वाकई हिंदी-चीनी हैं भाई-भाई, दोनों देशों में मानवाधिकार पर खूब प्रवचन मगर हनन भी सबसे ज्यादा

जनता को चीन, चीनी उत्पादों और चीनी एप के विरुद्ध भड़काकर एक आवरण तैयार किया गया है और इसी आवरण की आड़ में चीन के साथ सरकारी स्तर पर, व्यापार के स्तर पर खूब दोस्ताना निभाया जाता है....

Update: 2021-11-19 13:50 GMT

चीन की तरह हमारे देश में भी मानवाधिकारों का होता है खूब हनन (file photo)

महेंद्र पाण्डेय की टिप्पणी

पिछले वर्ष चीन के वुहान (Wuhan) शहर, जहां से माना जाता है कि कोविड 19 पूरी दुनिया में फैला, में रिपोर्टिंग करने वाली पत्रकार जहाँग झांन (Zhang Zhan) को चीन की सरकार ने मई 2020 में गिरफ्तार किया और दिसम्बर में 4 वर्ष की सजा सुना दी। जहाँग झांन द्वारा कोविड 19 की रिपोर्टिंग में अनेक तथ्य ऐसे थे, जिन्हें चीन की सरकार लगातार दुनिया से छुपाती रही है।

जहाँग झांन जेल में लगातार अनशन और भूख हड़ताल कर रही हैं, और अब जिन्दगी और मौत के बीच झूल रही हैं। हाल में ही चीन के सैकड़ों मानवाधिकार कार्यकर्ता, वकील और नागरिक एक खुले पत्र के माध्यम से सरकार और जेल प्रशासन से जहाँग झांन के रिहाई की गुहार लगा रहे हैं। रिपोर्टर्स विदआउट बॉर्डर्स (Reporters without Borders) ने वर्ष 2021 के लिए साहसिक पत्रकारिता के लिए प्रेस फ्रीडम अवार्ड (Press Freedom Award for Courage 2021) जहाँग झांन को देने की घोषणा की है।

जहाँग झांन का मुकदमा लड़ने वाले वकील रेन क़ुअन्निउ (Ren Quanniu) के वकालत का लाइसेंस सरकार ने रद्द कर दिया है। रेन क़ुअन्निउ ने हाल में ही कहा है कि, "जहाँग झांन की सजा चीन के सरकार द्वारा पत्रकारिता, जन-मत और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर पूरी तरह से नियंत्रण को दर्शाता है। सरकारों को जो तथाकथित संवेदनशील मसला लगता है और जो विचार उनके भौडे प्रोपेगेंडा से अलग होते हैं – उसे रोकने के लिए चीन सरकार किसी भी हद तक जा सकती है, सरकार के लिए नागरिक पत्रकारों या स्वतंत्र पत्रकारों का कोई महत्त्व नहीं है। जहाँग झांन को जेल में रखकर सरकार दूसरे पत्रकारों को बता रही है कि यदि तुमने कुछ सच लिखा तो यही हश्र होगा। (Conviction was manifestation of strict control over journalism, public opinion or independent media and freedom of expression. No matter if you are citizen journalist or independent media, things that are so called sensitive and do not conform to caliber of propaganda are not allowed. If you make such things public, the results would be similar)"

चीन में एक निरंकुश शासन है, पर चीन में जो हो रहा है वह तो अब लोकतांत्रिक देशों में भी सामान्य प्रक्रिया है। हमारा देश इसका सबसे बड़ा उदाहरण है। चीन और भारत की जनता भले ही "हिंदी-चीनी भाई भाई" का नारा भूल गयी हों, पर वर्तमान सरकार ने इसे पूरी तरह से जीवंत रखा है। हमारी सरकार एक कदम और आगे है, जनता को चीन, चीनी उत्पादों और चीनी एप के विरुद्ध भड़काकर एक आवरण तैयार किया गया है और इसी आवरण की आड़ में चीन के साथ सरकारी स्तर पर, व्यापार के स्तर पर खूब दोस्ताना निभाया जाता है। अब तो चीन जैसा निरंकुश शासन भी हो चला है।

