किसी चमत्कार से कम नहीं है अंतरिक्ष से धरती पर सुनीता विलियम्स और सहयात्री विल्मर की यह वापसी !

सुनीता विलियम्स की उपलब्धि के विवरण इसलिए अद्भुत हैं कि अगर वे आठ दिनों के लिये निर्धारित यात्रा के बाद ही सकुशल लौट आतीं तो दुनिया को उनकी आंतरिक ताक़त, एक महिला के तौर पर अति-असामान्य परिस्थितियों में भी मुस्कुराते हुए सामना करने की शक्ति और उन्होंने अब तक जो कुछ हासिल किया उसके बारे में पता ही नहीं चल पाता...;

Update: 2025-03-19 16:19 GMT
किसी चमत्कार से कम नहीं है अंतरिक्ष से धरती पर सुनीता विलियम्स और सहयात्री विल्मर की यह वापसी !
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वरिष्ठ संपादक श्रवण गर्ग की टिप्पणी

उनसठ बरस की सुनीता विलियम्स धरती पर वापस लौट आईं हैं! वे अपने साथी विल्मर के साथ सिर्फ़ आठ दिनों के लिए अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन पर गईं थीं, पर तकनीकी बाधाओं के चलते उन्हें 286 दिनों तक रुकना पड़ गया। उनकी वापसी का जिस तरह से जश्न मनाया जा रहा है बताता है दुनिया ने कितनी बड़ी राहत की सांस ली है।

गुजरात के मेहसाणा में स्थित पैतृक गाँव झूलासण में की जा रही प्रार्थनाओं और वापसी की अनिश्चितता के बीच सुनीता ने अंतरिक्ष से प्रेषित एक संदेश में अपने प्रियजनों द्वारा तब भोगे जा रहे उस मानसिक त्रास का वर्णन किया था जिसमें यह पता नहीं होता कि वापसी कब होगी। सुनीता के ही शब्दों में उसे दोहराना हो तो :'The hardest part is having the folks on the ground not know exactly when we are coming back.'

सुनीता विलियम्स और सहयात्री विल्मर की यात्रा ऐसी नहीं थी कि लौटने का दिन, समय और स्थान पूर्व-निर्धारित नहीं हो! कल्पना करना कठिन है कि आठ दिन की यात्रा नौ महीने में कैसे तब्दील हो सकती है। Space X का ताज़ा मिशन अगर सफल नहीं होता तो क्या होता? सुनीता और विल्मर की सकुशल वापसी के बाद इलोन मस्क ने अपनी प्रतिक्रिया में कहा है कि वे मिशन की सफलता को लेकर थोड़े चिंतित थे।

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सुनीता विलियम्स की उपलब्धि के विवरण इसलिए अद्भुत हैं कि अगर वे आठ दिनों के लिये निर्धारित यात्रा के बाद ही सकुशल लौट आतीं तो दुनिया को उनकी आंतरिक ताक़त, एक महिला के तौर पर अति-असामान्य परिस्थितियों में भी मुस्कुराते हुए सामना करने की शक्ति और उन्होंने अब तक जो कुछ हासिल किया उसके बारे में पता ही नहीं चल पाता।

सुनीता अंतरिक्ष में अब तक कोई नौ बार चहलक़दमी (space walk) कर चुकी हैं। इस चहलक़दमी में उन्होंने 62 घंटे छह मिनट बिताए हैं जो कि किसी भी महिला अंतरिक्ष यात्री के लिये रिकॉर्ड है। हिंदुत्व को जीवन में जीने वाली सुनीता 2006 में गीता की प्रति स्पेस स्टेशन पर साथ ले गईं थीं और 2012 में ओम् का प्रतीक चिन्ह और उपनिषदों की प्रति!

सुनीता जब सितंबर 2007 में पति माइकल के साथ पैतृक गाँव झूलासण की यात्रा पर आईं थीं तब अहमदाबाद स्थित गांधीजी के साबरमती आश्रम भी गईं थीं। उस समय नरेंद्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे। अपनी गुजरात यात्रा के दौरान सुनीता ने सरकारी वाहन और प्रोटोकॉल स्वीकार करने से इंकार कर दिया था।

लोगों का कठिन यात्राओं पर जाना और अपनी वापसी के प्रयासों दौरान अनिश्चितताओं के अंतरिक्ष और गुफ़ाओं में क़ैद हो जाने की कथाएँ भी अनंत हैं और यात्राओं की सुखद समाप्तियों के विवरण भी अनगिनत हैं।

हमारे हाल के अतीत में ऐसी ही एक घटना सात साल पहले थाईलैण्ड में घटित हुई थी, जब ग्यारह से सोलह की उम्र के बीच के बारह फुटबॉल खिलाड़ी बच्चे अपने 25-वर्षीय कोच के साथ एक घने जंगल में स्थित दो किलोमीटर लंबी और आठ सौ मीटर से ज़्यादा गहरी ऐसी अंधेरी गुफा में क़ैद हो गए थे जिसमें जगह-जगह पानी भर हुआ था। अठारह दिनों तक बाहरी दुनिया से पूरी तरह से कटे ये बच्चे बिना आहार के केवल गुफा के पानी, प्रार्थनाओं और आत्मा की ताक़त पर ज़िंदा रहे। अंत में तीन दिन तक चले अंतरराष्ट्रीय प्रयासों के बाद उन्हें सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया।

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हमारे अपने देश की ताज़ा घटना उत्तराखण्ड में सिल्क्यारा टनल के धँसने की है, जिसमें फँसे 41 मज़दूर सत्रह दिनों की कोशिशों के बाद सुरक्षित बाहर निकल लिये गए थे। घटना दो साल पहले हुई थी। इस बचाव कार्य में ‘Rat-Hole Miners’ ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।

सुनीता और विल्मर का वापस लौटना किसी चमत्कार से कम नहीं है। यह वापसी केवल दो अंतरिक्ष यात्रियों का पुनर्जन्म ही नहीं है, ईश्वर में आस्था और पुरुषार्थ की सफलता में मनुष्य के यक़ीन की पुनः प्राण-प्रतिष्ठा भी है।

सुनीता ही अब बता पाएंगी कि अंतरिक्ष में 360 किलोमीटर दूर रहते हुए नौ माह में 4,576 बार की पृथ्वी-परिक्रमा के दौरान तय की गई 19.5 करोड़ किलोमीटर की दूरी में किन चमत्कारों का उन्होंने अनुभव किया! यह भी कोई कम चमत्कारपूर्ण नहीं कि अंतरिक्ष यात्रियों द्वारा फ़्लोरिडा के समुद्र की सतह का स्पर्श करने के साथ ही Dolphins द्वारा उनका स्वागत किया गया!

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