देश में लोकतंत्र बचाने वाले देशद्रोही और इसकी सरेआम हत्या करने वाले बन गये हैं सबसे बड़े देशभक्त

दिल्ली में शांतिपूर्ण आन्दोलन को कुचलने के लिए दिल्ली की सीमाएं भारत-पाकिस्तान की सीमा से भी अधिक सुरक्षित कर दी गईं हैं, दूसरी तरफ बिना सरकारी इजाजत के और मामला न्यायालय में होने के बाद भी केंद्र में सत्ता में बैठी पार्टी बड़े तामझाम से रथयात्रा निकाल रही हैं, रोड शो कर रही है....

Update: 2021-02-11 10:38 GMT

वरिष्ठ लेखक महेंद्र पाण्डेय का विश्लेषण

जनज्वार। देश के लोकतंत्र की बानगी तो देखिये – उत्तराखंड के चमौली जिले में आई विपदा से हमारे प्रधानमंत्री जी इतने दुखी हुए कि उसी दिन पश्चिम बंगाल के हल्दिया में जाकर ममता दीदी को फूटबाल की भाषा में फ़ाउल का मतलब समझाने लगेI इसके अगले दिन राज्य सभा में खड़े होकर एफडीआई का नया मतलब समझाने लगे और आन्दोलनजीवी और परजीवी पर बात करने लगेI प्रधानमंत्री ने अपने भाषण में पहले कहा कि किसानों से बातचीत के दरवाजे खुले हैं और फिर कहा कि उन्हें समझ नहीं आ रहा है कि वे आन्दोलन क्यों कर रहे हैं?

इससे बड़ी बेवकूफी और क्या हो सकती है कि जिसे आज तक यही न समझ आया हो कि आन्दोलन क्यों हो रहे हैं और आन्दोलन का मुद्दा क्या है, फिर वह किस विषय पर बात करना चाहता है? इसी भाषण में उन्होंने जोर देकर कहा कि एमएसपी था, एमएसपी है और एमएसपी रहेगाI प्रधानमंत्री यदि एफडीआई की नई परिभाषा गढ़ सकते हैं तो उनसे जरूर पूछा जाना चाहिए था कि जो एमएसपी था उसका क्या मतलब था, जो एमएसपी है उसमें एमएसपी का क्या मतलब है और जो रहेगा उसमें एमएसपी का क्या मतलब रहेगा? क्या पता जो एमएसपी रहेगा, उसे प्रधानमंत्री जी "मेरा सगा पूंजीपति" समझते होंI

राज्यसभा के इसी भाषण में प्रधानमंत्री जी ने लोकतंत्र पर भी खूब प्रवचन दिए, कहा भारत का लोकतंत्र तो दुनिया के लोकतंत्र की माँ हैI इस भाषण के ठीक दो दिनों पहले ही द इकोनॉमिस्ट ग्रुप के इकोनॉमिक्स इंटेलिजेंस यूनिट ने डेमोक्रेसी इंडेक्स 2020 में दुनिया के 167 देशों के इंडेक्स में प्रधानमंत्री जी के लोकतंत्र की माँ को 53वें स्थान पर रखा है और इसे "दोषयुक्त लोकतंत्र" वाले देशों में वर्गीकृत किया हैI

वर्ष 2014 में बीजेपी सरकार को जब जनता ने बहाल किया था तब इस इंडेक्स में भारत 27वें स्थान पर थाI इसके बाद से प्रधानमंत्री जी ने लोकतंत्र का खूब डंका पीटा और हम गिरते हुए 53वें स्थान पर पहुँच गएI वर्ष 2014 में हमारा देश इस इंडेक्स में अब तक के सबसे ऊंचे स्थान पर था और इस वर्ष यह सबसे निचले स्थान पर हैI

दरअसल वर्ष 2014 के बाद से देश में लोकतंत्र की परिभाषा ही बदल दी गई हैI सत्ताधारी और उनके समर्थक कुछ भी करने को आजाद हैं – वे अफवाह फैला सकते हैं, हिंसा फैला सकते हैं, ह्त्या कर सकते हैं और दंगें भी करा सकते हैंI दूसरी तरफ, सरकारी नीतियों का विरोध करने वाले चुटकियों में देशद्रोही ठहराए जा सकते हैं, जेल में बंद किये जा सकते हैं या फिर मारे जा सकते हैंI मीडिया, संवैधानिक संस्थाएं और अधिकतर न्यायालय सरकार के विरोध की हर आवाज को कुचलने में व्यस्त हैं, इसके बाद भी लोकतंत्र से सम्बंधित इंडेक्स में 167 देशों में हम 167वें स्थान पर नहीं हैं तो यह चमत्कार ही हैI

देश के लोकतंत्र का उदाहरण इन दिनों उफान पर हैI दिल्ली में किसान आन्दोलन कर रहे हैं और पश्चिम बंगाल में कुछ महीनों के भीतर चुनाव होने वाले हैंI दिल्ली में शांतिपूर्ण आन्दोलन को कुचलने के लिए दिल्ली की सीमाएं भारत-पाकिस्तान की सीमा से भी अधिक सुरक्षित कर दी गईं हैं, दूसरी तरफ बिना सरकारी इजाजत के और मामला न्यायालय में होने के बाद भी केंद्र में सत्ता में बैठी पार्टी बड़े तामझाम से रथयात्रा निकाल रही हैं, रोड शो कर रही है और हरेक तरीके से हिंसा फैलाने में व्यस्त हैI

लोकतंत्र भी शर्म से मर जाता होगा जब बीजेपी के नेता बताते हैं कि बीजेपी दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी है, इसे रथयात्रा की इजाजत लेने की जरूरत नहीं हैI मतलब साफ़ है, बीजेपी दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी है इसलिए सारे नियम-क़ानून से और देश से भी ऊपर हैI देश इस समय ऐसी सरकार के हाथों में है जो अपने विरोधियों को जेल में डालने के लिए भीमा-कोरगांव काण्ड करा सकती है और दंगे भी करा सकती हैI इसके बाद भी लोकतंत्र पर बेशर्मी से भाषण भी सुना सकती हैI

इस वर्ष के डेमोक्रेसी इंडेक्स के अनुसार दुनियाभर में लोकतंत्र अपनी अंतिम साँसे गिन रहा हैI इन 167 देशों में से महज 23 देशों में लोकतंत्र जिन्दा है और स्वस्थ्य हैI भारत, अमेरिका, ब्राज़ील, फ्रांस और बेल्जियम समेत कुल 52 देशों में बीमार लोकतंत्र हैI इनमें से अमेरिका ने तो लोकतंत्र को बहाल कर लिया, पर हमारे देश में लोकतंत्र का सरकारी तौर पर खूब माखौल उड़ाया जा रहा हैI देश में लोकतंत्र बचाने वाले देशद्रोही करार दिए जा रहे हैं और जो लोकतंत्र की सरेआम हत्या कर रहे हैं वे देशभक्त बताये जा रहे हैंI हमारे देश में एक ऐसा लोकतंत्र है जहां सत्ता में बैठे लोग अपने आप को सरकार नहीं मान रहे बल्कि देश को अपनी जागीर समझ बैठे हैंI

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