देश के अधिकतर पत्रकार और मीडिया संस्थान पहले ही सरकार की चाटुकारिता में लीन हैं, दूसरी तरफ सच कहने का और दिखाने का या पत्रकारिता धर्म निभाते पत्रकारों को कभी भी राष्ट्रद्रोही, आतंकवादी या माओवादी करार दिया जा सकता है और सालों तक जेल में डाला जा सकता है। हालत यहाँ तक पहुँच गयी है कि चीन की तुलना में भारत में अधिक संख्या में पत्रकार मुकदमे झेल रहे हैं या जेल में बंद हैं।

रिपोर्टर्स विदआउट बॉर्डर्स की साईट पर एक निष्पक्ष पत्रकारिता भक्षक गैलरी है। इसमें उन राष्ट्रपतियों और प्रधानमंत्रियों के नाम, काम और चित्र हैं, जो निष्पक्ष पत्रकारिता के दमन में अग्रणी हैं – इस गैलरी में चीन के राष्ट्रपति और हमारे देश के प्रधानमंत्री दोनों शामिल हैं। यह हिंदी-चीनी भाई भाई का एक जीवंत उदाहरण है।

केवल पत्रकार ही नहीं, बल्कि दोनों देशों में कोई भी सरकार के, सरकारी नेताओं या अधिकारियों पर आरोप लगाता है, तो आरोप को खारिज कर आनन-फानन में आरोप लगाने वाले को खुलेआम प्रताड़ित किया जाने लगता है। टोक्यो ओलिंपिक के दौरान हमारे देश की टेनिस खिलाड़ी मनिका बत्रा (Manika Batra) ने टेबल टेनिस के राष्ट्रीय कोच और टेबल टेनिस फेडरेशन पर गंभीर आरोप लगाए थे, जिसमें मैच-फिक्सिंग का भी आरोप था। सरकार ने कुछ नहीं किया और फेडरेशन ने मोनिका बत्रा का उत्पीडन शुरू किया। हाल में ही, दिल्ली उच्च न्यायालय ने इस मामले में दखल देकर मामले की जांच के लिए एक कमेटी बनाई है, पर सरकार अभी तक तमाशा देख रही है।

चीन की एक प्रतिष्ठित टेनिस खिलाड़ी हैं – पेंग शुएइ (Peng Shuei)– जो ख्यातिप्राप्त डबल खिलाड़ी रह चुकी है। 2 नवम्बर को उन्होंने सोशल मीडिया, वेइबोपोस्ट, पर बताया कि किस तरह से पूर्व उप-प्रधानमंत्री जहाँग गोली (Zhang Gaoli), उनका यौन शोषण करते थे। इस पोस्ट के बाद से पेंग शुएइ का कोई पता नहीं है, यह भी नहीं पता कि वे जिन्दा हैं भी या नहीं। चीन सरकार के तरफ से कोई बयान नहीं है। महिला टेनिस फेडरेशन के साथ ही अन्य वर्तमान और पूर्व टेनिस खिलाड़ी इस घटना पर चिंता जाता चुके हैं और सबने पेंग शुएइ के सलामती की कामना की है। इसमें नाओमी ओसाका, क्रिस एवर्ट, बिली जीन किंग्स और मार्टिना नवरातिलोवा शामिल हैं।

हमारे देश में भी यौन शोषण का आरोप लगाने वाले का ही सरकार, समर्थक और मीडिया चरित्र हनन शुरू कर देता है। जाहिर है, चीन और भारत की सरकारों में बहुत समानताएं हैं – दोनों मानवाधिकार की खूब चर्चा करते हैं, प्रवचन देते है और इसका हनन करते हैं।

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