शांति का नोबेल पाने वाले इथियोपियाई PM अबी अहमद का निरंकुश चेहरा आया सामने, गृहयुद्ध की चपेट में देश

नोबल शांति पुरस्कार से सम्मानित प्रधानमंत्री अबीय अहमद अली ने अपने शांत पड़े देश को भयानक गृह युद्ध की तरफ धकेल दिया है, और इसके अंतरराष्ट्रीय परिणाम खतरनाक हो सकते हैं...

Update: 2020-11-23 08:20 GMT

महेंद्र पाण्डेय की टिप्पणी

जनज्वार। अफ्रीकी देश इथियोपिया इन दिनों भयानक गृहयुद्ध की चपेट में है – हजारों लोग मारे जा चुके हैं और लगभग 40,000 लोग अपने देश को छोड़कर पड़ोसी देश सूडान में शरणार्थी के तौर पर पहुँच चुके हैं।

इथियोपिया के अब तक के सबसे कम उम्र के प्रधानमंत्री 44 वर्षीय अबी अहमद अली को अब तक दुनिया शांति का मसीहा समझती थी, पर अब उनका निरंकुश चेहरा सामने आ रहा है। इथियोपिया के प्रधानमंत्री, अबीय अहमद अली को वर्ष 2019 का नोबेल शांति पुरस्कार दिया गया था। इन्हें यह पुरस्कार शांति और अंतरराष्ट्रीय सहयोग के लगातार प्रयास के लिए दिया गया है।  

वर्षों से चले आ रहे इथियोपिया-एरिट्रिया सीमा विवाद को सुलझाने में अबीय अहमद अली के भूमिका की पूरी दुनिया में प्रशंसा की गयी थी। इन्होने इथियोपिया के राजनैतिक और सामाजिक जीवन में महिलाओं को आगे बढाने का भरपूर प्रयास किया है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इन्होंने केन्या के सोमालिया के साथ रिश्ते और सूडान और दक्षिणी सूडान के आपसी रिश्ते सुधारने में सराहनीय पहल की थी। पिछले वर्ष के नोबेल पुरस्कारों में वे अकेले अश्वेत थे और अफ्रीकी भी।

अनेक जानकार और अफ्रीकी देशों के विशेषज्ञ बताते हैं कि अबी अहमद अली का असली चेहरा निरंकुश शासक का ही है, अब तक उन्होंने विकास और सामाजिक और आर्थिक बदलाव का मुखौटा पहना था। दरअसल, पिछले वर्ष नोबेल पुरस्कार की घोषणा के बाद से ही उनका रवैय्या बदलने लगा था। गृह युद्ध की चपेट में उत्तरी क्षेत्र टिग्रे है, जहां टिग्रे पीपल्स लिबरेशन फ्रंट का कब्ज़ा है, और यह यह फ्रंट केंद्र सरकार में भागीदार नहीं है।

इस क्षेत्र में इस वर्ष के शुरू से ही प्रधानमंत्री और उनके सहयोगी दलों के विरुद्ध प्रदर्शन किये जा रहे थे। वर्ष 2018 में अबीय अहमद अली के प्रधानमंत्री बनने के पहले तक टिग्रे क्षेत्र के लोगों का केंद्र सरकार और सरकारी पदों पर दबदबा था, पर अब प्रधानमंत्री पर इस क्षेत्र की उपेक्षा का आरोप है।

लगभग दो सप्ताह पहले प्रधानमंत्री ने टिग्रे क्षेत्र में स्थित सेना के कैम्प पर पीपल्स लिबरेशन फ्रंट द्वारा हमले का आरोप लगाया और बिना किसी चेतावनी या छानबीन के ही टिग्रे क्षेत्र पर अपने ही नागरिकों पर हवाई हमले करा दिए। इसके बाद से इस क्षेत्र में हिंसा भड़क गई।

अब लगातार राष्ट्रीय सेना और पीपल्स लिबरेशन फ्रंट के छापामारों और सैनिकों के बीच युद्ध चल रहा है। इसका खामियाजा सामान्य नागरिक भुगत रहे हैं। पड़ोसी देश सूडान ने लगभग 21000 शरणार्थियों का आकलन कर अपने यहाँ इंतजाम किया था, पर अभी तक 40000 शरणार्थी पहुँच चुके हैं। संयुक्त राष्ट्र का आकलन है कि इस क्षेत्र में लम्बा युद्ध चलता रहेगा, और 2 लाख से अधिक शरणार्थी सूडान पहुँच सकते हैं।

इथियोपिया की सरकार लगातार दावा कर रही है कि अब विद्रोहियों को ठिकाने लगाया जा चुका है और टिग्रे क्षेत्र में राष्ट्रीय सेना का नियंत्रण है। पर संयुक्त राष्ट्र के अनुसार इस क्षेत्र में अभी तक भयानक युद्ध जारी है और इसकी खबर इसलिए बाहर नहीं आ रही है क्योंकि वहां पत्रकारों के जाने पर प्रतिबन्ध है और संचार के सभी माध्यम काट दिए गए हैं। यह युद्ध लम्बा चल सकता है क्योंकि पीपल्स लिबरेशन फ्रंट के सैनिक अब पहाड़ियों के पीछे से गुरिल्ला युद्ध कर रहे हैं।

राष्ट्रीय सैनिक किसी भी तरीके से अपने नियंत्रण नहीं बना रहे हैं। इस बीच पड़ोसी देश एरिट्रिया की सरकार ने इथियोपिया के राष्ट्रीय सरकार का समर्थन करते हुए अपनी सेना को मदद के लिए उतार दिया है। इसके बाद पीपल्स लिबरेशन फ्रंट के सैनिकों ने एरिट्रिया की सीमा के भीतर राकेटों से हमले किये हैं।

नोबल शांति पुरस्कार से सम्मानित प्रधानमंत्री अबीय अहमद अली ने अपने शांत पड़े देश को भयानक गृह युद्ध की तरफ धकेल दिया है, और इसके अंतरराष्ट्रीय परिणाम खतरनाक हो सकते हैं। इसमें अनेक देश सम्मिलित हो चुके हैं। एरिट्रिया तो सीधे तौर पर इथियोपिया के सरकार की मदद कर रहा है और शरणार्थी सूडान पहुँच रहे हैं।

आशंका है यदि स्थिति ऐसी ही बनी रही तो कुछ सप्ताह बाद इस पूरे क्षेत्र में भयानक युद्ध हो सकता है और फिर इथियोपिया अपने पुराने हालात में पहुँच जाएगा। इस दौर में इथियोपिया की तुलना लीबिया से की जा रही है। अपुष्ट खबरों के अनुसार विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुखिया तेद्रोस अधनोम घेब्रेयेसुस का नाम भी इस गृहयुद्ध से जुड़ गया है। ये मूलतः टिग्रे क्षेत्र के निवासी हैं और इथियोपिया के सेना प्रमुख ने आरोप लगाया है कि तेद्रोस पीपल्स लिबरेशन फ्रंट की मदद कर रहे हैं और उन्हें हथियार मुहैय्या करा रहे हैं। 

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