योगी के जिस UP में दिनदहाड़े मारी गयी चंद्रशेखर आजाद को गोली, भारी सुरक्षा घेरे में अतीक और अशरफ की हत्या, उसका कानून व्यवस्था में पहला स्थान

उत्तर प्रदेश महिलाओं के विरुद्ध अपराधों में पहले स्थान पर था – देश में महिलाओं के विरुद्ध सभी अपराधों में अकेले इस राज्य का योगदान 66 प्रतिशत से अधिक था। दलितों के विरुद्ध अपराध दर लगभग 29 प्रतिशत है। उत्तर प्रदेश में मुस्लिम आबादी 20 प्रतिशत है, पर पुलिस एनकाउंटर में 37 प्रतिशत जानें मुस्लिमों की ली गईं, और पुलिस कस्टडी में कुल 443 हत्याओं में अधिकाँश मुस्लिम ही थे....

Update: 2023-07-01 02:38 GMT

file photo

महेंद्र पाण्डेय की टिप्पणी

Despite very high crime rate and corruption level, Uttar Pradesh is advertised as number one state in the country in the context of law and order. प्रधानमंत्री मोदी को रेलवे से बहुत लगाव है, तभी तो हरेक नई ट्रेन को हरी झंडी दिखाने का काम वही करते हैं। हरी झंडी दिल्ली में बैठे-बैठे वर्चुअल दिखाएँ या फिर प्लेटफोर्म पर खड़े होकर – यह उस राज्य में कब चुनाव होंगे, इस पर निर्भर करता है।

यदि किसी राज्य में चुनाव जल्दी हों तो प्रधानमंत्री के तौर पर झंडी दिखाकर प्रधानमंत्री जी राजकीय सुख-सुविधा का लाभ उठाते हुए देश का नहीं बल्कि बीजेपी का काम करने लगते हैं, रैलियाँ करते हैं, कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हैं और चुनावी भाषण देते हैं। रेलवे से लगाव का एक उदाहरण बीजेपी शासित राज्यों को “डबल इंजन” की सरकार का तमगा देना भी है। हरेक बीजेपी शासित राज्य प्रचार तंत्र से डबल इंजन सरकार का प्रचार करता नजर आता है।

इन दिनों उत्तर प्रदेश सरकार का क़ानून और व्यवस्था से सम्बंधित एक विज्ञापन समाचार चैनलों पर बार-बार दिखाया जाता है। इस विज्ञापन में पहले तो डबल इंजन सरकार का जिक्र है और फिर उत्तर प्रदेश में रामराज्य का। उत्तर प्रदेश सरकार का विज्ञापन अगर अपनी सत्ता को राजराज्य कहता है तो फिर जाहिर है आदित्यनाथ सत्ता-प्रायोजित “राम” हैं।

उत्तर प्रदेश सरकार को एक सर्वेक्षण इस विषय पर कराना चाहिये कि कितनी प्रतिशत जनता आदित्यनाथ को राम के तौर पर स्वीकार करती है और यदि जनता का बहुमत उन्हें राम मानता है तो फिर उन्हें ही मंदिरों में स्थापित कर देना चाहिए। उत्तर प्रदेश सरकार को यह भी प्रचारित करना चाहिए कि भगवान राम वाला रामराज्य भी डबल इंजन सरकार थी।

इसी विज्ञापन में उत्तर प्रदेश को क़ानून-व्यवस्था के सन्दर्भ में देश में पहले स्थान पर बताया गया है। उत्तर प्रदेश सरकार को यह खुलासा करना चाहिए कि पहले स्थान के आकलन का स्त्रोत आदित्यनाथ के तमाम आत्ममुग्ध बयानों के अतिरिक्त और क्या है। जिस राज्य में दिन-दहाड़े चंद्रशेखर रावण को गोली मारी जाती हो, अतीक अहमद और उनके भाई पर सशस्त्र पुलिस घेरे पर गोलियां बरसाईं जाती हों, बलात्कार की एक खबर प्रकाशित होने तक दूसरी ऐसी घटना हो जाती हो और पुलिस एक धर्मविशेष के विरुद्ध काम करती हो – फिर भी वह राज्य यदि क़ानून-व्यवस्था में पहले स्थान पर है तो वाकई यह देश के लिए दुर्भाग्यपूर्ण है।

