तिल के फायदे, उपयोग और नुकसान | Til ke Fayde, Kaise Upyog kren, Kya hai Nuksan Hindi
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तिल का इस्तेमाल तो लगभग सभी के घरों में किया जाता है, सर्दियों में तिल का सेवन करना हमारे स्वास्थ्य के लिए काफी अच्छा रहता है। क्योंकि ये गर्म तासीर का होता है, जिससे शरीर को अंदर से गर्माहट मिलती है। साथ में कई तरह के पोषक तत्व भी पाए जाते हैं। तिल में मोनो-सैचुरेटेड फैटी एसिड मौजूद होता है, जो हमारे शरीर में मौजूद कॉलेस्ट्रॉल की मात्रा को कम करता है। इसके अलावा तिल में कई एंटीऑक्सीडेंट पाए जाते हैं, जो हमें कई रोगों से बचाते हैं। तिल की यह खूबी आपको कई तरह की समस्याओं से दूर रखती है। तिल में विटामिन-बी और फैटी एसिड्स ,आयरन, जिंक, प्रोटीन,कॉपर, फाइबर, कार्ब्स, हेल्दी फैट्स, मैग्नीशियम और कैल्शियम भी प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं। आइये जानते हैं सही समय पर, सही मात्रा में तिल का सेवन करके हम कैसे अपने तन ओर मन को स्वस्थ रख सकते हैं, ओर क्या हैं तिल खाने के फायदे और नुकसान, तिल को कैसे खाना चाहिए।
क्या हैं तिल खाने के अद्भुत फायदे
तिल में नियासिन (Niacin) नाम का विटामिन होता है, जो तनाव और डिप्रेशन को कम करने में मदद करता है। तिल में विटामिन-बी कॉम्प्लैक्स व प्रोटीन प्रचुर मात्रा में पाये जाते हैं जिससे ना सिर्फ़ बढ़ती उम्र का असर कम होता है, बल्कि मष्तिष्क की कोशिकाएँ और मांसपेशियां ज़्यादा सक्रिय रहती हैं।
तिल में मोनो-सैचुरेटेड फैटी एसिड मौजूद होता है जो हमारे शरीर में मौजूद कॉलेस्ट्रॉल की मात्रा को कम करता है। इसके अलावा तिल में कई एंटीऑक्सीडेंट पाए जाते हैं, जो हमें कई रोगों से बचाते हैं। तिल की यह खूबी आपको कई तरह की समस्याओं से दूर रखती है। दरअसल सर्दियों में तिल का सेवन काफी फायदेमंद माना जाता है तो चलिए जानते हैं कि आखिर कैसे आप इसका सेवन करके बहुत सारे फायदे उठा सकते हैं।
बाल संबंधी समस्या दूर करने के लिए
समय पहले बाल सफेद होना, बालों का झडऩा, गंजेपन की समस्या में और बेजान बालों में नई चमक लाने के लिए काले तिल का प्रयोग फायदा देता है। तिल से बाल मुलायम, मजबूत और काले होते हैं। तिल का तेल बालों को भीतर से पोषण देने का काम करता है। तिल बालों की जड़ों को मज़बूती देने का काम करता है, इसमें मौजूद ओमेगा फ़ैटी एसिड बालों को बढ़ने में मदद करने के साथ झड़ने से रोकता है. स्कैल्प (बालों की जड़े) में नमी बनाए रखने का भी काम करता है.
