कोरोना महामारी के बीच पाकिस्तान ने भारत को अफगान निर्यात के लिए खोली वाघा सीमा

कोरोना के चलते पाकिस्तान ने मार्च में भारत सहित अपने सभी पड़ोसी देशों के साथ सभी भूमि सीमा को बंद कर दिया था, पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच 2010 के द्विपक्षीय व्यापार समझौते के तहत वाघा सीमा के माध्यम से भारत को अफगान निर्यात की अनुमति है....

Update: 2020-07-15 02:30 GMT

हमजा अमीर की रिपोर्ट

इस्लामाबाद। पाकिस्तान सरकार ने अफगानिस्तान से वस्तुओं को भारत भेजने के लिए वाघा सीमा को फिर से खोलने का फैसला किया है। पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय के बयान के अनुसार, अफगानिस्तान सरकार ने पारगमन व्यापार को फिर से शुरू करने का अनुरोध किया था। इसके बाद यह निर्णय लिया गया है। बयान में कहा गया है कि यह व्यापार कोविड-19 प्रोटोकॉल के तहत किया जाएगा।

बयान में कहा गया है, 'इस कदम के साथ, पाकिस्तान ने पाकिस्तान-अफगानिस्तान पारगमन व्यापार समझौते (एपीटीटीए) के तहत अपनी प्रतिबद्धताओं को पूरा किया है। पाकिस्तान ने सभी सीमा टर्मिनल पर द्विपक्षीय व्यापार और अफगान पारगमन व्यापार को कोविड-19 से पूर्व की स्थिति पर बहाल कर दिया है।'

कोरोना वायरस के प्रसार के बाद पाकिस्तान ने मार्च में भारत सहित अपने सभी पड़ोसी देशों के साथ सभी भूमि सीमा को बंद कर दिया था। पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच 2010 के द्विपक्षीय व्यापार समझौते के तहत, वाघा सीमा के माध्यम से भारत को अफगान निर्यात की अनुमति है।

हालांकि, समझौते में पाकिस्तानी क्षेत्र के माध्यम से अफगानिस्तान में भारतीय निर्यात की अनुमति नहीं है। पाकिस्तान ने हाल ही में द्विपक्षीय व्यापार के लिए अफगानिस्तान के साथ अंगोर अड्डा बॉर्डर क्रॉसिंग को फिर से खोल दिया, जबकि खारलाची सीमा को भी यातायात के लिए खोल दिया गया।

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अफगानिस्तान के लिए पाकिस्तान के विशेष दूत मोहम्मद सादिक ने कहा, 'पाक-अफगान संबंधों का मुख्य आधार, व्यापार और सीमा के दोनों ओर के क्षेत्र की समृद्धि होना चाहिए। हम सीमा के दोनों ओर आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा देने के साथ आगे बढ़ रहे हैं। कोविड ने हमें थोड़ा धीमा कर दिया है लेकिन हमारी दिशा सही है।'

यह निर्णय अफगान व्यापारियों के लिए एक राहत के रूप में आया है, जो पाकिस्तान पर कोरोना वायरस महामारी की आड़ में एकतरफा व्यापार लाभ लेने का आरोप लगाते रहे हैं।

दूसरी ओर, पाकिस्तान के कुछ विपक्षी दलों ने इमरान खान की अगुवाई वाली सरकार के निर्णय पर सवाल उठाया है। उनका कहना है कि 'भारत को भी लाभ पहुंचाने वाला यह कदम उस दिन क्यों उठाया गया जब देश 'भारतीय अत्याचार' के मुकाबले में लड़ने वाले कश्मीरियों की याद में कश्मीर शहीद दिवस मना रहा है। यह फैसला लेने से पहले विपक्ष को विश्वास में लिया जाना चाहिए था।'

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