Russia Ukraine War : मानव शरीर को पलभर में भाप में बदल सकता है Vacuum बम, जानिए कैसे काम करते हैं थर्मोबैरिक हथियार
What Is Vacuum Bomb : वैक्यूम बम अब तक सबसे विकसित शक्तिशाली गैर परमाणु हथियारों में से एक है जिसे थर्मोबैरिक हथियार भी कहा जाता है, इस हथियार पर जिनेवा सम्मेलन के तहत प्रतिबंध लगाया जा चुका है....
Russia Ukraine War : यूक्रेन और रूस के बीच युद्ध (Russia Ukraine Crisis) का आज 9वां दिन है। रूसी सेना की ओर से हर रोज हमलों की गति में तेजी देखने को मिल रही है। हालांकि दोनों जगहों से नुकसान पहुंचने के दावे किये जा रहे हैं। इस बीच यूक्रेन की ओर से आरोप लगाए जा रहे हैं कि रूसी सेना प्रतिबंधित क्लस्टर और वैक्यम बमों (Vacuum Bomb) का इस्तेमाल कर रहा है। खुद यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की (Volodymyr Zelensky) दावा कर रहे हैं कि रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन (Vladimir Putin) इन हथियारों का इस्तेमाल कर युद्ध अपराध कर रहे हैं।
यूक्रेन युद्ध (Ukraine War) में वैक्यूम बम के इस्तेमाल की चर्चा इस समय दुनियाभर में हो रही है। वैक्यूम बम को परमाणु हथियार (Nuclear Weapons) तो नहीं कहा जा सकता है लेकिन इन्हें परमाणु हथियारों से कम भी नहीं कहा जा सकता है। आइए जानते हैं वैक्यूम बम क्या है और यह कैसे काम करते हैं।
वैक्यूम बम अब तक सबसे विकसित शक्तिशाली गैर परमाणु हथियारों में से एक है जिसे थर्मोबैरिक हथियार भी कहा जाता है। इस हथियार पर जिनेवा सम्मेलन के तहत प्रतिबंध लगाया गया है। वैक्यूम बम हाई पावर वाले विस्फोटक हथियार हैं जो वातावरण का इस्तेमाल कर अपनी मारक क्षमता कई गुना बढ़ा देता है। वैक्यूम बम के फटने से आसपास मौजूद लोगों के आंतरिक अंग फंट जाते हैं। इसमें भारी तबाही के साथ शहरों को मलबे में तब्दील करने की क्षमता होती है।
हालांकि अभी तक इस बात की आधिकारिक पुष्टि नही हो पायी है कि रूस यूक्रेन में इन हथियारों का इस्तेमाल कर रहा है या नहीं। लेकिन कुछ दिनों पहले ही टीओएस-1 रॉकेट लॉन्चर को बेलगोरोड के पास यूक्रेन की ओर ले जाते हुए देखा गया था। रूसी भाषा में टीओस का मतलब तेज आग की लपटें फेंकना होता है। टीओएस-1 बुराटिनों एक फ्यूल एयर एक्सप्लोसिव से हमला करने वाला रॉकेट लॉन्चर है। पश्चिमी देश आशंका जता रहे हैं कि रूस अब यूक्रेन पर कब्जा करने के लिए खतरनाक हथियारों की तैनाती कर रहा है। अमेरिका में यूक्रेन के राजदूत ने रूसी सेना पर रातभर कीव मेंम प्रतिबंधत थर्मोबैरिक बम का इस्तेमाल करने का आरोप लगाया है।
इन हथियारों को 1960 के दशक में अमेरिका और सोवियत संघ दोनों ने विकसित किया था। सितंबर 2007 में रूस ने अब तक के सबसे बड़े थर्मोबैरिक हथियार में विस्फोट किया जिससे 39.9 टन के बराबर उर्जा निकली थी। दोनों देशों ने ऐसे बमों के कई वर्जन विकसित किए हैं लेकिन अंतर्राष्ट्रीय प्रतिबंधों के कारण उन्होंने इसे न तो किसी दूसरे देश को बेचा है और न ही सार्वजनिक तौर कहीं इस्तेमाल किया है। अमेरिका के थर्मोबैरिक हथियारों के प्रत्येक यूनिट की कीमत 16 मिलियन डॉलर से अधिक आंकी गई है।
थर्मोबैरिक हथियार पारंपरिक हथियारों की तुलना में ज्यादा शक्तिशाली विस्फोट को अंजाम दे सकते हैं। इसके धमाके की तीव्रता इतनी हो सकती है कि मानव शरीर तुरंत भाप में बदल जाए। आसपास की ऑक्सीजन का इस्तेमाल करने के कारण वैक्यूम बम ज्यादा तबाही मचाता है। ये ङतियार पहले तो हवा में स्प्रे छोड़ते हैं जिनमें धातु, ज्वलनशील धूल या केमिकल ड्रॉप के बहुत बारीक कण होते हैं।