Uttarkashi Tunnel Rescue : हम सुरंगों के बीच अपनी जिंदगी-घुटन की कल्पना और भविष्य के बीच सिल्क्यारा की सुरंग पर बैठे हैं नजर गड़ाये...
पिछले 12 साल से इस सुरंग में यह मशीन फंसी है, सुरंग से पानी लगातार निकल रहा है, 2021 की त्रासदी यह सुरंग देख चुकी है, जोशीमठ नगर का धंसाव व संकट इस सुरंग से जुड़ा है, इस सुरंग के ऊपर स्थित गांवों में भी धंसाव व दरारें आईं हैं....
जोशीमठ बचाओ अभियान के संयोजक और सामाजिक-राजनीतिक कार्यकर्ता अतुल सती की टिप्पणी
Uttarkashi Tunnel Rescue : जहां एक तरफ पिछले 17 दिन से उत्तरकाशी के सिलक्यारा में एक सुरंग के मलवे की दीवार के पीछे 41 मजदूर जिंदगी और मौत की जंग लड़ रहे हैं, वहीं यह भी एक तथ्य है कि यह कोई पहली घटना नहीं है जहां सुरंग में हादसा हुआ हो। 7 फरवरी 2021 की रिणी तपोवन की आपदा और उस आपदा में सुरंग के अंदर दफन हो गई 200 से ज्यादा जिंदगियां हमारी बहुत जल्द भूल जाने की आदत या भुलवा दिए जाने की तमाम कवायद के वावजूद भी स्मृति में अभी ताजा हैं। कारण कि तबसे हिमालय में लगातार ऐसी घटनाओं आपदाओं की श्रृंखला शुरू हो गयी है।
इसी तपोवन विष्णुगाड़ जल विद्युत परियोजना की 12 किलोमीटर लम्बी सुरंग में 24 दिसम्बर 2009 को एक हादसा हुआ, जिसमें सेलंग गांव अथवा सुरंग के पावर हाऊस वाले हिस्से की तरफ से टनल बोरिंग माशीन की मदद से खोदी जा रही सुरंग में साढ़े चार किलोमीटर की दूरी पर मशीन के ऊपर एक बड़ा बोल्डर खुदाई के दौरान गिरा। बोल्डर के गिरने के साथ ही उस जगह से पानी का एक स्रोत फूट पड़ा, जिससे 700 लीटर पानी प्रति सेकण्ड बहने लगा।
इस घटना के बाद दो अरब रुपये के लगभग की मशीन वहीं फंस गई। काम रुक गया। इसके बाद जोशीमठ के जलस्रोतों पर संकट को देखते हुए और परियोजना से होने वाले नुकसान तबाही के आसार की आशंका से उपजे आक्रोश से एक लंबा आन्दोलन सड़क पर जोशीमठ में परियोजना के खिलाफ पुनः शुरू हुआ।
इस परियोजना के शुरू होने से पहले भी इसके खिलाफ एक लंबा आन्दोलन चला था, जो कि इन्ही आशंकाओं पर आधारित था जो अब 2009 में सच हो गई थीं।
तीन माह के धरना प्रदर्शन के बाद परियोजना निर्मात्री कम्पनी के साथ एक लिखित समझौता हुआ, जिसकी मध्यस्थता केन्द्रीय ऊर्जा मंत्री ने की। इसमें कम्पनी ने यह स्वीकारते हुए कि, परियोजना की सुरंग से पानी निकलने के कारण जोशीमठ के जल स्रोतों पर असर होगा और भविष्य में पेयजल की किल्लत होगी, जोशीमठ में दीर्घकालिक पेयजल योजना हेतु धन उपलब्ध कराने पर सहमत हुई। इसके साथ ही जोशीमठ के घर मकानों का बीमा करने (क्योंकि परियोजना की सुरंग से इनमें दरारें आने, टूटने का खतरा था) पर भी सहमति हुई। इसके साथ ही परियोजना की पुनर्समीक्षा हेतु एक उच्चस्तरीय कमेटी गठन पर भी सहमति हुई।
इसके बाद टनल बोरिंग मशीन (टीबीएम) को ठीक करने आगे बढ़ाने के बहुत प्रयास हुए। विदेशों से तमाम इंजीनियर टेक्नीशियन बुलाए गए। मुख्य सुरंग के समानांतर एक बायपास सुरंग खोदी गई, जिससे मशीन के आगे जाकर उसे ठीक किया जा सके।
उसके बाद कुछ समय के लिए मशीन ने थोड़ा काम किया और कुछ आगे सरकी, लेकिन फिर सन 2012 में सुरंग में एक और पानी का स्रोत फूट पड़ा, जिसके बाद इस सुरंग का कार्य कर रही कम्पनी एल एंड टी (लार्सन एंड टूब्रो) इस काम को छोड़कर चली गई। उसने परियोजना निर्मात्री कम्पनी पर धोखा देने या उनको अंधेरे में रखने का भी आरोप लगाया। उनका कहना था कि जहां यह सुरंग बनाई जा रही है यह सुरक्षित क्षेत्र नहीं है, साथ ही मानकों का प्रयोग नहीं किया जा रहा है, जिसके बाद एंटीपीसी ने उनका हर्जाना देकर मामला निपटाया।
पिछले 12 साल से इस सुरंग में यह मशीन फंसी है। सुरंग से पानी लगातार निकल रहा है। 2021 की त्रासदी यह सुरंग देख चुकी है। जोशीमठ नगर का धंसाव व संकट इस सुरंग से जुड़ा है। इस सुरंग के ऊपर स्थित गांवों में भी धंसाव व दरारें आईं हैं।
अभी हम उत्तरकाशी में सुरंग से 41 मजदूरों के बाहर निकलने की प्रतीक्षा में हैं... और रेल की सुरंगों में तेजी से कार्य गतिमान है...और बहुत सी और सुरंगों की योजना-सपने हमारे योजनाकारों की फाइलों में हैं... हम जो यहां के निवासी हैं इन सुरंगों के बीच अपनी जिंदगी और घुटन की कल्पना और भविष्य के बीच सिल्क्यारा की सुरंग पर टकटकी बांधे नजर गड़ाए हैं...!