फिलिस्तीनी नरसंहार के खिलाफ श्रमिक संगठन, कहा नहीं करेंगे हथियार ले जाने वाले जलपोतों पर लोडिंग-अनलोडिंग

द वाटर ट्रांसपोर्ट वर्कर्स फेडरेशन ऑफ़ इंडिया के लगभग 3500 सदस्य देश के प्रमुख 11 बंदरगाहों पर कार्यरत हैं। 14 फरवरी 2024 को इस फेडरेशन द्वारा जारी एक विज्ञप्ति में कहा गया है कि फिलिस्तीन की जनता के नरसंहार के विरोध में उनके सदस्य इजराइल को भेजे जाने वाले किसी भी हथियार या सैन्य साजो-सामान की ढुलाई नहीं करेंगे....

Update: 2024-02-21 08:52 GMT

महेंद्र पाण्डेय की टिप्पणी

दुनिया के जितने भी नेता या राष्ट्राध्यक्ष मानवाधिकार और शांति पर प्रवचन देते हैं, सभी फिलिस्तीनियों के इजराइल की सेना द्वारा किये जा रहे नरसंहार को रोकने के बदले उसे बढ़ावा देने का काम कर रहे हैं। अमेरिका ने लगातार तीसरी बार गाजा में तत्काल युद्ध-विराम से सम्बंधित संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद् के प्रस्ताव को वीटो किया है।

अमेरिका, कुछ यूरोपीय देशों के साथ ही भारत भी इजराइल और फिलिस्तीन– दो राष्ट्रों के समर्थन का दावा तो करता है, दूसरी तरफ ये सभी देश इजराइल को सैन्य मदद भी पहुंचा रहे हैं, जिनका उपयोग कर फिलिस्तिनियों का नरसंहार किया जा रहा है, निर्दोष महिलाओं और बच्चों का कत्लेआम किया जा रहा है। अमेरिका और यूरोपीय देश तो घोषित तौर पर इजराइल की सैन्य मदद कर रहे हैं, तो दूसरी तरफ भारत अघोषित तौर पर, मीडिया और दुनिया की नज़रों से दूर, इजराइल की सैन्य मदद कर रहा है।

हाल में ही खबर आई है कि भारत ने इजराइल को युद्ध में काम आने वाले 20 हेर्मेस900 ड्रोन बेचे हैं। आश्चर्य यह है यह सौदा इतना गुप्त रखा गया कि न तो भारतीय अधिकारियों ने और न ही इजराइल की सेना ने इसकी जानकारी दी। यह खबर कुछ विदेशी मीडिया में आई, जाहिर है अंबानी और अडानी के मीडिया, जो मोदी जी को शांतिदूत बताता है, से ऐसी खबर की उम्मीद करना ही बेकार है, पर इस खबर के आने के बाद देश के सरकारी बंदरगाहों से जुड़े एक प्रमुख श्रमिक संगठन ने ऐलान किया है कि उनके सदस्य इजराइल को हथियार की खेप ले जाने वाले जलपोतों पर कोई भी लोडिंग या अनलोडिंग नहीं करेंगे।

द वाटर ट्रांसपोर्ट वर्कर्स फेडरेशन ऑफ़ इंडिया के लगभग 3500 सदस्य देश के प्रमुख 11 बंदरगाहों पर कार्यरत हैं। 14 फरवरी 2024 को इस फेडरेशन द्वारा जारी एक विज्ञप्ति में कहा गया है कि फिलिस्तीन की जनता के नरसंहार के विरोध में उनके सदस्य इजराइल को भेजे जाने वाले किसी भी हथियार या सैन्य साजो-सामान की ढुलाई नहीं करेंगे। विज्ञप्ति में कहा गया है कि हम हमेशा से युद्ध के खिलाफ रहे हैं और बेबस महिलाओं और बच्चों की ह्त्या की भर्त्सना करते हैं।

इस युद्ध में अब तक 30000 से भी अधिक निर्दोष फिलिस्तीनी मारे जा चुके हैं और जो मारे नहीं गए हैं वे भूख, प्यास और बीमारियों से तड़प रहे हैं। इससे पहले केरल के कुन्नूर में स्थित एक गारमेंट फैक्ट्री जो इज्राईली सैनिकों के यूनिफार्म तैयार करती थी, ने भी इस यूनिफार्म को बनाना बंद कर दिया है। इस श्रमिक फेडरेशन के जेनेरल सेक्रेटरी, टी नरेन्द्र राव ने मिडिल ईस्ट आई (Middle East Eye) नामक मीडिया को दिए गए साक्षात्कार में कहा कि हम निर्दोष फिलिस्तीनियों का समर्थन करते हैं और उनके नरसंहार की किसी भी कार्यवाही में भागीदारी नहीं करेंगें।

द वाटर ट्रांसपोर्ट वर्कर्स फेडरेशन ऑफ़ इंडिया, श्रमिकों के वैश्विक संगठन वर्ल्ड फेडरेशन ऑफ़ ट्रेड यूनियंस से जुड़ा है, और इसने एथेंस में हुए सम्मेलन में दुनियाभर के श्रमिक संगठनों से फिलिस्तिनीयों पर किये जाने वाले हमलों से जुड़े सभी प्रकार के युद्ध सामग्रियों की ढुलाई का बहिष्कार करें।

इस आह्वान पर इटली, स्पेन, साउथ अफ्रीका, अमेरिका, स्पेन, ग्रीस, तुर्कीये, बेल्जियम, यूनाइटेड किंगडम और भी अनेक देशों के श्रमिक संगठनों ने हरेक ऐसे काम का बहिष्कार किया है जिससे इजराइल को सैन्य मदद मिलती हो। नवम्बर 2023 के शुरू में इटली, तुर्कीये और ग्रीस के श्रमिक संगठनों के अधिवेशन के संयुक्त वक्तव्य में कहा गया था कि “श्रमिकों के अधिकारों का संघर्ष मावाधिकार, समानता और आजादी के संघर्ष से अलग नहीं है। परिवहन से जुड़े श्रमिकों का इतिहास हमेशा से युद्ध, फासिज्म, रंगभेद, असमानता और हमलों से दूर और शांति की तरफ रहा है। श्रमिक संगठन जनता के दमन का विरोध करते हैं। इस कारण से परिवहन साधनों को नरसंहार का कारण नहीं बना सकते।”

सन्दर्भ:

1. Press release by The Water Transport Workers Federation of India, 14th February - twitter.com/broseph_stalin/status/1759115905408114831

2. War on Gaza: Indian Union refuses to load ships with arms headed for Israel - middleeasteye.net/news/war-gaza-indian-union-refuses-load-ships-arms-headed-israel

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