Country Reports On Human Rights Practices : भारत में मुसलमान भेदभाव और सांप्रदायिक दंगों की चपेट में, अमेरिकी विदेश विभाग की रिपोर्ट
Country Reports on Human Rights Practices : रिपोर्ट में उन घटनाओं का भी जिक्र किया गया है जिनमें कथित तौर पर मुस्लिमों को सार्वजनिक रूप से परेड कराई गई और 'जय श्री राम' के नारे लगवाने के मजबूर किया गया था.....
Country Reports on Human Rights Practices : अमेरिकी विदेश विभाग ने मंगलवार को '2021 कंट्री रिपोर्टर्स ऑन ह्यूमन राइट्स प्रैक्टिस' जारी की है जिसमें उसने जिक्र किया है कि भारत में मुसलमान (Indian Muslims) सांप्रदायिक हिंसा और भेदभाव (Communal Violence And Descrimination) की चपेट में हैं। रिपोर्ट में भारत में अल्पसंख्यकों (Minorities In India) के खिलाफ भेदभाव, न्यायेतर हत्याएं, पुलिस और जेल अधिकारियों द्वारा अपमानजनक व्यवहार या सजा और सरकारी अधिकारियों द्वारा मनमानी गिरफ्तारी और हिरासत में रखने का जिक्र किया गया है।
रिपोर्ट में भीमा कोरेगांव मामले (Bhima Koregaon Case) में कार्यकर्ताओं (Activists) की गिरफ्तारी, सार्वजनिक सुरक्षा अधिनियम के तहत कश्मीरी पत्रकारों (PSA Against Kashmiri Journalists) के खिलाफ मामले और सख्त गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (UAPA) के तहत हिरासत में मानवाधिकारों के उल्लंघन (Human Right Violations In India) का भी उल्लेख किया गया है।
रिपोर्ट में उन घटनाओं का भी जिक्र किया गया है जिनमें कथित तौर पर मुस्लिमों को सार्वजनिक रूप से परेड कराई गई और 'जय श्री राम' के नारे लगवाने के मजबूर किया गया था। इसके अलावा रिपोर्ट में पिछले साल असम के दरांग जिले में एक समुदाय विशेष से संबंधित ग्रामीणों को बेदखल करने के दौरान पुलिस की गोलीबारी का भी जिक्र किया गया है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि संदिग्ध गौतस्करी के लिए सालभर मुस्लिम समुदाय (Muslim Comminity) के लोगों को शारीरिक चोट, भेदभाव, जबरन विस्थापन और लिंचिंग के मामलों का सामना करना पड़ा। रिपोर्ट में यह भी उल्लेख किया गया है कि धर्मांतरण के खिलाफ कानूनों का इस्तेमाल मुस्लिमों को टारगेट करने के लिए किया गया है। उत्तर प्रदेश, गुजरात और मध्यप्रदेश की भाजपा नेतृत्व वाली राज्य सरकारों ने 'लव जिहाद' करने पर सजा के लिए पिछले साल धर्मांतरण विरोधी कानून बनाए हैं।
रिपोर्ट में कहा गया है कि ये लव जिहाद कानून (Love Jihad Law) शादी के जरिए जबरन धर्म परिवर्तन को एक आपराधिक अपराध बनाने की कोशिश करते हैं और मुख्य रूप से हिंदू महिलाओं से शादी करने का प्रयास करने वाले मुस्लिम पुरुषों को लक्षित करते हैं। सिविल सोसायटी के समूहों ने धर्म की स्वतंत्रतता पर संवैधानिक सुरक्षा का उल्लंघन करने के रूप में इन कानूनों की आलोचना की।
रिपोर्ट में नागरिक संसोधन अधिनियम (CAA) का जिक्र किया गया है जिसमें कथित तौर पर मुस्लिमों को इससे अलग रखने का प्रावधान किया गया है। 2019 में संसद ने नागरिक संशोधन अधिनियम को पारित किया जो पड़ोसी अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान के धार्मिक पीड़ित अल्पसंख्यक हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाईयों को नागरिकता देने के लिए एक त्वरित मार्ग प्रदान करता है। रिपोर्ट में कहा गया है कि अधिनियम के पारित होने और मुसलमानों को इस कानून से बाहर करने के खिलाफ देशभर में व्यापक विरोध प्रदर्शन हुए जिसके कारण गिरफ्तारी, लक्षित संचार बंद, सभा पर प्रतिबंध और कुछ मामलों में मौतें हुईं।
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