तिल में प्रोटीन की मात्रा
100 ग्राम तिल में प्रोटीन की मात्रा लगभग 18 ग्राम होती है।
मोटापा
तिल में क्षारीय प्रकृति का गुण होता है, जोकि पेट के एसिड को कम करता हें जिससे मोटापा भी कम होता है। तिल के तेल का सेवन करने से HDL बढ़ता है , जोकि मोटापा कम करने में काफी कारगर होता है।
मजबूत दांत के लिए :-
खास बात है कि इन तिलों को चबाने से मसूढ़े मजबूत होते हैं। इसके अलावा चबाने के बाद ऊपर से थोड़ा पानी पीने से दांत मजबूत होते हैं। यदि पायरिया की समस्या है तो मुंह में २ मिनट तक तिल का तेल रखकर कुल्ला करने से लाभ होता है।
ताकत और एनर्जी पाने के लिए
तिल में मौजूद प्रोटीन पूरे शरीर को भरपूर ताकत और एनर्जी से भर देता है। इससे मेटाबोलिज्म भी अच्छी तरह काम करता है। जिससे पुरे शरीर में ताकत और एनर्जी रहती है।
तिल के औषधि गुण
तिल का तेल त्वचा के लिए बहुत ही फायदेमंद होता है। इसकी मदद से त्वचा को जरूरी पोषण मिलता है और इसमें नमी बरकरार रहती है। हड्डियों की मजबूती के लिए सहायक तिल में अमीनो एसिड, कैल्शियम, फॉस्फोरस और जिंक पाया जाता है। यह हड्डियों को बनाने और उन्हें मज़बूत करने में सहायता करता है।इसके अलावा यह मांस-पेशियों के लिए भी बहुत फायदेमंद है। उम्र बढ़ने के साथ शरीर में कई तरह के बदलाव देखने को मिलते हैं , जिससे शरीर में कई तरह की बीमारियाँ और विकृति आने लगती हैं उम्र बढ़ने के साथ घुटने में यूरिक एसिड (अम्ल ) की मात्रा भी बढ़ने लगती है जिससे घुटनों में काफ़ी दर्द रहने लगता है इस परेशानी में तिल का सेवन किसी रामबाण से कम नहीं है।
कैंसर कोशिकाओं को बढ़ने से रोकना
तिल में सेसमीन नाम का एन्टीऑक्सिडेंट पाया जाता है जो कैंसर कोशिकाओं को बढ़ने से रोकता है। अपनी इस खूबी की वजह से ही यह लंग कैंसर, पेट के कैंसर, ल्यूकेमिया, प्रोस्टेट कैंसर, ब्रेस्ट कैंसर होने की आशंका को कम करता है।
कोलेस्ट्रोल को कम करता है
तिल में मोनो-सैचुरेटेड फैटी एसिड होता है जो शरीर से कोलेस्ट्रोल को कम करता है।
दिमाग की कोशिकाओं और मांसपेशियों को सक्रिय रखना
तिल के तेल से शरीर में मालिश करने से शरीर में बुढ़ापा जल्दी नहीं आता। इसकी मालिश करने से थकावट भी दूर होती है।आमतौर पर दिमाग की बनावट लैसीथीन द्रव्य से होती है जो कि काले तिल में भरपूर होता हे। इसे नियमित खाने से दिमाग की कोशिकाओं और मांसपेशियों को ताकत मिलती है। तिल में विटामिन-बी कॉम्प्लैक्स व प्रोटीन प्रचुर मात्रा में होते हैं। काले तिल बढ़ती उम्र के असर को भी कम करते हैं।
काले तिल खाने के फायदे
काले तिल में काफी मात्रा में फाइबर और अनसैचुरेटेड फैट होता है, जो आपको कब्ज की समस्या से राहत प्रदान कर सकता है।
तिल फाइबर से भरपूर मात्रा में पाया जाता है जिससे फाइबर डाइजेशन सिस्टम को स्वस्थ रखने में सहायक होता है। फाइबर ही भोजन को आगे ले जाने में अहम भूमिका अदा करता है। यह कब्ज जैसी समस्या को कम करने में मददगार साबित होता है।
सफेद तिल और दूध:
सफेद तिल के दूध का बादाम के साथ सेवन करने से बालों की जड़ों को पोषण मिलता है।
सफेद तिल के फायदे
