बांग्लादेश : मोदी विरोधी हिंसक विरोध प्रदर्शनों के मामलों में 14000 लोगों के खिलाफ केस दर्ज
26 मार्च को जब मोदी ढाका पहुंचे तो हिफाजत-ए-इस्लाम समूह ने राजधानी में बैतुल मुकर्रम राष्ट्रीय मस्जिद के बाहर हिंसक प्रदर्शन शुरू कर दिया था....
ढाका। भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ढाका यात्रा के विरोध में 26 मार्च से हिफाजत-ए-इस्लाम कट्टरपंथी समूह द्वारा पूरे बांग्लादेश में किए गए हिंसक विरोध प्रदर्शन के मामलों में करीब 14 हजार लोगों को आरोपी बनाया गया है। विरोध के दौरान हुई हिसा में 14 लोग मारे गए हैं, इनमें से 10 ब्राहणबेरिया के और 4 चटगांव के हैं।
कट्टरपंथियों ने पुलिस, सरकार और सुरक्षा एजेंसी के लोगों पर हमले किए थे। पुलिस ने बुधवार को बताया कि ब्राह्मणबेरिया में हुए नरसंहार को लेकर दर्ज किए गए 7 मामलों में 8,000 से ज्यादा लोगों को आरोपी बनाया गया है और अब तक 14 संदिग्धों को गिरफ्तार किया गया है। वहीं चटगांव और मुंशीगंज में पूर्व नियोजित बर्बरता, आगजनी और नरसंहार के मामलों के लिए हिफाजत के 3,000 सदस्यों को आरोपी बनाया गया है।
बता दें कि 26 मार्च को जब मोदी ढाका पहुंचे तो हिफाजत-ए-इस्लाम समूह ने राजधानी में बैतुल मुकर्रम राष्ट्रीय मस्जिद के बाहर हिंसक प्रदर्शन शुरू कर दिया था। उसी दिन इस संगठन ने विभिन्न जिलों में हुई झड़पों में मारे गए अपने सदस्यों की मौत के विरोध में 28 मार्च को देश भर में एक दिन की हड़ताल करने और 27 मार्च को पूरे देश में विरोध करने की घोषणा की थी।
इस पूर्व-नियोजित नरसंहार के दौरान एशिया के सबसे बड़े मंदिर आनंदमयी काली मंदिर को भी खासी क्षति हुई और लूटपाट की गई। इसके अलावा इस हिंसा में निजी संपत्ति, पुलिस और अग्निशमन सेवा के वाहन, सांस्कृतिक प्रतिष्ठान और सरकारी संपत्तियां को भी खासा नुकसान हुआ। साथ ही हथाजारी और ब्रह्मणबेरिया के भूमि कार्यालयों के सभी दस्तावेजों में आग भी लगा दी गई। ब्राह्मणबेरिया में 3 दिनों तक कोई पुलिसकर्मी या अग्निशमन अधिकारी नहीं थे।
हालांकि इन मामलों में हिफाजत और जमात-ए-इस्लामी के शीर्ष सदस्यों या अन्य किसी प्रतिबंधित समूह के लोगों के खिलाफ सीधे तथ्य नहीं मिले हैं। इसे लेकर आईजीपी बेनजीर अहमद ने कहा, "लेकिन यदि जांच के बाद उनकी संलिप्तता पाई जाती है, तो कानूनी कार्रवाई की जाएगी। उनके खिलाफ निश्चित रूप से कार्रवाई की जाएगी क्योंकि इन हमलों ने बांग्लादेश की स्वतंत्रता की स्वर्ण जयंती समारोह को दागदार किया है।"
मुंशीगंज जिले के सिराजादिकान उपजिला में 28 मार्च को पुलिस पर हमला करने वाले हिफाजत की केंद्रीय समिति के मधुपुर पीर के नाम से मशहूर अब्दुल हमीद को भी मामलों में आरोपी नहीं बनाया गया है। वह मधुपुर कौमी मदरसा के अधीक्षक भी हैं।
इस पर अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक (प्रशासन और अपराध) मोहम्मद महफूज अफजल ने कहा, "पुलिस ने मधुपुर पीर को आरोपी नहीं बनाया है क्योंकि वह हड़ताल के दौरान पुलिस पर किए गए हमले में शामिल नहीं था।"