भेड़ों के माध्यम से बच्चों को लोकतांत्रिक इतिहास-परंपरा बताने वाले पुस्तक लेखकों और चित्रकारों को हांगकांग की अदालत ने ठहराया देशद्रोही

भेड़ों के माध्यम से बच्चों को लोकतांत्रिक इतिहास और परंपरा बताने वाले पुस्तक लेखकों और चित्रकारों पर देशद्रोह के साथ ही सामाजिक सद्भावना बिगाड़ने, हिंसा भड़काने का प्रयासए,अवैध काम करने और स्थापित कानूनों की अवहेलना का आरोप लगाया गया है...

Update: 2022-09-08 03:50 GMT

इसी किताब के लिए 5 युवा लेखकों/चित्रकारों को ठहराया गया है देशद्रोही (photo : Hong Kong police Facebook)

महेंद्र पाण्डेय की टिप्पणी

A Hong Kong court has convicted 5 authors with sedition charges for writing illustrated books for children : हांगकांग की एक अदालत ने 5 युवाओं को देशद्रोही करार दिया है – उनका जुर्म यह था कि इन लोगों ने बच्चों के लिए सचित्र पुस्तकों की एक श्रृंखला प्रकाशित की थी। इन पुस्तकों में भेड़ और भेड़िया के माध्यम से बच्चों को अपने देश का लोकतांत्रिक इतिहास और परंपरा बता रहे थे। इसमें दो पुरुष और तीन महिलायें हैं और सभी की उम्र 25 से 28 वर्ष के बीच है। सभी आरोपी हांगकांग के जनरल यूनियन ऑफ़ स्पीच थेरेपिस्ट के सदस्य और लोकतंत्र वापस बहाल करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। जनरल यूनियन ऑफ़ स्पीच थेरेपिस्ट को अब प्रतिबंधित कर दिया गया है।

इन लोगों को हांगकांग में जून 2020 से चीन द्वारा नेशनल सिक्यूरिटी लॉ थोपे जाने के बाद गठित शक्तिशाली न्यू नेशनल सिक्यूरिटी पुलिस यूनिट ने जुलाई 2021 में गिरफ्तार किया था, और इनपर देशद्रोह के साथ ही सामाजिक सद्भावना बिगाड़ने, हिंसा भड़काने का प्रयास, अवैध काम करने और स्थापित कानूनों की अवहेलना का आरोप लगाया गया है। सभी लेखक जुलाई 2021 से लगातार न्यायिक हिरासत में थे। हांगकांग के कानून के तहत देशद्रोह का आरोप पहली बार साबित होने पर कम से कम दो वर्ष के कैद की सजा का प्रावधान है।

राष्ट्रीय सुरक्षा पैनल के न्यायाधीश क्वोक वेकिन ने अपने फैसले में कहा है कि इस पुस्तक में संकेतों के माध्यम से समाज में घृणा फैलाने का काम किया गया है, ये पुस्तकें स्पष्ट तौर पर कुछ नहीं कहतीं पर इनकी विवेचना गंभीर परिणाम दे सकती है। उन्होंने आगे कहा है कि इस श्रृंखला की पुस्तकें सरकार के प्रति हिंसा की बात नहीं करतीं, इसलिए स्पष्ट तौर पर इनका सम्बन्ध हांगकांग के लोकतांत्रिक आन्दोलन से है।

न्यायाधीश ने अपने फैसले में लिखा है कि इस श्रृंखला की पुस्तकें बच्चों के मस्तिष्क को आन्दोलन की तरफ प्रेरित करने के लिए लिखी गईं हैं और इसमें कहीं भी नहीं बताया गया है कि हांगकांग पर मेनलैंड चाइना की संप्रभुता है। फैसले के अनुसार इस श्रृंखला की पुस्तकें ही राजद्रोह प्रकाशन हैं। इन पुस्तकों के केवल शब्द ही राजद्रोह के लिए प्रेरित नहीं करते बल्कि इसे शब्दों को चित्रों के माध्यम से उजागर किया गया है।

एमनेस्टी इन्टरनेशनल ने इन युवाओं को तुरंत रिहा करने की मांग की है, और अपने वक्तव्य में कहा है कि राजद्रोह क़ानून का उपयोग जनता की आवाज को दबाने के लिए किया जा रहा है। बच्चों के लिए किताब लिखना और प्रकाशित करना कोई जुर्म नहीं है। बच्चों को हांगकांग के वर्तमान इतिहास और उससे जुडी प्रमुख घटनाओं से अवगत कराना कोई विद्रोह या हिंसा नहीं है।

सभी आरोपी मिलकर बच्चों के लिए एक चित्रों वाली ई-पुस्तक की श्रृंखला प्रकाशित कर रहे थे, जिसमें लोकतंत्र समर्थकों को भेड़ और इसे कुचलने वालों को भेड़िया के तौर पर दिखाया गया है। इसमें बताया गया है कि किस तरह से शांतिप्रिय भेड़ों के गाँव को चारों तरफ से भेड़िये घेर लेते हैं, और भेड़ें अपने गाँव को बचाने के लिए क्या करती हैं। इसे बच्चों के लिए चित्रमय बनाया गया है, और सरल भाषा में हांगकांग में लोकतंत्र का इतिहास, इसे बचाने के आन्दोलन और वर्त्तमान स्थिति को बताया गया है।

