पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान को किया जा रहा दरकिनार, पूर्व सेना प्रमुख जनरल राहील शरीफ को फ्रंट में लाने की अटकलें तेज
एक गंभीर आर्थिक संकट से घिरे पाकिस्तान ने सऊदी अरब से लिया था ऋण, पाकिस्तान के धमकी और चेतावनी भरे बर्ताव के कारण सऊदी ने अपनी इस वित्तीय मदद को ले लिया है वापस...
मृत्युंजय कुमार झा
जनज्वार। पाकिस्तान और सऊदी अरब के बीच 'भाईचारे' का रिश्ता, जो दशकों से घनिष्ठ आर्थिक, राजनीतिक और सैन्य साझेदारी पर बना हुआ था, उसमें पिछले महीने एक अवरोध उत्पन्न हुआ है।
अपुष्ट खबरें सामने आ रही हैं कि सऊदी अरब पाकिस्तानी सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा को सलाह दे रहा है कि पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान को पूर्व सेना प्रमुख जनरल राहील शरीफ की जगह बदला जाए, जो वर्तमान में रियाद के नेतृत्व वाले इस्लामिक मिल्रिटी अलायंस टू फाइट टेररिज्म (आईएमएएफटी) के कमांडर हैं।
पाकिस्तान के विशेषज्ञों के अनुसार, सऊदी अरब और पाकिस्तान के बीच के हालिया विवाद को मध्य पूर्व और मुस्लिम दुनिया में हालिया रणनीतिक वास्तविकताओं के व्यापक संदर्भ में देखा जाना चाहिए।
कुछ समय से पाकिस्तान प्रतिद्वंद्वी मुस्लिम शक्तियों के साथ तटस्थ संबंधों को बनाए रखने की अपनी पारंपरिक नीति को बनाए रखने के लिए संघर्ष कर रहा है।
वहीं रियाद मुस्लिम-बहुसंख्यक राष्ट्रों के प्रति पाकिस्तान के संबंध मजबूत करने से भी निराश है, जिनमें तुर्की, मलेशिया, ईरान और कतर जैसे देश शामिल हैं। दूसरे शब्दों में, रियाद मुस्लिम दुनिया के नेतृत्व को कमजोर करने की पाकिस्तान की कोशिश पर नाराज है।
पाकिस्तान और सऊदी अरब के बीच तीखी नोक झोंक पिछले महीने तब सामने आई, जब पाकिस्तानी विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने खुले तौर पर सऊदी के नेतृत्व वाले संगठन इस्लामिक सहयोग संगठन (ओआईसी) को धमकी दे डाली। कुरैशी ने ओआईसी को धमकी भरे लहजे में कहा कि या तो कश्मीर मुद्दे पर एक मंत्रिस्तरीय बैठक बुलाओ नहीं तो फिर उनकी सरकार अन्य इस्लामी देशों के साथ मिलकर इसी तरह की एक बैठक करेगी। यानी कुरैशी ने ओआईसी को जताया कि पाकिस्तान अन्य इस्लामिक देशों के साथ मिलकर संगठन के बिना ही मुद्दे को उठाएगा, जिससे रियाद काफी नाराज हो गया था।
सऊदी क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान, जो सऊदी अरब के वास्तविक शासक हैं, वह इस बात से खुश नहीं दिखे। यही वजह है कि सऊदी अरब ने इमरान खान सरकार की तरफ से कश्मीर मुद्दे पर इस्लामिक देशों के संगठन ओआईसी को अलग-थलग करने की धमकी देने के बाद पाकिस्तान के लिए ऋण पर तेल के प्रोविजन को रोक दिया।
दरअसल अक्टूबर 2018 में सऊदी अरब ने पाकिस्तान को तीन साल के लिए 6.2 अरब डॉलर का फाइनेंशियल पैकेज देने का ऐलान किया था। इसमें तीन अरब डॉलर की नकद सहायता शामिल थी, जबकि बाकी के पैसों के बदले में पाकिस्तान को तेल और गैस की सप्लाई की जानी थी। एक गंभीर आर्थिक संकट से घिरे पाकिस्तान ने सऊदी अरब से ऋण लिया था। पाकिस्तान के धमकी और चेतावनी भरे बर्ताव के कारण सऊदी ने अपनी इस वित्तीय मदद को वापस ले लिया है।
मध्य पूर्व के टिप्पणीकार अली शिहाबी का कहना है कि पाकिस्तान ने सऊदी अरब की ओर से मिलने वाली मदद को हमेशा से ही गंभीरता से नहीं लिया है। उन्होंने कहा, "खैर, पार्टी खत्म हो गई है और पाकिस्तान को इस रिश्ते को महत्व देने की जरूरत है। अब फ्री लंच या वन वे स्ट्रीट नहीं है।"
सऊदी-पाकिस्तान संबंध मुख्य रूप से सीधे पाकिस्तानी सेना और सऊदी किंग और क्राउन प्रिंस द्वारा नियंत्रित किए जाते हैं। इस बीच पाकिस्तान के सेनाध्यक्ष जनरल बाजवा 17 अगस्त को रियाद पहुंचे। हालांकि प्रिंस सलमान बाजवा के प्रति उदासीन रहे। उस समय ऐसी भी बातें सुनने को मिली कि राहील शरीफ और बाजवा नाराज चल रहे सऊदी को मनाने के लिए संपर्क में हैं।