भारत में कोविड 19 के बढ़ते मामलों पर दुनिया की नजर, क्या कह रहा इंटरनेशनल मीडिया?
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार हरेक एक हजार आबादी पर एक डॉक्टर और 300 की आबादी पर एक नर्स होनी चाहिए, पर हमारे देश में 1511 लोगों पर एक डॉक्टर और 670 लोगों पर एक नर्स है...
वरिष्ठ पत्रकार महेंद्र पाण्डेय का विश्लेषण
अपने देश में कोविड 19 के मामले नियंत्रण से बाहर हो चुके हैं, पर चुनाव चल रहे हैं, कुम्भ का भव्य आयोजन किया जा रहा है और वो सबकुछ चल रहा है जिससे बीजेपी को फायदा हो सकता है। इस बीच अनेक देशों ने भारत से लोगों का जाना प्रतिबंधित कर दिया है और यूनाइटेड किंगडम जैसे देश भारत के कोविड 19 के वायरस के बदले स्ट्रेन का विस्तार से अध्ययन कर रहे हैं और हम अभी ऑक्सीजन खोज रहे हैं।
ब्रिटेन के समाचार पत्र द गार्डियन में प्रकाशित खबर का शीर्षक है- The System Has Collapsed: India's Descent Into Covid Hell. यह शीर्षक ही पूरी कहानी बता देता है। इसके अनुसार 17 अप्रैल को बिना मास्क लगाए और बिना सोशल डीस्टेंसिंग का पालन किये प्रधानमंत्री पश्चिम बंगाल की चुनावी रैली में बिना मास्क लगाए और जाहिर है बिना सोशल डीस्टेंसिंग वाली भीड़ देखकर भाव-विभोर हो रहे थे और खुशी से ऐलान भी किया कि ऐसी भीड़ उन्होंने कभी नहीं देखी है।
उस दिन देश में कोविड 19 के रिकॉर्ड 234000 मामले दर्ज किये गए थे और 1341 लोगों की मृत्यु हुई थी, हालांकि यह रिकॉर्ड हरेक दिन टूटता जा रहा है। प्रधानमंत्री की पश्चिम बंगाल की रैली के दिन कोलकाता में कोविड 19 के रिकॉर्ड 7713 मामले दर्ज किये गए थे। पश्चिम बंगाल चुनावों में तीन उम्मीदवारों की मृत्यु भी कोविड 19 से हो चुकी है। एक सप्ताह के भीतर ही देश में कोविड 19 के मरीजों की संख्या 16 लाख से अधिक रही और कुल मामले अब 1 करोड़ 60 लाख के पास पहुँच रहे हैं। पिछले 12 दिनों के भीतर ही देश में पोसिटीविटी रेट लगभग दुगुना होकर 17 प्रतिशत तक पहुँच गया और दिल्ली में तो यह 30 प्रतिशत तक है। एक खतरनाक तथ्य यह है कि कोविड 19 की इस लहर में युवा अधिक प्रभावित हो रहे हैं और 65 प्रतिशत मरीजों की उम्र 40 वर्ष से कम है।
देश में कोविड 19 के मामलों के बेकाबू होने का प्रमुख कारण देश के शीर्ष नेतृत्व की अक्षमता है। पब्लिक हेल्थ फोरम के मुखिया के श्रीनाथ रेड्डी के अनुसार पिछले वर्ष जून-जुलाई में जब कोविड के मामले बढे थे तब सरकार ने कुछ तत्परता दिखाई थी, फिर सितम्बर के बाद जब मामले कम होने लगे तब सरकारी स्तर पर ही यह प्रचारित किया जाने लगा कि मोदी जी के नेतृत्व में हमने कोरोना को हरा दिया। अनेक केन्द्रीय मंत्रियों और मुख्यमंत्रियों ने बाकायदा बताया कि कोरोना चला गया। उसके बाद जनता ने भी अपने नेताओं का अनुसरण किया और सारी सावधानियां भुला दी गईं। मुंबई के निरामय अस्पताल के निदेशक डॉ अमित थंडानी ने फरवरी के महीने में ही सरकार को चेताया था, पर इनकी बातों पर ध्यान नहीं दिया गया।