आदित्यनाथ हमेशा बताते हैं कि उनके समय एक भी दंगे नहीं हुए – उन्हें यह भी बताना चाहिए कि उनके राज्य में जय श्री राम का नारा लगाकर और भगवा झंडा लहराकर कितनी हत्याएं की गईं और जिनकी हत्याएं की गईं उनका धर्म क्या था? आदित्यनाथ को यह भी स्पष्ट करना चाहिए कि अनगिनत पुलिस एनकाउंटर्स में मारे गए लोगों का और बुलडोज़र से ढहाए गए घरों में रहने वाले लोगों का धर्म क्या था? किसी को कुचलने के लिए दंगे ही कराये जाएँ यह जरूरी तो नहीं।

पिछले 6 वर्षों के दौरान उत्तर प्रदेश में 10,900 पुलिस एनकाउंटर किये गए हैं। वर्ष 2020-2021 के दौरान राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग को पुलिस अधिकारियों के खिलाफ 11130 शिकायतें मिलीं, जिसमें लगभग आधी यानि 5388 अकेले उत्तर प्रदेश से मिलीं। वर्ष 2021 में उत्तर प्रदेश महिलाओं के विरुद्ध अपराधों में पहले स्थान पर था – देश में महिलाओं के विरुद्ध सभी अपराधों में अकेले इस राज्य का योगदान 66 प्रतिशत से अधिक था। दलितों के विरुद्ध अपराध दर लगभग 29 प्रतिशत है। उत्तर प्रदेश में मुस्लिम आबादी 20 प्रतिशत है, पर पुलिस एनकाउंटर में 37 प्रतिशत जानें मुस्लिमों की ली गईं, और पुलिस कस्टडी में कुल 443 हत्याओं में अधिकाँश मुस्लिम ही थे।

आदित्यनाथ के साथ ही प्रधानमंत्री मोदी उत्तर प्रदेश में लगातार बढ़ते निवेश की चर्चा करते हैं। नए निवेश के सभी सम्बंधित विभागों से अनुमति और अप्रूवल के लिए ही इंटीग्रेटेड वेबसाइट बनाई गयी है। दावा है कि इससे अप्रूवल लेने ई अवधि कम होगी और भ्रष्टाचार ख़त्म होगा। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री को शायद अपने राज्य में व्याप्त भ्रष्टाचार की खबर ही नहीं है – इन लोगों को एक बार अपने राज्य में पर्यावरण स्वीकृति और प्रदूषण नियंत्रण के एनओसी की स्वीकृति का नजदीकी आकलन करना चाहिए। उत्तर प्रदेश में प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड पूरी देश के सभी विभागों में सबसे अधिक भ्रष्ट विभाग है, जिसके हरेक कार्यालय के साथ ही मुख्यालय में खुलेआम भ्रष्टाचार व्याप्त है और एनओसी स्वीकृत नहीं बल्कि बेची जाती है, जिसका बेसप्राइस 10 लाख रुपये है।

पर्यावरण स्वीकृति में भी यही स्थिति है। उत्तर प्रदेश में भ्रष्टाचार की सुनवाई भी नहीं की जाती है – सबन्धित विभागों में तो नीचे से ऊपर तक के सभी कर्मचारी/अधिकारी खुलेआम रिश्वत माँगते है, जाहिर है कोई भी विभाग अपने यहाँ के भ्रष्टाचार पर कोई कार्यवाही नहीं करेगा। चीफ सेक्रेटेरी के यहाँ शिकायत पर कोई कार्यवाही नहीं होती। मुख्यमंत्री के यहाँ शिकायत करने पर बताया जाता है कि शिकायत के लिए बनाए गए समाधान पोर्टल पर शिकायत करें। इस पोर्टल पर शिकायत करने पर शिकायत को असंबंधित विभाग में भेज दिया जाता है, जाहिर है ऐसा विभाग “शिकायत विभाग से सम्बंधित नहीं” बताकर मामले को रफादफा कर देता है।

