरेक विचार कट्टर पूंजीवाद की झलक देते हैं। पूंजीवाद दुनिया को समस्याओं का डर दिखाता है, पर इन्हीं समस्याओं के बीच उसका मुनाफा बढ़ता जाता है। जेमी डिमन ने कोविड-19 के भयानक दौर के बाद अप्रैल 2021 में समाज में बढ़ते नस्ली और आर्थिक असमानता पर विस्तार से चर्चा की थी, और इसके भयानक परिणाम बताये थे। इन सारी तथाकथित समस्याओं के बीच भी तमाम पूंजीपतियों की तरह अध्यक्ष जेमी डिमन का व्यक्तिगत और जेपी मॉर्गन चेज बैंक का मुनाफ़ा लगातार बढ़ता जा रहा है। जुलाई 2023 से सितम्बर 2023 के तिमाही में जेपी मॉर्गन चेज बैंक के मुनाफे में पिछले तिमाही की तुलना में 35 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गयी है।

स्वयं अरबपति रहे और कट्टर पूंजीपतियों का प्रतिनिधित्व करते जेमी डिमन के हरेक वक्तव्य को पूंजीपतियों की सोच से जोड़कर देखा जा सकता है। पूंजीवादी व्यवस्था निरंकुश होती है, जिसमें सारे अधिकार चंद व्यक्तियों के हाथ में केन्द्रित होते हैं और शेष उसके गुलाम होते हैं। इसीलिए पूंजीवादी व्यवस्था का वर्चस्व बढ़ते ही सबसे पहले पारंपरिक प्रजातंत्र और मानवाधिकार ख़त्म होता है। पूरी दुनिया में ऐसा ही हो रहा है। हमारे देश में भी अडानी-अम्बानी के बढ़ते वर्चस्व के साथ प्रजातंत्र का निरंकुश स्वरूप सामने आ गया है। पारंपरिक प्रजातंत्र का एक मजबूत स्तम्भ समाजवाद है, जिसमें सबको बराबर अधिकार और संपदा पर अधिकार की बात की जाती है। यह समाजवाद और पूंजीवाद एक दूसरे के ठीक विपरीत ध्रुव हैं और स्वस्थ समाजवाद में पूंजीवाद की जगह नहीं होती।

चेज बैंक के अध्यक्ष जेमी डिमन ने अप्रैल 2019 में जेपी मॉर्गन चेज बैंक के शेयर होल्डर्स को एक वार्षिकपत्र भेजा था, जिसमें उन्होंने समाजवाद पर करारा प्रहार किया था। उनके अनुसार समाजवाद विकास में अवरोध, भ्रष्टाचार और दूसरे सामाजिक और आर्थिक बुराइयों का सबसे बड़ा कारण है और यह किसी भी समाज के लिए एक आपदा से कम नहीं है। उन्होंने आगे कहा था कि इन दिनों एक नई वामपंथी विचारधारा देखने को मिल रही है, जिसे प्रजातांत्रिक समाजवाद कहा जा सकता है, इसे बढ़ावा देना समाज के लिए घातक है। इसमें बड़े व्यवसाय को अनेक छोटे हिस्सों में विभाजित करने और बैंकिंग क्षेत्र पर पहले से अधिक नियंत्रण की बातें कही जा रही हैं – यदि ऐसा हुआ तो अर्थव्यवस्था ध्वस्त हो जायेगी। जब सरकारें उद्योगों और व्यवसायों को नियंत्रित करने लगती हैं तब कुछ समय बाद अर्थव्यवस्था का उपयोग राजनीतिक उद्देश्यों को पूरा करने के लिए किया जाने लगता है। इससे बाजार और कम्पनियां अक्षम हो जाती हैं, भ्रष्टाचार और पक्षपात बढ़ जाता है।

अध्यक्ष जेमी डिमन के अनुसार निरंकुश सत्ता अर्थव्यवस्था और मानवाधिकार को पूरे नियंत्रण में रखना चाहती है, जिससे वे सत्ता में लम्बे समय तक काबिज रह सकें। शेयरहोल्डर्स से उन्होंने कहा कि पूंजीवाद में भले ही कुछ कमियाँ हों, पर दुनिया के लिए यही अर्थव्यवस्था का सर्वश्रेष्ठ स्वरुप है। अमेरिका में पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने भी वर्ष 2020 में चुनाव प्रचारों में कहा था कि वे अमेरिका को कभी भी समाजवादी देश नहीं बनने देंगे।

डोनाल्ड ट्रम्प और जेमी डिमन दोनों ही कट्टर और चरम पूंजीवाद का प्रतीक हैं, जाहिर है समाजवाद से उन्हें चिढ़ है। समाजवादियों की प्रबल आलोचना हमारे देश में भी अर्बन नक्सल, टुकड़े-टुकड़े गैंग, देशद्रोही, पाकिस्तान समर्थक के उपनामों से की जाती है। समाजवाद की मुखर आलोचना का सीधा मतलब है प्रजातंत्र और मानवाधिकार का विरोध – यही आज पूरी दुनिया में हो रहा है, जहां पूंजीपति अपना मुनाफ़ा बढ़ा रहे हैं और जनता और गरीब हो रही है।

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