तिल में कुछ ऐसे तत्व और विटामिन पाए जाते हैं जो तनाव और डिप्रेशन को कम करने में सहायक होते हैं। तिल में उपस्थित लेसिथिन नामक रसायन कोलेस्ट्रोल के बहाव को रक्त नलिकाओं में बनाए रखने में मददगार होता है। इसमें नियासिन (Niacin) नाम का विटामिन होता है जो तनाव और अवसाद को कम करने में मदद करता है।
दिल के स्वास्थ्य के लिए
तिल में कई तरह के लवण जैसे कैल्शिेयम, आयरन, मैग्नीशियम, जिंक और सेलेनियम होते हैं जो हृदय की मांसपेशियों को सक्रिय रूप से काम करने में मदद करते हैं तिल के तेल में मुख्य रूप से अनसैचुरेटेड फ़ैट होता है, जो हमारे दिल के स्वास्थ्य के लिए काफ़ी फ़ायदेमंद रहता है। तिल के तेल के पोषण मूल्य चार्ट के अनुसार, प्रति 100 ग्राम तिल के तेल में 40 ग्राम मोनोअनसैचुरेटेड फ़ैट, 42 ग्राम पॉलीअनसैचुरेटेड फ़ैट और लगभग 14 ग्राम सैचुरेटेड फ़ैट होता है। खाना पकाने वाले सभी तेल में ये तीन प्रकार के फ़ैट मौजूद होते हैं। लेकिन इन तीनों फ़ैट के संतुलन पर निर्भर करता है कि वे हमारे लिए कितने स्वास्थ्यवर्धक और कितने हानिकारक हैं।
ब्लड प्रेशर को संतुलित रखने में
मैग्नीशियम से भरपूर तिल, हायपरटेंशन को रोकने में मदद करता है , तिल के तेल में मौजूद पॉलीअनसैचुरेटेड फ़ैट और सेस्मिन, ब्लड प्रेशर को संतुलित रखने का काम करता है।
तिल को कैसे खाना चाहिए
प्रतिरोधक क्षमता बढेगी
इसके लिए 1-2 माह तक 2 चम्मच तिल रोजाना चबाकर खाने या इससे बने पदार्थ खाए जैसे तिल गुड़ मिलाकर चिक्की या पट्टी खायी जा सकती हैं इसके तेल की मालिश भी शरीर की प्रतिरोधात्मक क्षमता बढ़ाती है।
खूनी बवासीर ठीक करने के लिए
बवासीर की किसी भी स्टेज में तिल को पीसकर मक्खन में मिलाकर खाने से लाभ होता है।
घुटने का दर्द
500 ग्राम तिल्ली के तेल में राई, अजवाइन, सौंठ, लहसुन तीनों ही 5-5 ग्राम की मात्रा में मिलाकर दो मिनट उबालें। फिर तेल को छानकर घुटनों की 5 मिनट तक हल्की मालिश करें।
क्या हैं तिल खाने के नुकसान
जहाँ तिल खानें के अनगिनत फायदें हैं, वहीं कुछ नुकसान भी हैं। तिल की तासीर काफी गर्म होती है , इसलिए इसका ज्यादा सेवन करना भी पेट में दर्द की समस्या, अपचन की समस्या उत्पन्न कर सकता है । तिल का ज्यादा प्रयोग से शरीर में एलर्जी की समस्या , त्वचा में लालीपन, त्वचा में खुजली, आँखों में सूजन हो सकती है । यदि किडनी की समस्या से जूझ रहें हैं तो तिल का प्रयोग ना करें ।
यौन -शक्ति को बढ़ाने में भी कैसे कारगर हैं तिल का तेल
आयुर्वेद में कई तरह के तेलों का जिक्र हुआ है जो यौन शक्ति को बढ़ाने के साथ-साथ कई तरह की बीमारियों पर असरदार हैं। अगर आप अपनी सेक्स लाइफ से संतुष्ट नहीं है। तिल के तेल में नियासिन (Niacin)नाम का पदार्थ होता है जोकि तनाव और डिप्रेशन को कम करता है। जिससे ज्यादा देर तक यौन सुख का आनंद ले सकते हैं। जहां तक बात है मालिश के लिए ऑयल की, तो आयुर्वेद के अनुसार मालिश के लिए सबसे बेहतर ऑयल है तिल का तेल।
सेक्स पावर बढ़ाने के लिए तेल का इस्तेमाल प्राचीन काल से ही होता आ रहा है आयुर्वेद में कुछ ऐसे तेल है, जो सेक्स पॉवर और यौन उत्तेजना बढ़ाने का काम करते हैं। लोग अपनी सेक्स क्षमता को बढ़ाने के साथ ही इन तेलों का उपयोग इच्छाओं और कामुक भावनाओं को जगाने के लिए करते आ रहें हैं।