उन्होंने यह भी बताया था कि इसबार सबसे अधिक प्रभावित 20 से 30 वर्ष की उम्र वाले लोग होने वाले हैं। मुंबई के लीलावती अस्पताल के डॉ जलील पारकर के अनुसार सारी स्वास्थ्य व्यवस्था चरमरा गयी है, डोक्टर थक चुके हैं और बीएड, ऑक्सीजन, दावा, टीके और यहाँ तक की टेस्टिंग तक की व्यवस्था ध्वस्त हो चुकी है।
द गार्डियन के ही दूसरे लेख का शीर्षक है, India's Shocking Surge in Cases Follows Baffling Decline. इसमें बताया गया है कि सितम्बर 2020 से इस वर्ष के मध्य मार्च तक देश में कोविड की संख्या में रहस्यमय कमी आ गयी थी, पर उसके बाद जो लहर अब देखी जा रही है वैसा पूरी दुनिया में अबतक नहीं देखा गया है। जाहिर है, पूरी दुनिया में ऐसी सरकारी लापरवाही भी कहीं नहीं देखी गयी है। इसमें एक और लेख का शीर्षक है, India Reels From Second Covid Wave As Families Beg For Supplies On Social Media.।
द गार्डियन के ही अन्य लेख का शीर्षक है, India's Government has Abandoned its Citizens to Face a Deadly Second Wave| इसके अनुसार भारत में कोविड 19 का पहला मामला जनवरी 2020 में दर्ज किया गया था, पर दस लाख का आंकड़ा छूने में 16 जुलाई 2020 तक का समय लग गया| अब के आंकड़े 1 करोड़ 60 लाख के पास हैं। भारत अस्पतालों में बेड की उपलब्धता के मामले में कुल 167 देशों में 155वें स्थान पर है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार हरेक एक हजार आबादी पर एक डॉक्टर और 300 की आबादी पर एक नर्स होनी चाहिए, पर हमारे देश में 1511 लोगों पर एक डॉक्टर और 670 लोगों पर एक नर्स है। इस लेख के अनुसार सितम्बर 2020 के बाद जब मामले कम होने लगे तब सभी सरकारी और वैग्यानिक्क संस्थानों ने इस दिशा में काम करना छोड़ दिया, यहाँ तक की इस वायरस और संक्रमण का वैज्ञानिक अध्ययन भी नहीं किया गया, जिसका खामियाजा आज भुगत रहे हैं।
मृत्यु दर के आंकड़े भी अवैज्ञानिक हैं क्योंकि भारत एक ऐसा देश है, जहां मौत के आंकड़े भी लगातार नहीं संभाले जातेय़ देश में मौतों का अंतिम अध्ययन वर्ष 2018 में किया गया था। देश में वायरस के अध्ययन और जीन सिक्वेंसिंग के सन्दर्भ में दुनिया में सर्वश्रेष्ठ सुबिधायें मौजूद हैं, पर फण्ड की कमी का हवाला देकर दिसम्बर 2020 तक वायरस की जीन सिक्वेंसिंग का काम नहीं किया गया। जनवरी से इसे शुरू तो किया गया है पर रफ़्तार बहुत धीमी है, अब तक 1 प्रतिशत मरीजों से वायरस के नमूनों की जीन सिक्वेंसिंग नहीं की गयी है।
सरकारी लापरवाही और अदूरदर्शिता का अलाम यह है की दिसम्बर 2020 और फिर जनवरी 2021 के दौरान प्रेस और मीडिया के सामने देश के स्वास्थ्य मंत्री और विश्व स्वास्थ्य संगठन में एक महत्वपूर्ण कमिटी के अध्यक्ष डॉ हर्षवर्धन देश से कोरोना को भगाने का दावा कर चुके हैं। पिछले वर्ष के मध्य में सरकार ने 162 ऑक्सीजन प्लांट स्थापित करने का दावा किया था, पर इसके निविदा प्रक्रिया में ही 8 महीने लग गए। इनमें से 33 नए प्लांट स्थापित भी किये गए, पर चलने लायक महज 5 या 6 हैं।
