मोदीराज में त​थाकथित गौरक्षक गढ़ रहे आतंकवाद की नई परिभाषा, 10 सालों में 55 लोगों की ली जान !

अकेले वर्ष 2023 में 421 ऐसी परियोजनाओं को मोदी सरकार द्वारा स्वीकृति दी गयी, जिनका क्षेत्र वन्यजीव अभयारण्य के भीतर है। वर्ष 2019 से 2024 के बीच देश में जंगली हाथियों ने 2727 लोगों को और बाघों ने 349 लोगों को मार डाला है...

Update: 2024-10-03 11:26 GMT

 गाय का धर्मशास्त्र या अर्थशास्त्र : 20 साल में बदल गया सबकुछ

महेंद्र पाण्डेय की टिप्पणी

We are living in an era where only political news are generated, propagated and discussed in the name of news. However, sometimes animals also make news : हमारे देश में जानवर-केन्द्रित समाचारों में दो प्रकार के समाचार ही नजर आते हैं – पहला तो मनुष्य और जंगली जानवरों के भिडंत का होता है और दूसरा सत्ता समर्थित तथाकथित गौरक्षकों द्वारा ह्त्या या हमले से सम्बंधित रहता है। हाल में ही उत्तर प्रदेश के बहराइच से भेड़ियों द्वारा बच्चों पर हमले की खबरें लगातार आती रही हैं। मार्च से सितम्बर के बीच भेड़ियों के इस झुण्ड ने 10 बच्चों को मार डाला और 35 से अधिक लोगों को घायल किया।

जंगली जानवर भले ही भयानक लगते हों और कई मामलों में मनुष्यों को मार डालते हों, पर बीजेपी शासन में सत्ता समर्थित तथाकथित गौरक्षक आतंकवाद की एक नई परिभाषा गढ़ रहे हैं। पिछले 10 वर्षों में इस गिरोह ने देशभर में लगभग 50 हमलों में 55 लोगों की हत्या की है और 95 लोगों को घायल किया है। बीजेपी में इन हत्यारों को सामाजिक और राजनीतिक तौर पर सम्मानित किया जाता है।

साइंस एडवांसेज नामक जर्नल में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार वर्ष 2070 तक दुनिया के 57 प्रतिशत हिस्से में मानव-जानवर भिडंत के मामलों में वृद्धि होगी। यह वृद्धि जिन क्षेत्रों में सबसे अधिक होगी उसमें भारत भी शामिल है। यूनिवर्सिटी ऑफ़ मिशिगन के वैज्ञानिकों ने इस अध्ययन को किया है। भारत की आबादी लगातार बढ़ती जा रही है और दूसरी तरफ जंगलों को लगातार तबाह किया जा रहा है।

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पिछले 10 वर्षों के दौरान केंद्र सरकार ने वनों के क्षेत्र में 8731 परियोजनाओं को स्वीकृति दी, जिसके तहत लगभग 1 लाख हेक्टेयर वन-क्षेत्र का उपयोग गैर-वन गतिविधियों में किया जा सकेगा। इन परियोजनाओं में से 881 परियोजनाओं का दायरा वन्यजीव अभयारण्य या राष्ट्रीय उद्यान के भीतर है। अकेले वर्ष 2023 में 421 ऐसी परियोजनाओं को मोदी सरकार द्वारा स्वीकृति दी गयी, जिनका क्षेत्र वन्यजीव अभयारण्य के भीतर है। वर्ष 2019 से 2024 के बीच देश में जंगली हाथियों ने 2727 लोगों को और बाघों ने 349 लोगों को मार डाला है।

कभी-कभी जानवरों से सम्बंधित कुछ अलग किस्म की खबर भी आ जाती है। उत्तर प्रदेश के बागपत में बंदरों के एक झुण्ड ने एक बालिका की आबरू बचाई। वहां किसी व्यक्ति ने एक नाबालिग बालिका को बहला-फुसला कर गलत इरादे से एक निर्जन मकान पर ले गया। इससे पहले कि वह व्यक्ति कुछ गलत हरकत कर पाता, बंदरों के एक झुण्ड ने उस पर हमला कर उसे घायल कर दिया, और इस बीच लड़की वहां से सुरक्षित निकल गयी।

उत्तर प्रदेश के ही झांसी में एक कुत्ते ने बच्चो को सांप से बचाया। बच्चे घर के लॉन में खेल रहे थे, इसी बीच एक कोबरा सांप उनके ठीक पास आ गया। घर में पिटबुल नस्ल का पालतू कुत्ता जंजीर से बंधा था। उसकी नजर जैसे ही सांप पर पडी, उसने ताकत लगाकर जंजीर को तोड़ डाला और फिर सांप पर हमला कर उसे मार डाला। यह उल्लेखनीय है कि भारत सरकार ने मार्च 2024 में कुत्ते की 23 नस्लों के आयात, बिक्री और ब्रीडिंग को प्रतिबंधित किया है, जिसमें पिटबुल भी शामिल है।

जयपुर में स्थित अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त अलबर्ट हाल स्थित संग्रहालय में और आसपास चूहों का आतंक इस कदर बढ़ गया कि इनसे निपटने के लिए इस संग्रहालय को दो दिनों के लिए बंद करना पडा था। हाल में ही मुंबई के सिद्धिविनायक मंदिर में चूहों द्वारा प्रसाद के कुतरने की खबर भी आई थी।

महाराष्ट्र सरकार ने गायों का राजनीतिक इस्तेमाल किया है। वहां विधानसभा चुनावों की घोषणा से ठीक पहले राज्य सरकार ने देसी नस्ल की गायों को “राज्यमाता-गौमाता” का दर्जा दिया है। जाहिर है, राज्य सरकार को लगता है की गायें उन्हें चुनाव जीतने में मदद पहुंचायेंगी।

समाचारों के और समाज के ध्रुवीकरण के दौर में सामाजिक सरोकारों और पर्यावरण से सम्बंधित खबरें खोजना कठिन है। फिर भी जानवरों ने अपने बलबूते पर कुछ खबरें गढ़ ही ली हैं। एक समाचार तो यह भी है कि एयर इंडिया की दिल्ली से न्यूयॉर्क जा रही फ्लाइट में परोसे जाने वाले खाने में तिलचट्टा मिला। यह शिकायत उस फ्लाइट में सफ़र कर रही पत्रकार सुयेशा सावंत ने दर्ज कराई है।

संदर्भ:

https://www.science.org/doi/10.1126/sciadv.adp7706

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