China's Defense Budget : चीन के रक्षा बजट में अप्रत्याशित वृद्धि के बाद भारत चाहता है बातचीत फिर से हो शुरू

China's Defense Budget : पिछले दौर की बातचीत के बाद पैंगोंग त्सो, गलवान और गोगरा में गतिरोध हुआ, हालांकि मई 2020 में पीएलए द्वारा बड़े पैमाने पर घुसपैठ किए जाने के बाद से कुछ क्षेत्रों में 50,000 से अधिक सैनिक एक-दूसरे का सामना कर रहे हैं.....

Update: 2022-03-06 11:11 GMT

(चीन के रक्षा बजट में अप्रत्याशित वृद्धि के बाद भारत चाहता है बातचीत फिर से हो शुरू)

China's Defense Budget : चीन ने 5 मार्च को अपने रक्षा बजट (Chinese Defence Budget) में 7.1 प्रतिशत की वृद्धि कर इसे 230 अरब डॉलर करने का प्रस्ताव किया है जो पिछले साल 209 अरब डॉलर था। अब उसका रक्षा बजट भारत के मुकाबले तीन गुना है। प्रधानमंत्री ली केकियांग (Li Keqiang) द्वारा चीन की संसद नेशनल पीपुल्स कांग्रेस (National Peoples Congress) में शनिवार को पेश मसौदा बजट के हवाले से बताया कि चीन की सरकार ने वित्त वर्ष 2022 के लिए 1,450 अरब युआन (Yuan) के रक्षा बजट का प्रस्ताव किया है जो पिछले साल के मुकाबले 7.1 प्रतिशत अधिक है।

चीन द्वारा रक्षा बजट में वृद्धि का प्रस्ताव हिंद-प्रशांत क्षेत्र (Indo-Pacific Region) में उसके द्वारा शक्ति प्रदर्शन की बढ़ती घटनाओं के बीच आया है। इसके साथ ही जनवरी में 14वें दौर की वार्ता में ठहराव के बाद भारत ने कथित तौर पर चीन को एलएसी (LAC) फ्लैश पॉइंट पर जल्द से जल्द बातचीत फिर से शुरू करने के लिए एक संदेश भेजा है। बातचीत के पिछले दौर में, भारत ने कथित तौर पर हॉट स्प्रिंग्स (पेट्रोलिंग पॉइंट 15) पर ध्यान केंद्रित किया और साथ ही पूर्वी लद्दाख में शेष घर्षण बिंदुओं में सैनिकों की शीघ्र वापसी पर ध्यान केंद्रित किया। हॉट स्प्रिंग्स क्षेत्र पर 2020 से सैन्य गतिरोध है। हॉट स्प्रिंग्स (क्याम) लद्दाख में चांग चेन्नो नदी घाटी (चीन के साथ विवादित सीमा के पास) में सीमा चौकी पर स्थित एक शिविर है।

पिछले दौर की बातचीत के बाद पैंगोंग त्सो, गलवान (Galawan Clash) और गोगरा में गतिरोध हुआ। हालांकि मई 2020 में पीएलए द्वारा बड़े पैमाने पर घुसपैठ किए जाने के बाद से कुछ क्षेत्रों में 50,000 से अधिक सैनिक एक-दूसरे का सामना कर रहे हैं। इस बीच, भारत-प्रशांत क्षेत्र में पीएलए की आक्रामकता के बीच बढ़ोतरी हुई है।

इसने भारत को सतर्क कर दिया है, इस बात को ध्यान में रखते हुए कि 12 जनवरी को हुई भारत-चीन कोर कमांडर स्तर की वार्ता के 14 वें दौर में कोई सकारात्मक परिणाम नहीं निकला, हालांकि दोनों पक्ष फिर से मिलने के लिए सहमत हो गए थे। भारत ने चीन को हॉट स्प्रिंग्स से अलग होने के लिए मनाने की कोशिश की थी।

