France News : हेडफोन और शहरी शोर के कारण 25 प्रतिशत आबादी हो रही बहरेपन शिकार, स्टडी में हुआ हैरान करने वाला खुलासा

France News : फ्रांस में एक हैरान करने वाली स्टडी हुई है, वहां के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ एंड मेडिकल इंस्टीट्यूट की रिसर्च से पता चला है कि फ्रांस में 4 में से एक व्यक्ति को सुनने में परेशानी हो रही है, वहां की 25% आबादी को ऐसी दिक्कतें हैं, यानी वे धीरे-धीरे बहरे होती जा रहे हैं...

Update: 2022-06-22 10:23 GMT

France News : हेडफोन और शहरी शोर के कारण 25 प्रतिशत आबादी हो रही बहरेपन शिकार, स्टडी में हुआ हैरान करने वाला खुलासा

France News : आजकल ऑटो में हो या फिर बस में, हर दूसरा व्यक्ति अपने कान में एयर फोन लगाए हुए मिल जाता है, जो सेहत के लिए हानिकारक साबित हो सकता है। फ्रांस में एक हैरान करने वाली स्टडी हुई है। वहां के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ एंड मेडिकल इंस्टीट्यूट की रिसर्च से पता चला है कि फ्रांस में 4 में से एक व्यक्ति को सुनने में परेशानी हो रही है। वहां की 25% आबादी को ऐसी दिक्कतें हैं, यानी वे धीरे-धीरे बहरे होती जा रहे हैं।

फ्रांस में बड़े लेवल पर हुई स्टडी

बता दें कि पहली बार फ्रांस में इस तरह की रिसर्च बड़े लेवल पर की गई है, जिसमें 18 से 75 वर्ष की उम्र के 186460 लोगों को शामिल किया गया था। रिसर्च करने वालों का मानना है कि पहले केवल छोटे लेवल पर रिसर्च की गई थी लेकिन इस बार की गई रिसर्च के मुताबिक लोगों को सुनने में समस्या लाइफस्टाइल , सोशल, आइसोलेशन, डिप्रेशन और तेज आवाज में म्यूजिक के संपर्क में आने के कारण हो रही है।

बता दें कि रिसर्च में पाया गया है कि कुछ लोगों में शुगर और डिप्रेशन की वजह से सुनने की समस्या हो रही है। वहीं कुछ लोगों को अकेलेपन, शहरी शोर और हेडफोन का यूज करने के कारण परेशानी हो रही है।

37% लोग ही करते हैं हियरिंग एड का इस्तेमाल

फ्रांस में महज 37% लोग ही हियरिंग एड इस्तेमाल करते हैं। धूम्रपान करने वाले और उच्च बीएमआई वाले लोग भी हियरिंग एड का कम इस्तेमाल कर रहे हैं। बढ़ती हुई समस्या को देखते हुए फिलहाल फ्रांस के स्वास्थ्य विभाग ने फ्री में ईयररिंग ऐड लोगों को उपलब्ध कराए थे। बात दें कि हियरिंग ऐड के लिए बीमा का भी प्रावधान किया गया है।

दुनिया में 150 करोड़ लोगों को सुनने में हो रही है समस्या

विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार दुनिया में लगभग 150 करोड़ लोगों को किसी ना किसी रूप में सुनने में समस्या महसूस हो रही है। यह संख्या 2050 तक बढ़कर 250 करोड़ होने की संभावना है, इसलिए इसे स्वास्थ्य समस्या के रूप में देखा जा रहा है।

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