किसान बिल : दंगाई भगवा झंडे लहरा करायेंगे दंगे और किसान-श्रमिक नेता अभियुक्त बना डाल दिये जायेंगे जेल में

लोकतंत्र का एक नया चेहरा है, जिसे मूर्खतंत्र के नाम से जाना जाता है, यह तंत्र आजकल बहुत सारे देशों में पनप रहा है और जिसकी खासियत है सोशल मीडिया, मेनस्ट्रीम मीडिया और सरकारी दावों के माध्यम से लगातार बरसती अफीम...

Update: 2020-09-25 11:37 GMT

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महेंद्र पाण्डेय का विश्लेषण

जनज्वार। पूरा देश अफीम के नशे में डूब गया है, बस कुछ लोग शेष हैं जिन्हें अभी अफीम की लत नहीं लगी है और वे सडकों पर संघर्ष कर रहे हैं। अब अगले सरकार प्रायोजित दंगों में इनके अभियुक्त बनाने की बारी है। फिलहाल सरकार नागरिकता संशोधन क़ानून के विरोधियों को अभियुक्त साबित करने के लिए करवाए गए दिल्ली दंगों की चार्जशीट और सप्लीमेंटरी चार्जशीट फ़ाइल करने में व्यस्त है।

सरकार ने कृषि विधेयकों और श्रम कानूनों के तौर पर फिर से विरोधियों को अभियुक्त साबित करने का पासा फेंका है। कुछ दिन आन्दोलन चलेंगे, इसके बाद फिर कहीं कपिल मिश्रा, प्रवेश वर्मा जैसे पालतू नेता गरजेंगे, भगवा झंडे वाले खुलेआम आयेंगे, दंगे करवाएंगे और फिर सारे किसान नेता और श्रमिक नेता अभियुक्त बनाकर जेल में बंद कर दिए जायेंगे। इन सबके बीच मीडिया वही करेगा जो आज कर रहा है, यानी सबके घरों में अफीम परोस रहा है।

जिन श्रम कानूनों को ऐतिहासिक बताकर मोदी सरकार इतरा रही है, उनके अनुसार अब बड़े उद्योग बिना किसी झंझट के 300 तक श्रमिकों की छुट्टी कर सकेंगे। काश देश में कोई ऐसा क़ानून भी होता कि जनता जब चाहे बिना किसी झंझट के 300 विधायकों या सांसदों की छुट्टी कर पाती।

इस दौर में सरकार से सम्बंधित हरेक नेता अपने आप को किसान बता रहा है, और किसान हैं कि देश की संसद में बैठे तथाकथित किसानों की बात ही नहीं मान रहे हैं। न्यू इंडिया के ऐतिहासिक क़ानून भी अजीब से हैं। सरकार ने जब चप्पे-चप्पे पर फ़ौज को खड़ा कर कहा कि अब कश्मीरी देश की मुख्य धारा में शामिल हो जायेंगे, कश्मीरियों ने विरोध शुरू कर दिया। सरकार ने जब कहा कि अब नागरिकता आसान हो जायेगी, लोगों ने धरना-प्रदर्शन शुरू कर दिया। सरकार ने कहा हम किसानों के हित की बात करते हैं, किसान सड़कों पर आ गए। सरकार ने कहा, अब नए कानूनों से मजदूरों का भला होगा, इसके बाद मजदूर भड़काने लगे हैं।

इन सबसे दूर मीडिया सुशांत सिंह की मौत का अफीम जनता में लगातार बाँट रहा है। दरअसल नारकोटिक्स ब्यूरो को मीडिया चैनलों में भी अफीम, गंजा, एलएसडी जैसे मादक पदार्थों की जांच करनी चाहिए, क्योंकि दिन रात कैमरे के सामने चिल्लाना, गाली-गलौज करना, कुर्सी से उछलना और झूठ को सच बताते रहना सामान्य व्यवहार तो है नहीं। जाहिर है, सब नशे में ही रहते हैं और फिर स्क्रीन से ही हरेक घर में वही नशा परोसते हैं।

सरकार खुश है, कि देश में कोई समस्या नहीं है, रामराज्य है, सब अफीम के नशे में हैं। सरकार ने तो अपनी तरफ से सुदर्शन टीवी को भी अफीम परोसने को कह दिया था, पर सर्वोच्च न्यायालय ने, देर से ही सही पर आधा परोसे जाने के बाद ही जनता को इस अफीम से महरूम कर दिया। नारकोटिक्स ब्यूरो तो मादक पदार्थों को बेचने के आरोप में कुछ लोगों को गिरफ्तार भी करता है, पर वह अफीम जो न्यूज़ चैनल परोस रहे हैं, या फिर सोशल मीडिया दिनभर परोस रहा है, उससे कौन सा ब्यूरो जनता को बचाएगा।

सरकार तो बार-बार अफीम परोसने वालों को ही सीधे-सीधे बचाती है, बल्कि यह तही तो सार्वजनिक हो चुका है। थोड़ी अफीम बेचकर गुप्तेश्वर पाण्डेय राजनीति में पहुँच गए, अफीम बेचने का पुरस्कार कंगना रानौत को सरकार ने सुरक्षा प्रदान कर दिया, अब तो कंगना की अफीम पहले से भी अधिक भद्दी हो चुकी है। सुदर्शन टीवी के मामले में सोलिसिटर जनरल बार-बार कहते रहे कि न्यूज़ चैनलों और मेनस्ट्रीम मीडिया पर किसी नियंत्रण की जरूरत नहीं है, पर सोशल मीडिया पर है।

सोशल मीडिया पर सरकारी नियंत्रण के अनेक फायदे हैं। सरकारी नियंत्रण के बाद लगातार अफीम परोसने वाले बीजेपी के आईटी सेल पर जाहिर है कोई नियंत्रण नहीं रहेगा, बल्कि नियंत्रण उन चुनिन्दा लोगों पर होगा जिनपर तमाम सरकारी प्रयासों के बाद भी अभी तक अफीम का नशा नहीं चढ़ा है।

अफीम कुछ देर के लिए हरेक प्रकार के शारीरिक और मानसिक दर्द से इंसान को आजाद कर देता है, पर मीडिया और सरकारों द्वारा संयुक्त तौर पर परोसा जाने वाला अफीम तो इंसान को स्थाई तौर पर दर्द से मुक्त कर रहा है। इसका नशा आने के बाद से आप ना तो बेरोजगार रहते हैं, ना तो अर्थव्यवस्था ध्वस्त होती है, ना तो सरकारी निरंकुशता नजर आती है और ना ही अन्य कोई समस्या।

इसके बाद नजर आता है न्यू इंडिया, जहां लोकतंत्र का एक नया चेहरा है और जिसे मूर्खतंत्र के नाम से जाना जाता है। यह तंत्र आजकल बहुत सारे देशों में पनप रहा है और जिसकी खासियत है सोशल मीडिया, मेनस्ट्रीम मीडिया और सरकारी दावों के माध्यम से लगातार बरसती अफीम। 

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