मोदी-ट्रंप भाई-भाई के जाप के बीच विदेश मंत्री जयशंकर ने ही कर डाली अमेरिका की खिंचाई

एस जयशंकर ने अमेरिका को बहु ध्रुवीय और बहु पक्षीय व्यवस्था में काम करने की सीख दी है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया है कि भारत किसी गुट में शामिल नहीं होगा...

Update: 2020-07-24 09:07 GMT

जनज्वार। लद्दाख की गलवान घाटी में भारत और चीन के सैनिकों के बीच हुई हिंसक झड़प के बाद से ही अमेरिका खुलकर भारत का समर्थन करता रहा है और अब तो अमेरिकी संसद के निचले सदन ने भारत के समर्थन में प्रस्ताव भी पारित कर दिया है लेकिन भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने उल्टे चीन को आईना दिखाने का काम कर दिया। उन्होंने बदलते वैश्विक परिवेश में अमेरिका को गठबंधन से आगे सोचने और बहुध्रुवीय दुनिया में काम करने की नसीहत दे डाली।

गौरतलब है कि विदेश मंत्री बुधवार २२ जुलाई को यूएस-इंडिया बिज़नेस काउंसिल के वार्षिक शिखर सम्मेलन इंडिया आइडियाज़ समिट २०२० में बोल रहे थे।

उन्होंने कहा कि अमेरिका को गुटों से ऊपर उठना चाहिए और एक बहुध्रुवीय दुनिया में रहना सीखना चाहिए।

जयशंकर ने कहा, एस जयशंकर ने अमेरिका को बहु ध्रुवीय और बहु पक्षीय व्यवस्था में काम करना सीख दी है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया है कि भारत किसी गुट में शामिल नहीं होगा... पिछली दो पीढ़ियों में जिन गठबंधनों और साझेदारियों के साथ वो आगे बढ़ा है, उस दायरे से उसे निकलना होगा'।

विदेश मंत्री ने कहा, मैं खासकर भारत की बात कर रहा हूँ, हमारे स्वतंत्रता के इतिहास को देखें, हम बिल्कुल अलग-अलग जगहों से आते हैं। कई ऐसे मुद्दे होंगे जहां हमारी सोच एक जैसी होगी जबकि कई मुद्दों पर अलग। हमें भविष्य में और भी ज़्यादा कॉमन ग्राउंड तलाशने होंगे।

जयशंकर ने कहा कि भारत और अमेरिका को लंबित व्यापारिक मुद्दे सुलझाने के लिए व्यापक नज़रिए से सोचने की ज़रूरत है।

उन्होंने कहा, 'मेरा मानना है कि ये दोनों देशों के हित में होगा। हमें लंबित पड़े मसलों को सुलझा कर बड़े लक्ष्यों पर काम करना होगा। मैं आर्थिक संबंधों की अहमियत समझता हूँ। ये हमारी रोज़ी-रोटी के मसले हैं और देशों के आपसी संबंधों के मूल कारण हैं लेकिन इसके साथ ही मेरा ये भी मानना है कि भारत और अमेरिका को इससे आगे सोचने की ज़रूरत है'।

विदेश मंत्री ने कहा कि भारत और अमेरिका के बीच व्यापार से ज़्यादा बड़े आपसी रिश्ते हैं जैसे कि ज्ञान और नई खोज का रिश्ता।

उन्होंने कहा, 'मुझे लगता है कि सामानों के आयात-निर्यात और एक-दूसरे के लिए निवेश का बेहतर माहौल बनाने के अलावा, भारत और अमेरिका को तकनीक और नई खोज के क्षेत्र में साथ मिलकर काम करने की ज़रूरत है। मुझे लगता है कि इससे हमारे रिश्तों को एक अलग पहचान मिलेगी'।

विदेश मंत्री जयशंकर ने आगे कहा, 'जब हम दुनिया की तरफ नज़र डालते हैं तो हमें एक जैसा परिदृश्य नज़र आता है, हमारी महत्वाकांक्षाएँ ज़्यादा समान नज़र आती हैं। ऐसी स्थिति में किसी तकनीक या नई खोज पर साथ काम करने के लिए दोनों देशों के बीच आपसी भरोसा होना बहुत ज़रूरी है'।

भारत और अमेरिका के संबंधों का ज़िक्र करते हुए विदेश मंत्री ने कहा कि दोनों देश अगर साथ मिलकर काम करें तो वो दुनिया को एक नया आयाम दे सकते हैं।

उन्होंने कहा, हम समुद्री सुरक्षा, आतंकवाद-विरोधी रणनीति, कनेक्टिविटी, कोरोना वायरस महामारी से निबटने, अर्थव्यवस्था और यहाँ तक कि जलवायु परिवर्तन जैसे मुद्दों पर भी साथ मिलकर काम कर रहे हैं।

गौरतलब है कि विदेश मंत्री ने पिछले हफ़्ते ही कहा था कि भारत कभी किसी गुट का हिस्सा नहीं बनेगा।  

Tags:    

Similar News