दुनियाभर के अखबारों की हैडलाइन देखकर समझा जा सकता है कि दुनिया इस समय भारत को किस तरह से देख रही है। यूनाइटेड किंगडम के समाचार पत्र द इंडिपेंडेंट में प्रकाशित एक समाचार का शीर्षक है, Indian Journalist Live-Tweeting Wait For Hospital Bed Dies From Covid. इसी में प्रकाशित दूसरे समाचार का शीर्षक है, This Is Catastrophe: India Looked Like It Had Beaten Covid – What Changed? यूनाइटेड किंगडम के ही दूसरे समाचार समूह, बीबीसी की वेबसाइट पर एक समाचार का शीर्षक है, India's Covid 19 Patients Turn To Black Market. इसी में प्रकाशित दूसरी खबर का शीर्षक है, Wherever You Look, You See Ambulances And Bodies.
अमेरिका के न्यूयॉर्क टाइम्स में प्रकाशित समाचार का शीर्षक है, India's Health System Cracks Under The Strain As Coronavirus Cases Surge| इसी समाचारपत्र में प्रकाशित दूसरी खबर का शीर्षक है, India's Second Covid Wave Is Completely Out Of Control| अमेरिका से प्रकाशित पत्रिका न्यूज़वीक में प्रकाशित समाचार का शीर्षक है, Hospital Incorrectly Declared Covid 19 Patient Dead Twice, Family Claims| इसी में प्रकाशित दूसरे समाचार का शीर्षक है, Government Covid Helpline In India Tells Patients To Go and Die.
जापान से प्रकाशित जापान टाइम्स का शीर्षक है, India's Covid 19 Surge Hits New Record As Oxygen Runs Short| इसी में प्रकाशित दूसरा शीर्षक है, "Data Denial": Nonstop Cremations Cast Doubt On India's Tally Of Covid 19 Deaths. पाकिस्तान के समाचारपत्र द डौन का शीर्षक है, India Struggles With Covid Count, Bed Shortage: Political Rallies Continue.
यूनाइटेड अरब एमिरात के समाचारपत्र खलीज टाइम्स का एक शीर्षक है, Covid In India: Over 21K Tested Positive After Taking First Doze Of Vaccine, इसी में प्रकाशित दूसरे समाचार का शीर्षक है, One Third Of Indian Newspaper Filled With Covid 19 Obituaries. खलीज टाइम्स का ही एक और शीर्षक है, Covid – India's Export Of Liquid Oxygen Doubled During Pandemic Year. मध्य-पूर्व से प्रकाशित अल-जजीरा में एक शीर्षक है, Can India Control Record Breaking Covid 19 Infections? इसी में प्रकाशित दूसरे समाचार का शीर्षक है, India Covid Storm Hits New Records as Oxygen Supplies Run Short.
जाहिर है, ऐसे समय जब हमारा मीडिया कोविड 19 के मामलों को भी राजनैतिक रंग दे रहा है, पूरी दुनिया का मीडिया देश की अराजकता, सरकार की नाकामयाबी उजागर कर रहा है और चुनावों पर सवाल उठा रहा है। यह अपने देश के विश्वगुरु बनाने की पहली सीढ़ी है। सरकार कामेश कहती है कि हम मिलजुल कर कोरोना को हरायेंगें, पर कोरोना ने सबको अकेला कर दिया है| दूसरी तरफ सरकार इस महामारी को हराना भी नहीं चाहेगी, क्योंकि इससे बहुत सारे अघोषित अजेंडा पूरे करने में आसानी है, फिलहाल तो पश्चिम बंगाल जीतना है।