भारत में मानवाधिकारों की स्थिति पर यूरोपीय संसद की विदेश मामलों की समिति ने जतायी चिंता
रिपोर्ट में यूरोपीय संघ और भारत के बीच घनिष्ठ मूल्य आधारित व्यापार संबंधों और विश्व व्यापार संगठन में सुधार पर एक साथ काम करने की आवश्यकता की वकालत की गई है....
जनज्वार डेस्क। यूरोपीय संसद की विदेश मामलों की समिति ने उस रिपोर्ट को स्वीकार किया है जिसमें भारत में बिगड़ती मानवाधिकारों की स्थिति पर चिंता व्यक्त की गई है।
इस रिपोर्ट में भारत में मानवाधिकार रक्षकों और पत्रकारों के लिए असुरक्षित कामकाजी माहौल, भारतीय महिलाओं और अल्पसंख्यक समूहों द्वारा सामना की जाने वाली कठिन परिस्थितियों और जाति आधारित भेदभाव के बारे में कई टिप्पणियां की गई हैं।
इस रिपोर्ट का 61 वोटों ने समर्थन किया गया जबकि छह वोट इसके खिलाफ पड़े जबकि चार सदस्य गैरहाजिर रहे। विदेश मामलों की समिति की यह रिपोर्ट अब सदस्य यूरोपीय संसद के पूर्ण अधिवेशन में वोटिंग के लिए प्रस्तुत की जाएगी।
रिपोर्ट में एमनेस्टी इंटरनेशनल इंडिया के कार्यालय बंद होने पर भी चिंता व्यक्त की गई है, जिसके बैंक खातों को विदेशी अंशदान अधिनियम के कथित उल्लंघन के कारण फ्रीज कर दिया गया था।
रिपोर्ट में नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) पर भी चिंता व्यक्त की गई है, जिसे मुसलमानों के खिलाफ प्रकृति में भेदभावपूर्ण और खतरनाक रूप से विभाजनकारी करार दिया गया था।
यूरोपीय संसद की विदेश मामलों की ने भारत के बढ़ते क्षेत्रीय और भूराजनीतिक प्रभाव को देखते हुए यूरोपीय यूनियन (ईयू) और भारत के बीच व्यापक द्विपक्षीय संबंधों की वकालत की। रिपोर्ट में यूरोपीय संघ और भारत के बीच घनिष्ठ मूल्य आधारित व्यापार संबंधों और विश्व व्यापार संगठन में सुधार पर एक साथ काम करने की आवश्यकता की वकालत की गई है।
रिपोर्ट में आगे कहा गया कि यूरोपीय संघ कश्मीर की स्थिति को बारीकी से देख रहा है और भारत और पाकिस्तान के बीच स्थिरता और विकास को बढ़ाने के लिए अपना समर्थन दोहराया है।