दृष्टि, श्रवण-मस्तिष्क रोगों से जूझ रही महिलाओं में बढ़ सकता है अवसाद, शोध में हुआ खुलासा

अध्ययन में पाया गया है कि सेन्सरी लॉस, विशेष रूप से दृष्टि और श्रवण संबंधी दिक्कत दोनों के परिणामस्वरूप जनसंख्या की अधिक संख्या अवसाद और चिंता का कारण है और यह प्रवृत्ति महिलाओं में विशेष रूप से मजबूत है...;

Update: 2021-03-28 07:10 GMT
दृष्टि, श्रवण-मस्तिष्क रोगों से जूझ रही महिलाओं में बढ़ सकता है अवसाद, शोध में हुआ खुलासा

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लंदन। जो महिलाएं दृष्टि, श्रवण या दोहरी संवेदी (मस्तिष्क-संबंधी) रोग से पीड़ित हैं, उन्हें इसी तरह की दिक्कतों का सामना करने वाले पुरुषों की तुलना में अवसाद और चिंता संबंधी समस्याएं भी दोगुनी होती हैं। एक नए अध्ययन (स्टडी) में यह दावा किया गया है। इंटरनेशनल जर्नल ऑफ जेरियाट्रिक साइकियाट्री में प्रकाशित अध्ययन ने संकेत दिया कि अवसाद और चिंता की व्यापकता पुरुषों की तुलना में महिलाओं में 2 और 2.56 गुणा अधिक होती है।

एंग्लिया रस्किन विश्वविद्यालय (एआरयू) में प्रमुख लेखक शाहिना प्रधान ने एक बयान में कहा, "हमारे अध्ययन में पाया गया है कि सेन्सरी लॉस, विशेष रूप से दृष्टि और श्रवण संबंधी दिक्कत दोनों के परिणामस्वरूप जनसंख्या की अधिक संख्या अवसाद और चिंता का कारण है और यह प्रवृत्ति महिलाओं में विशेष रूप से मजबूत है।"

प्रधान ने कहा, "यह दृष्टि और श्रवण हानि को दूर करने के लिए हस्तक्षेपों के महत्व पर प्रकाश डालता है, विशेष रूप से महिलाओं में। कुछ संवेदी नुकसान निवारक या उपचार योग्य हैं और स्पष्ट रूप से ये मुद्दे न केवल शारीरिक स्वास्थ्य पर, बल्कि मानसिक स्वास्थ्य पर भी असर डाल रहे हैं।"

अध्ययन के लिए अनुसंधान टीम ने 23,000 से अधिक वयस्कों को सर्वेक्षण में शामिल किया और आंकड़ों से निष्कर्ष निकाले। इसमें प्रतिभागियों ने खुद से रिपोर्ट किया कि क्या उन्हें अवसाद या चिंता का सामना करना पड़ा है और यह भी कहा कि उन्होंने ²ष्टि, श्रवण, या दोहरे (दोनों दृष्टि और श्रवण) संवेदी संबंधी दिक्कतों का अनुभव किया है।

अध्ययन में पाया गया कि दोहरी संवेदी दुर्बलता वाली महिलाओं में अवसाद या चिंता की संभावना उनसे लगभग साढ़े तीन गुना अधिक देखने को मिली, जिन्हें इस तरह की कोई दिक्कत नहीं थी। वहीं दोहरी संवेदी दुर्बलता वाले पुरुषों में अवसाद का अनुभव होने की संभावना ढाई गुना से अधिक देखने को मिली।

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