म्यांमार में कोरोना से भुखमरी की नौबत, नाले में खोज रहे खाना, कीड़े, सांप व चूहे खाकर लोग भर रहे हैं पेट

दूसरे लाॅकडाउन ने म्यांमार को बुरी तरह प्रभावित किया। शहर के स्लम एरिया में भुखमरी के भयावह हालात पैदा हो गए। सरकार के उपाय यहां नाकाफी हैं...

Update: 2020-10-24 11:32 GMT

भुखमरी बना कोरोना से भी ज्यादा खतरनाक रोग (प्रतीकात्मक फोटो)

जनज्वार। म्यांमार कोरोना संकट के कारण बड़े खाद्यान्न संकट में फंस गया है। हालात यह है कि वहां लोगों ने नालों में भी कुछ खाने को तलाशने है ताकि पेट का एक कोना भर जाए और सांसें चलें। लोग सांप, चूहे व कीड़े खा रहे हैं ताकि जिंदा रह सकें।

दरअसल, कोरोना संक्रमण के कारण लगे लाॅकडाउन ने म्यांमार को बुरी तरह प्रभावित किया है। कोरोना संक्रमण के कारण दुनिया के कई दूसरे देशों की तरह यहां भी लाॅकडाउन लगाया गया, हालात थोड़े सुधरे तो लाॅकडाउन खोला गया लेकिन केस फिर बढने लगे। ऐसे में सितंबर में लोगों के फिर घरों में रहने को कहा गया।

इस बंदी के कारण लोगों की कमाई नीचे पहुंच गई, रोजगार बंद हो गया और उनकी क्रय शक्ति बेहद कम हो गई। 36 वर्षीया एक महिला मा सूनी ने कहा कि जब पहली बार लाॅकडाउन लगा तो उन्हें अपना स्लाद स्टाॅल बंद करना पड़ा और खाना जुटाने के लिए गहने बेचने पड़े थे। फिर जब दोबारा लाॅकडाउन लगा तो बरतन व कपड़े तक बेचने की नौबत आ गई।

इसके बाद जब बेचने के लिए पास में कुछ बचा नहीं तो शहरी इलाकों के नालों के आसपास खाना ढूंढना शुरू किया। उनका कहना है कि अधिकतर लोग सांप व चूहे खाने को मजबूर हैं।

वहीं, सरकार के एक अधिकारी ने दावा किया कि 40 प्रतिशत लोगों तक आवश्यक सहायता उपलब्ध करायी गई है। करीब साढे पांच करोड़ की आबादी वाले दक्षिण एशियाई देश म्यांमार में 42, 365 हजार से अधिक लोग कोरोना से संक्रमित हो चुके हैं, जिनमें 21 हजार स्वस्थ हो गए हैं। इस बीमारी से एक हजार 38 लोगों की मौत भी हो चुकी है।

म्यांमार की सरकार अपने राहत उपायों के तहत गरीब परिवारों को एक खाद्य पैकेट और 15 डाॅलर के तीन नकद अनुदान देती है, लेकिन प्रभावित परिवारों का कहना है कि यह बहुत कम है।


अप्रैल में इस देश में एक सर्वे हुआ था जिसमें यह पाया गया कि 70 प्रतिशत लोगों को लाॅकडाउन से रोजगार की दिक्कत हो गई और एक चौथाई लोगों ने भोजन, दवा और अन्य आवश्यक चीजों के लिए ऋण लिया था।


म्यांमार में कपड़ा निर्माण व पर्यटन के काम में लाॅकडाउन के कारण ठहराव आ गया, जिससे संकट बढा।

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