म्यांमार में आज सेना की फायरिंग से 50 लोगों की मौत, अब तक 330 प्रदर्शनकारियों को जा चुकी है जान

इसी हफ्ते म्यांमार सेना द्वारा एक बच्ची को गोली मारने की खबर मीडिया की सुर्खियां बनी थीं, सेना ने बच्ची को तब मौत के घाट उतारा था, जब वह अपने पिता के गले लग रही थी, यह बच्ची प्रदर्शनकारियों द्वारा की गई कार्रवाई में मारी जाने वाली सबसे छोटी उम्र की है....

Update: 2021-03-27 13:33 GMT

7 साल की इस प्यारी सी बच्ची को सेना ने उस समय मार दी थी गोली जब वह अपने पिता के गले लग रही थी

जनज्वार। म्यांमार में हिंसा का दौर जारी है। आज शनिवार 26 मार्च को 'ऑर्म्ड फोर्सेज़ डे' के मौके पर सुरक्षाबलों और प्रदर्शनकारियों के बीच ज़बर्दस्त झड़प की खबरें आ रही हैं। जानकारी के मुताबिक सुरक्षाबलों की गोलियां से लगभग 50 लोगों की मौत हेा चुकी है। इनमें बच्चे भी शामिल हैं।

एक तरफ जहां इतने बड़े पैमाने पर सेना ने प्रदर्शनकारियों को मौत के नींद सुलाया है, वहीं म्यांमार के सैन्य प्रमुख मिन आंग लाइंग ने नेशनल टेलीविज़न पर अपने संबोधन में कहा कि वे 'लोकतंत्र की रक्षा' करेंगे और किसी भी तरह देश में चुनाव कराए जाएंगे। लेकिन चुनाव कब कराए जाएंगे, उन्होंने इस बारे में कोई जानकारी साझा नहीं की।

गौरतलब है कि म्यांमार में इस साल फरवरी में सेना ने तख़्ता पलट कर सत्ता पर कब्जा कर लिया था और तब से सेना विरोधी प्रदर्शनों में 320 से अधिक लोग मारे जा चुके हैं।

आज सरकारी टेलीविज़न पर सेना अधिकारियों ने प्रदर्शनकारियों को चेताया कि बीते दिनों हुई मौतों से उन्हें सबक लेना चाहिए, कभी उन्हें भी सिर या पीछे से गोली लग सकती है। आज म्यांमार में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हुए थे। विरोध की आशंका को देखते हुए ही सेना ने प्रदर्शनकारियों के ख़िलाफ़ सख़्ती से पेश आने की चेतावनी पहले ही दे दी थी। म्यांमार के प्रमुख शहरों में शामिल रंगून में प्रदर्शनकारियों को रोकने के लिए सुरक्षाबलों ने काफी तैयारी की थी।

इसी हफ्ते म्यांमार सेना द्वारा एक बच्ची को गोली मारने की खबर मीडिया की सुर्खियां बनी थीं। सेना ने बच्ची को तब मौत के घाट उतारा था, जब वह अपने पिता के गले लग रही थी। यह बच्ची प्रदर्शनकारियों द्वारा की गई कार्रवाई में मारी जाने वाली सबसे छोटी उम्र की है।

इस मामले पर मानवाधिकार समूह सेव द चिल्ड्रेन ने कहा कि सेना की निर्मम कार्रवाई में मारे गए दर्जनों लोगों में 20 बच्चे भी शामिल हैं। संस्था ने एक बयान में कहा कि वह बच्ची की मौत से चिंतित हैं। जिस तरह से हर रोज बच्चों की मौत हो रही है, वह यह दिखाती है कि सेना को लोगों की जिंदगी की कोई परवाह नहीं है।

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