नेपाल में भारी राजनीतिक उथल-पुथल, पार्टी में फूट के बाद प्रचंड ने माधव नेपाल को बनाया चेयरमैन
पुष्प कमल दहल उर्फ प्रचंड के नेतृत्व में ओली के प्रतिद्वंद्वी कैंप भी दिन में बाद में अपनी बैठक की, जिसमें माधव नेपाल को चेयरमैन नियुक्त किया गया...
जनज्वार। नेपाल में संसद भंग होने के बाद से सियासी संकट लगातार गहराता जा रहा है। प्रधानमंत्री ओली और प्रचंड खेमों के बीच टकराव इस हद तक बढ़ गया है कि सियासी खींचतान शुरू हो गयी है। पार्टी में फूट के बाद शीर्ष नेता पुष्पकमल दहल प्रचंड ने माधव नेपाल को पार्टी का चेयरमैन बना दिया है।
गौरतब है कि नेपाली प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने पार्टी में जारी हलचल के बाद ही संसद को भंग करने की सिफारिश कर दी थी, जिसके बाद राष्ट्रपति बिद्या देवी भंडारी ने तुरंत मंजूरी दे दी थी, अब नेपाल में अप्रैल या मई के वक्त में चुनाव हो सकते हैं।
नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी (एनसीपी) में जिस तरह टूट दिखायी दे रही है, उससे लगता है कि वह पतन के कगार पर है। Prime Minister के.पी. शर्मा ओली ने मंगलवार 22 दिसंबर को एनसीपी की केंद्रीय समिति की एक अलग बैठक की और कई फैसले लिए। प्रतिनिधि सभा को भंग किए जाने के दो दिन बाद यह बैठक हुई।
विरोधी खेमे के नेताओं को बैठक में आमंत्रित नहीं किया गया था। वहीं पुष्प कमल दहल उर्फ प्रचंड के नेतृत्व में ओली के प्रतिद्वंद्वी कैंप भी दिन में बाद में अपनी बैठक की, जिसमें माधव नेपाल को चेयरमैन नियुक्त किया गया।
वहीं पीएम ओली ने बैठक के दौरान घोषणा की कि केंद्रीय समिति की ताकत वर्तमान में 446 से बढ़कर 1,119 हो जाएगी। यह निर्णय लिया गया है कि उस समिति में 556 सदस्यों को तुरंत शामिल किया जाएगा, जबकि 197 अन्य को बाद में शामिल किया जाएगा।
सदस्यों की संख्या बढ़ाने के निर्णय के साथ, ओली पार्टी केंद्रीय समिति में एक मजबूत बहुमत रखते हैं। इस खेमे ने 18-23 नवंबर, 2021 को काठमांडू में पार्टी का जनरल कन्वेंशन आयोजित करने का फैसला किया है।
इस बीच पार्टी प्रवक्ता के पद से नारायण काजी श्रेष्ठा को हटा दिया गया और उनकी जगह प्रदीप कुमार ग्यावली को नियुक्त किया गया। श्रेष्ठा प्रतिनिधि सभा को भंग करने का विरोध करते थे।
वहीं दूसरी तरफ पीएम ओली के संसद भंग करने के फैसले के खिलाफ नेपाल में अलग-अलग जगह प्रदर्शन हो रहे हैं। नेपाल की सुप्रीम कोर्ट में इसके खिलाफ कई याचिकाएं दायर की गई हैं।
गौरतलब है कि ओली गुट और प्रचंड गुट के बीच लंबे वक्त से तनातनी जारी है। काठमांडू में जारी सियासी गतिरोध के बीच नेपाल में चीन की राजदूत होऊ यांकी ने मंगलवार 22 दिसंबर को राष्ट्रपति विद्या देवी भंडारी से मुलाकात की। इस मामले से परिचित लोगों ने कहा कि दोनों के बीच एक घंटे तक बातचीत चली। इससे पहले 20 दिसंबर को नेपाल की राष्ट्रपति बिद्या देवी भंडारी ने ओली सरकार की सिफारिश को स्वीकार करते हुए देश की संसद को भंग कर दिया था।