इसके बाद विदेश मंत्री एस जयशंकर (S. Jaishankar) ने मेलबर्न में क्वाड फॉरेन मिनिस्टर्स मीट के दौरान कहा था कि चीन ने सैनिकों को इकट्ठा करके लिखित समझौतों का उल्लंघन किया है। जयशंकर ने कहा, "एलएसी पर स्थिति चीन द्वारा हमारे साथ सीमा पर बलों को इकट्ठा नहीं करने के समझौतों की अवहेलना के कारण उत्पन्न हुई है।" चीन ने शनिवार को अपना वार्षिक रक्षा बजट पिछले साल के 209 अरब डॉलर से 7.1 फीसदी बढ़ाकर 230 अरब डॉलर कर दिया, जो भारत के सैन्य खर्च का तीन गुना है। यह बढ़ोतरी हिंद-प्रशांत क्षेत्र में पीएलए की आक्रामकता के बीच हुई है।

चीन के प्रधानमंत्री ने संसद में पेश कार्य रिपोर्ट में पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) की युद्ध तैयारी को वृहद तरीके से मजबूत' करने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि देश की संप्रभुता, सुरक्षा और विकास हितों की रक्षा के लिए पीएलए को दृढ़ और लचीले तरीके से सैन्य संघर्ष करने की जरूरत है।

इस वृद्धि के साथ चीन का रक्षा बजट भारत के रक्षा बजट 5.25 लाख करोड़ रुपये (लगभग 70 अरब डॉलर) के मुकाबले तीन गुना हो गया है। रक्षा बजट के अलावा चीन का आंतरिक सुरक्षा बजट अलग है जो अक्सर रक्षा खर्च से अधिक होता है। पिछले साल चीन का रक्षा बजट 200 अरब डॉलर के पार गया था। चीन ने वित्त वर्ष 2021 में अपने रक्षा बजट में 6.8 प्रतिशत की वृद्धि की थी जिससे उसका कुल रक्षा बजट 209 अरब डॉलर हो गया था। राष्ट्रपति शी चिनफिंग के 2012 में सत्ता में आने के बाद से बीते वर्षों में रक्षा खर्च बढ़ा है।

अमेरिका के बाद चीन रक्षा बजट पर खर्च करने के मामले में दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा देश है। संसद में पेश कार्य रिपोर्ट में केकियांग ने शनिवार को अपने सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का लक्ष्य इस साल के लिए घटाकर 5.5 फीसदी कर दिया जो पिछले वर्ष 6.1 फीसदी था। वर्ष 2021 में चीन की अर्थव्यवस्था 8.1 फीसदी बढ़कर 18000 अरब डॉलर हो गई। वृद्धि की रफ्तार चीन की सरकार के छह फीसदी के लक्ष्य से कहीं आगे निकल गई।

केकियांग ने कहा कि चीन का लक्ष्य 2022 में 1.1 करोड़ से अधिक रोजगार के सृजन का है। चीन द्वारा रक्षा खर्च में बढ़ोतरी के बाद आशंका जताई जा रही है कि यह भारत के लिए खतरा बन सकता है। दरअसल, चीन हर साल रक्षा बजट में इजाफा करता जा रहा है। रक्षा बजट में वृद्धि के बाद चीन एलएसी पर सैन्यकर्मियों की संख्या में बढ़ोतरी कर सकता है और अवैध घुसपैठ को भी अंजाम देने की कोशिश कर सकता है।

पिछले साल चीन का रक्षा खर्च पहली बार 15000 अरब रुपये को पार कर गया था। चीन की संसद में प्रस्तुत अपनी कार्य रिपोर्ट में, चीनी प्रधानमंत्री ली ने पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) से व्यापक युद्ध तैयारी को गहरा करने का आह्वान किया है। उन्होंने कहा कि पीएलए को देश की संप्रभुता, सुरक्षा और विकास हितों की रक्षा के लिए दृढ़ और लचीले तरीके से सैन्य संघर्ष करने की जरूरत है। ली ने कहा कि पूर्वी लद्दाख में गतिरोध और अमेरिका के साथ उसके बढ़ते राजनीतिक और सैन्य तनाव के बीच इस साल के रक्षा बजट में चीन की वृद्धि की गई है। चीन के पास अमेरिका के बाद दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा रक्षा बजट है।

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