दहशत में अफगानी महिलाएं, 15- 45 वर्ष की महिलाओं की सूची मांग कर तालिबान ने जाहिर कर दी अपनी बर्बर मंशा
तालिबान के सांस्कृतिक आयोग के नाम से जारी पत्र में कहा गया है कि कब्जे वाले इलाकों में सभी इमामों और मुल्लाओं को तालिबान लड़ाकों से शादी करने के लिए 15 साल से ऊपर की लड़कियों और 45 साल से कम उम्र की विधवाओं की सूची तालिबान को देनी चाहिए......
जनज्वार डेस्क। अफगानिस्तान में तालिबान की वापसी से महिलाएं सबसे ज्यादा आतंकित हो गई हैं, क्योंकि बीते दिनों कुछ प्रांतों पर अधिकार के बाद से ही उसके नेताओं ने अपना असली रंग दिखाना शुरू कर दिया था। उन्होंने जुलाई की शुरुआत में बदख्शां और तखर स्थानीय धार्मिक नेताओं को तालिबान लड़ाकों के साथ निकाह के लिए 15 साल से बड़ी लड़कियां और 45 साल से कम उम्र की विधवाओं की फेहरिस्त देने का हुक्म दिया था।
अफगानिस्तान की सेना के साथ लड़ रहे तालिबान ने एक बयान जारी कर स्थानीय धार्मिक नेताओं को उन्हें 15 साल से अधिक उम्र की लड़कियों और 45 साल से कम उम्र की विधवाओं की सूची देने का आदेश दिया है। रिपोर्टों के अनुसार तालिबान ने उनके लड़ाकों से शादी करने का वादा किया है और उन्हें पाकिस्तान के वज़ीरिस्तान ले जाया जाएगा, जहां उन्हें इस्लाम में परिवर्तित कर दिया जाएगा और फिर से संगठित किया जाएगा।
मैकगिल यूनिवर्सिटी टोरंटो में विधि और मानवाधिकार की एसोसिएट प्रोफेसर वृंदा नारायण का कहना है काबुल पहुंचने से पहले ही इस तरह के तालिबानी आदेश ने देश की महिलाओं-बेटियों और उनके परिवारों में बड़ा गहरा खौफ पैदा कर दिया है। आलम यह है कि पिछले 3 महीनों में ही करीब 9 लाख लोग विस्थापित हुए हैं।
तालिबान के सांस्कृतिक आयोग के नाम से जारी पत्र में कहा गया है, "कब्जे वाले इलाकों में सभी इमामों और मुल्लाओं को तालिबान लड़ाकों से शादी करने के लिए 15 साल से ऊपर की लड़कियों और 45 साल से कम उम्र की विधवाओं की सूची तालिबान को देनी चाहिए।"
ताजा फरमान तब आया है जब तालिबान ने ईरान, पाकिस्तान, उज्बेकिस्तान और ताजिकिस्तान के साथ लगे कई प्रमुख जिलों और सीमा चौकियों पर नियंत्रण हासिल कर लिया है क्योंकि अमेरिका और नाटो सैनिकों ने लगभग 20 वर्षों के बाद अफगानिस्तान से अपनी वापसी पूरी कर ली है। अक्सर आपूर्ति या सुदृढीकरण के बिना छोड़े जाने के बाद अफगान सुरक्षा बलों और सेना ने बहुत कम या कोई प्रतिरोध नहीं किया है।
इससे पहले, अफगानिस्तान के पूर्वोत्तर प्रांत तखर में महिलाओं को अपने घरों से अकेले बाहर नहीं निकलने के लिए कहा गया था और पुरुषों को दाढ़ी बढ़ाने के लिए कहा गया था। तालिबान इस्लामी कानून के अपने संस्करण को लागू कर रहे हैं।
2001 में अमेरिका की अगुवाई में हुए आक्रमण के बाद हटाये जाने से पहले तालिबान शासन के तहत अफगानिस्तान में महिलाओं को स्कूल जाने, घर से बाहर काम करने या पुरुष अनुरक्षण के बिना घर छोड़ने पर रोक लगा दी गई थी। तालिबान की धार्मिक पुलिस द्वारा उल्लंघन करने वालों को सार्वजनिक रूप से अपमानित किया जाता था और पीटा जाता था।
अब अफ़ग़ानिस्तान के बुज़ुर्गों का कहना है कि तालिबान उनकी बेटियों को ले जाएगा और जबरन उनकी शादी करेगा और उन्हें गुलाम बना देगा। "जब से तालिबान ने सत्ता संभाली है, हम उदास महसूस करते हैं। घर पर हम जोर से नहीं बोल सकते, संगीत नहीं सुन सकते और महिलाओं को शुक्रवार के बाजार में नहीं भेज सकते। वे परिवार के सदस्यों के बारे में पूछ रहे हैं। तालिबान उप -कमांडर ने कहा है कि आपको 18 साल से अधिक उम्र की लड़कियों को नहीं रखना चाहिए; यह पाप है, उन्हें शादी करनी चाहिए," एक अफगान बुजुर्ग हाजी रोजी बेग ने फाइनेंशियल टाइम्स के हवाले से कहा।