अफगानिस्तान में तालिबान के खिलाफ विद्रोह, भारी गोलाबारी के बीच विद्रोही गुटों ने तालिबान से तीन जिले छीने

तालिबान और विरोधियों के बीच यहां भारी गोलीबारी हुई है, इस गोलीबारी में तालिबान को भारी नुकसान होने की खबर है, तालिबान के विरोधियों ने ऐसी कुछ तस्वीरें भी सोशल मीडिया पर भी शेयर की हैं..

Update: 2021-08-21 03:30 GMT

विद्रोही गुटों ने तालिबानी कब्जे से तीन जिले छीन लिए हैं

जनज्वार। अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बीच स्थानीय विद्रोही गुट भी सक्रिय हो गए हैं। खबर है कि बाघलान राज्य में विद्रोही गुटों ने तालिबान के कब्जे से तीन जिले छीन लिए हैं। कहा जा रहा है कि बाघलान प्रांत में स्थानीय विरोधी गुटों ने बानू और पोल-ए-हेसर जिलों पर फिर से कब्जा कर लिया है।

स्थानीय मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार तालिबान और विरोधियों के बीच यहां भारी गोलीबारी हुई है। इस गोलीबारी में तालिबान को भारी नुकसान होने की खबर है। तालिबान के विरोधियों ने ऐसी कुछ तस्वीरें भी सोशल मीडिया पर भी शेयर की हैं।

इससे पहले यह भी खबर आई थी कि सालेह की सेना ने परवान प्रक्षेत्र के चारीकार इलाके पर कब्जा कर लिया। यह प्रक्षेत्र नॉर्थ काबुल में आता है। अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बीच उसके शासन के खिलाफ खेमेबंदी तेज हो गई है। यह भी खबर आई है कि अफगानिस्तान की तालिबान विरोधी ताकतें पंजशीर घाटी में एकजुट हुई हैं।

इनमें पूर्व उपराष्ट्रपति अमरूल्ला सालेह और अफगान सरकार के वफादार सिपहसालार जनरल अब्दुल रशीद दोस्तम व अता मोहम्मद नूर के अलावा नॉदर्न अलायंस से जुड़े अहमद मसूद की फौजें शामिल हैं। अहमद मसूद 'पंजशीर के शेर' के नाम से मशहूर पूर्व अफगान नेता अहमद शाह मसूद के बेटे हैं।

मीडिया में आई खबरों के मुताबिक, तालिबान के खिलाफ बगावत का बिगुल फूंकने वाली फौजों यानी नॉदर्न अलायंस ने परवान प्रांत के चारिकार इलाके पर दोबारा नियंत्रण हासिल कर लिया है। चूंकि, चारिकार राजधानी काबुल को उत्तरी अफगानिस्तान के सबसे बड़े शहर मजार-ए-शरीफ से जोड़ता है, लिहाजा उस पर जीत को विद्रोहियों की बड़ी कामयाबी के तौर पर देखा जा रहा है।

खबरों के अनुसार, चारिकार पर कब्जे के लिए सालेह के सैनिकों ने पंजशीर की तरफ से हमला किया था। यह अफगानिस्तान का अकेला ऐसा प्रांत है, जिस पर तालिबान का कब्जा नहीं हो सका है।

विद्रोहियों ने पंजशीर में नॉदर्न अलायंस उर्फ यूनाइटेड इस्लामिक फ्रंट का झंडा भी फहरा दिया है। अब उनका इरादा पूरी पंजशीर घाटी पर कब्जा जमाने का है।

पंजशीर घाटी की भौगोलिक स्थिति को देखते हुए अमेरिका नीत फौजें भी क्षेत्र में जमीनी कार्रवाई करने की हिम्मत जुटा सकीं। उनका अभियान सिर्फ हवाई हमलों तक सीमित रहा।

सालेह की जन्मभूमि पंजशीर घाटी अफगानिस्तान के 'नेशनल रेजिस्टेंस फ्रंट' का गढ़ कहलाती है। अमरूल्ला सालेह और अहमद मसूद इसके प्रमुख नेता हैं। सालेह का जन्म पंजशीर घाटी में ही हुआ था। उन्हें सैन्य प्रशिक्षण भी यहीं पर मिला था। वहीं, अहमद मसूद पूर्व अफगान नेता अहमद शाह मसूद के बेटे हैं, जिन्हें 'पंजशीर के शेर' के नाम से जाना जाता था।

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