प्रधानमंत्री जी ने जलियांवालाबाग को एक पिकनिक स्थल के तौर पर विकसित किया है तो दूसरी तरफ पूरे देश को ही जलियांवालाबाग़ बना डाला है – जिसमें हत्यारे नरसंहार के लिए स्वछन्द हैं। अब हत्यारे की कोई शक्ल नहीं होती – पुलिस, प्रशासन, सत्ता से करीबी के मद में डूबे अंधभक्त – अब सभी हत्यारे हैं। उत्तर प्रदेश में क़ानून और व्यवस्था के नाम पर पुलिसिया और प्रशासनिक जुर्म पूरी दुनिया देख रही है, पर प्रधानमंत्री, गृहमंत्री और बीजेपी अध्यक्ष को उत्तर प्रदेश के तानाशाह आदित्यनाथ के राज में उत्तरप्रदेश की क़ानून व्यवस्था पूरे देश से बेहतर नजर आती है। जाहिर है, प्रधानमंत्री और उनके मंत्री-संतरी के सपनों का भारत ऐसा ही है जहां हत्यारे शासन कर रहे हों, पुलिस उग्रवादी बन चुकी हो, समर्थक उन्मादी भीड़ तंत्र चला रहे हों, भ्रष्टाचार चरम पर हो और जनता बस कराह रही हो। जिन लोगों को मोदीमय गुजरात में क़ानून-व्यवस्था की हालत पर जरा सी भी शंका हो, वे आज के दौर का उत्तर प्रदेश देख लें – फिर स्पष्ट हो जाएगा कि मुख्यमंत्री मोदी ने अपने शासन के दौरान गुजरात में कितने परदे डाले थे और गुजरात मॉडल वाकई में कैसा था।

इस पूरी कवायद में पुलिस ने अपना क्रूरतम चेहरा दिखा दिया, पर जिस व्यवस्था को बढ़ावा पुलिस दे रही है वह उसी के लिए घातक बनता जा रहा है। पुलिस और प्रशासन का तंत्र ही पूरी तरह से ध्वस्त हो चुका है। पुलिस अब केवल राजनीती का मोहरा बन कर रह गयी है, और राजनीति में नीतियों का विरोध करने वाले अपराधी और शातिर अपराधी हिमायती होते हैं। अब यही पुलिस के वर्ताव में शामिल हो गया है। आन्दोलनकारियों को बिना किसी जुर्म के चन्द मिनटों में सलाखों के पीछे पहुंचाने वाले हाथ अपने ही साथियों की मौत के बाद भी खाली रहते हैं।

यह वही पुलिस है जो बलात्कारियों को सुरक्षा देती है और पीड़ित की हत्या करवा देती है। सामान्य लोगों के लिए पुलिस बल का नाम यदि दमन बल रख दिया जाए तब भी कोई फर्क नहीं पड़ेगा क्यों कि पुलिस अब यही करती है। धीरे धीरे समय के साथ पुलिस वास्तविक अपराधियों को अपराधी समझना, उनसे निपटना और पकड़ना ही भूल गई है, क्योंकि उसे निरपराध जनता ही अपराधी नजर आती है, और उसे बिना मशक्कत के कभी भी पकड़ा जा सकता है, या उसका एनकाउंटर कर प्रमोशन पाया जा सकता है। पुलिस को यह भी स्पष्ट हो गया कि दंगे भड़काकर केवल एक समुदाय को निशाना बनाकर किस तरह से राज्य और केंद्र के नेताओं से वाहवाही बटोरी जा सकती है।

इन सबके बीच सामाजिक तौर पर नुकसान पुलिस बल को ही हो रहा है। कोई बुद्धिजीवी और मानवाधिकार कार्यकर्ता पुलिस वालों की हत्या पर आवाज नहीं उठाते। ऐसे समाचार कुछ दिनों में खुद मर जाते हैं। फिर भी राजनीति जारी है। योगी जी ने ताल ठोक कर बार बार कहा था, अब प्रदेश में अपराधी नहीं हैं, या तो मार दिए गए या फिर दूसरे राज्यों में एक्सपोर्ट कर दिए गए। जाहिर है उसके बाद जितने भी अपराध प्रदेश में हुए, सब पुलिस, अंधभक्त और प्रशासन ने किये, तभी तो सब पर प्रशासन और पुलिस ने लीपापोती की, अब पुलिस ही अपराधी है और अपराधी पहले से अधिक दबंग होते चले गए।

यही प्रधानमंत्री जी का उत्तम प्रदेश है, इसके साथ ही वे क़ानून व्यवस्था के सन्दर्भ में अपने विज़न को जनता के सामने बार-बार प्रस्तुत करते हैं – अब समय ही बता सकता है कि प्रधानमंत्री और बीजेपी का यह हिंसक विज़न जनता को कब समझ में आता है।

Tags:    

Similar News