वहीं पुष्प कमल दहल 'प्रचंड' खेमे ने केंद्रीय समिति की बैठक के बाद प्रधानमंत्री के पी शर्मा ओली को सत्तारूढ़ नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी (एनसीपी) के अध्यक्ष पद से हटाने और पार्टी विरोधी गतिविधि के आरोप में उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई करने की घोषणा करते हुए मोर्चा खोल दिया है। ओली ने संगठन पर अपनी पकड़ को मजबूत करने के उद्देश्य से 22 दिसंबर को पार्टी की आम सभा के आयोजन के लिए 1199 सदस्यीय नई समिति का गठन किया था।
गौरतलब है कि नेपाल में सत्तारूढ़ दल एनसीपी अपने गठन के करीब दो साल बाद टूट की कगार पर है। 2018 में ओली के नेतृत्व वाले सीपीएन-यूएमएल और प्रचंड के नेतृत्व वाले सीपीएन (माओवादी) एक हुए थे। प्रचंड ने प्रधानमंत्री ओली पर पावर शेयरिंग के समझौते का उल्लंघन करने का आरोप लगाया था, जिसके बाद पिछले कई महीनों से पीएम ओली और प्रचंड के बीच तनातनी का माहौल था।
प्रचंड की अगुवाई वाले खेमे ने कल 22 दिसंबर को काठमांडू में ओली से अलग केंद्रीय समिति की बैठक की थी, जिसमें पूर्व प्रधानमंत्री माधव कुमार नेपाल एवं झालानाथ खनल के अलावा पूर्व कृषि मंत्री घनश्याम भुशाल समेत कई वरिष्ठ नेता मौजूद रहे। प्रचंड खेमे ने केंद्रीय समिति की बैठक में वरिष्ठ नेता माधव कुमार नेपाल को सर्वसम्मति से पार्टी का दूसरा अध्यक्ष नियुक्त किया। प्रचंड पार्टी के पहले अध्यक्ष हैं। इस बैठक में पार्टी की केंद्रीय समिति के करीब दो-तिहाई सदस्य मौजूद रहे।
केंद्रीय समिति की सदस्य रेखा शर्मा ने इस बारे में मीडिया को बताया, 'पार्टी के नियमानुसार अब प्रचंड और नेपाल बारी-बारी से बैठकों की अध्यक्षता करेंगे।'
काठमांडू पोस्ट की रिपोर्ट में शर्मा ने कहा है, 'पार्टी के खिलाफ जाने के चलते ओली को पार्टी अध्यक्ष पद से हटा दिया गया है। प्रचंड को बुधवार को संसदीय दल का नेता चुना जाएगा। वहीं, पार्टी के प्रवक्ता नारायण काजी श्रेष्ठ ने कहा कि केंद्रीय समिति की अगली बैठक बृहस्पतिवार के लिए प्रस्तावित की गई है। नेपाल मामलों के जानकार वरिष्ठ भारतीय पत्रकार आनंद स्वरूप वर्मा ने जनज्वार से एक खास बातचीत में पिछले दिनों कहा भी था कि प्रचंड के पास फिर एक बार मौका है कि वह देश का नेतृत्व स्वीकार कर पुरानी गलतियों को सुधारें।
दूसरी तरफ प्रचंड के नेतृत्व वाले खेमे ने पीएम ओली द्वारा भंग की गई संसद को बहाल करने की मांग को लेकर उच्चतम न्यायालय में एक अलग याचिका दायर करने का फैसला किया है। इस बारे में एनसीपी की केंद्रीय समिति के सदस्य सुनिल मनंधर ने मीडिया को बताया कि पार्टी अन्य प्रमुख दलों के साथ मिलकर देशव्यापी विरोध-प्रदर्शन रैलियों का आयोजन करेगी।