अरुणा आसफ अली की वो चर्चित शादी, जिसने भारत में मचा दिया था तहलका

जिस शादी को महात्मा गांधी ने आशीर्वाद दिया था उसका भी हिंदू और मुस्लिम संप्रदायवादियों ने विरोध किया कि आसफ अली ने एक हिंदू लड़की के साथ विवाह किया...

Update: 2021-07-16 03:54 GMT

अरुणा आसफ अली की शादी ने मचा दिया था तहलका (फोटो : ट्वीटर)

अरुणा आसफ अली की 112वीं जयंती पर उनको याद कर रहे हैं वरिष्ठ पत्रकार रेहान फज़ल

जनज्वार। अरुणा गांगुली ने जब 1928 में आसफ अली से शादी की थी तो पूरे भारत में तहलका मच गया था. अरुणा को प्रेम विवाह शब्द कतई पसंद नहीं था. उनकी नजरों में इस शब्द से आभास होता है कि विवाह भावनावश या भावुकता के ज्वार में किया गया है. वो इसके लिए 'अपनी पसंद का विवाह' शब्द का प्रयोग करती थीं जिसमे पारस्परिक आकर्षण के अतिरिक्त विवेकपूर्ण और जानबूझ कर किए गए चयन का भाव भी शामिल था.

कांग्रेस के सम्मेलनों में जब अरुणा मदनमोहन मालवीय के सामने पड़ जाती थीं तो वह मुंह फेर लेते थे. वह यूं तो समाज सुधारक थे और उन्होंने महिला शिक्षा को काफ़ी प्रोसाहन दिया था, लेकिन उन्हें यह सहन नहीं हुआ की एक ब्राह्मण घराने की कन्या किसी मुसलमान से शादी कर ले. 1934 में जब विधानसभा के चुनाव में आसफ अली को कांग्रेस का उम्मीदवार बनाया गया तो कुछ हिंदू और मुस्लिम संप्रदायवादियों ने इस आधार पर इसका विरोध किया कि उन्होंने एक हिंदू लड़की के साथ विवाह किया था. इसके ठीक विपरीत चक्रवर्ती राजगोपालाचारी ने इस विवाह को अपना पूरा समर्थन दिया. इस विवाह को प्रसन्नता पूर्वक स्वीकार करने वालों में कांग्रेस नेता देशबंधु गुप्ता भी थे. हिंदू महाकाव्यों और संस्कृत साहित्य में उनकी रुचि के कारण वह आसफ अली को पंडित आसफ अली कह कर पुकारा करते थे.

अरुणा और आसफ अली के विवाह को आशीर्वाद देने वाले व्यक्तियों में सबसे महान व्यक्ति महात्मा गांधी थे, हालांकि उन्होंने इस आशीर्वाद को देने में कई साल लगा दिए. उन्होंने 19 फरवरी, 1920 के नवजीवन के अंक में लिखा था कि कोई मुसलमान किसी ऐसे हिंदू के साथ विवाह कभी नहीं कर पाएगा जो विवाह के बाद भी हिंदू रहना चाहे. ऐसे विवाह की संतान किस धर्म का पालन करेगी? विवाहित युगल में किसी एक को दूसरे का धर्म स्वीकार करना पड़ेगा या दोनों धर्मविहीन होकर रहेंगे.

इन विकल्पों में किसी से भी हिंदू मुस्लिम एकता को बढ़ावा नहीं मिलता. लेकिन कुछ समय बाद गांधी अरुणा और आसफ के विवाह को एकता का प्रतीक मानने लगे थे. अरुणा ने ज़रूर उनकी इस राय का विरोध करते हुए कहा था कि मैने आसफ के साथ विवाह इसलिए नहीं किया कि वह मुस्लिम हैं. इसके पीछे कारण थे नज़दीकी की अनुभूति, अंग्रेज़ी साहित्य के प्रति हम दोनों की समान रुचि, इतिहास और दर्शन का उनका ज्ञान और उनका सुसंस्कृत आचरण. परंतु गांधीजी का आख़िर तक यह आग्रह बना रहा कि इन दोनों के विवाह का प्रतीकात्मक महत्व है.

अरुणा के विवाह पर मिलने वाली प्रतिक्रियाओं का एक हल्का—फुल्का पक्ष भी था. आसफ अली के करीबी दोस्त उन्हें मज़ाक में पालना छीनने का दोषी ठहराते थे. अब्बास तय्यबजी चुटकी लेते थे कि आसफ अली पर बालविवाह निरोधक शारदा अधिनियम के तहत मुकदमा चलाया जाना चाहिए.

अरुणा आसफ अली को 1997 में भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से सम्मानित किया गया.

(रेहान फज़ल की यह टिप्पणी उनके एफबी वॉल पर प्रकाशित।)

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