दो वर्ष पहले इस श्रृंखला की तीन पुस्तके प्रकाशित की गईं थीं, जो बाजार में आते ही बच्चों के साथ ही बड़ों में भी बहुत लोकप्रिय थीं। श्रृंखला की पहली पुस्तक है, "Guardians of Sheep Village"। इसमें वर्ष 2019 के लोकतंत्र समर्थक देशव्यापी आन्दोलन को इसी कहानी के माध्यम से प्रस्तुत किया गया है। दूसरी प्रकाशित पुस्तक है – Janitors of Sheep Village। इसमें चित्रों के माध्यम से बताया गया है, कुछ भेड़िये, भेड़ों के गाँव में जबरन घुस आये हैं और गाँव में यहाँ-वहां कचरा फैला रहे हैं। चारों तरफ बिखरे कचरे को देखकर भेड़ों के गाँव के सफाईकर्मी हड़ताल पर चले जाते हैं।

दरअसल पिछले वर्ष हांगकांग के स्वास्थ्यकर्मी और सफाईकर्मी कोविड 19 के कारण चीन से सीधे आने वालों पर पाबंदी लगाने की मांग को लेकर हड़ताल पर चले गए थे, इस पुस्तक में इसी वाकये को बच्चों के लिए चित्रों के माध्यम से प्रस्तुत किया गया है। तीसरी प्रकाशित पुस्तक है – 12 braves of Sheep Village। वर्ष 2019 के शुरू में हांगकांग के 12 लोकतंत्र समर्थक एक स्पीडबोट के सहारे ताइवान तक पहुँच गए थे, पर बाद में उन्हें पकड़कर जेल में डाल दिया गया। तीसरी पुस्तक में इसी घटना को भेड़ और भेड़ियों के चित्रों के माध्यम से बताया गया है।

हांगकांग में देशद्रोह के आरोप के साथ गिरफ्तारी अब तक नहीं सुना जाता था, वर्ष 1997 से पिछले वर्ष जून तक किसी को देशद्रोह के मामले में गिरफ्तार नहीं किया गया था, पर इसके बाद चीन द्वारा नेशनल सिक्यूरिटी लॉ थोपे जाने के बाद से लगभग हरेक सप्ताह देशद्रोह के आरोप में गिरफ्तारियां हो रही हैं। अब तो हालत यह है कि वहां किताबों की दूकानों के मालिकों ने राजनीतिशास्त्र की पुस्तकें भी हटा ली हैं, क्या पता उसमें लोकतंत्र की व्याख्या देखकर ही पुलिस देशद्रोह का आरोप लगा दे। हांगकांग में वार्षिक पुस्तक प्रदर्शनी को बहुत पसंद किया जाता था, पर अब इसमें जनता की रूचि नहीं है, और देशी-विदेशी हरेक पुस्तक को वहां रखने के पहले यह जरूर सुनिश्चित करता था कि इन पुस्तकों में राजनीति, जन-आन्दोलन और लोकतंत्र का महिमामंडन तो नहीं किया गया है।

इस मामले में मोदीमय भारत हांगकांग से सीधी टक्कर ले रहा है। यहाँ पर भी देशद्रोह और आतंकवादी आरोप के साथ लगभग हरेक सप्ताह किसी न किसी को जेल में डाला जाता है। हमारे देश में भी जानवरों के माध्यम से बच्चों को ज्ञान, परंपरा और नीति सिखाने की एक परंपरा रही है। पंडित विष्णु शर्मा द्वारा लिखा गया पंचतंत्र हमारे जनमानस में बसा है। जरा सोचिये, पंडित विष्णु शर्मा ने "रंगा सियार" जैसी कहानी के साथ पंचतंत्र इस दौर में लिखा होता तो वे भी देशद्रोही करार दिए गए होते। इसमें एक सियार की कहानी है, जो रंगरेज के रंग के बर्तन में गिर गया, और उसके रंग हरा हो गया। इसके बाद उससे सभी जंगली जानवर डरने लगे, क्योंकि उसकी पहचान छुप गयी थी। हरे रंग से सराबोर सियार ने सभी जंगली जानवरों को इकट्ठा किया और ऐलान किया की उसे ईश्वर ने उनकी रक्षा करने को भेजा है और ईश्वर ने कहा है कि राजपाट रंगें सियार के हवाले कर दिया जाए। ईश्वर की मर्जी सुनकर राजा शेर ने खुशी-खुशी राजपाट सियार के हवाले कर दिया। कुछ दिनों बाद एक दिन राजा की सभा चल रही थी, रात हो गयी और उस समय सभी सियार संवर स्वर में अपनी आवाजें निकाल रहे थे। इन आवाजों को सुनते ही राजा रंगा सियार भी अपनी आवाज निकालने लगा। इसके बाद उसकी असलियत सबके सामने आ गयी और फिर सभी जानवरों ने मिलकर उसे मार डाला। यह कहानी बताती है कि झूठ, फरेब, लूट इत्यादि अधिक दिनों तक छुपी नहीं रहती।

इस कहानी में आज के दौर के सत्ता की धमक स्पष्ट है, तो क्या इस कहानी पर पंडित विष्णु शर्मा को देशद्रोह की सजा नहीं होती, वे माओवादी नहीं बताये गए होते, उनके फोन टैप नहीं किये जाते, उनके लैपटॉप पर सरकार अपनी तरफ से फाइलें नहीं डलवाती? आज के दौर में देश में एक ही वक्ता हैं और एक ही लेखक भी जो फर्जी डिग्री के बाद भी महान ग्रन्थ, "एग्जाम वारियर्स" लिखते हैं।

Tags:    

Similar News