Russia-Ukraine War का भारत पर पहला असर, यूक्रेन में फंसे 20 हजार छात्र, सोई रही मोदी सरकार, जानें क्यों?

Russia-Ukraine War : यूक्रेन का एयरस्पेस बंद होने पर एयर इंडिया की फ्लाइट दिल्ली वापस लौट आई। जबकि हजारों भारतीय छात्र यूक्रेन में फंसे हुए हैं।

Update: 2022-02-24 08:36 GMT

जब रनवे पर क्रैक दिखने के कारण सात घंटे तक उड़ानों को रोककर रखा गया

Russia-Ukraine War : रूस की ओर से यूक्रेन पर हमले का असर भारत पर पहले दिन से दिखने लगा है। यानि यूक्रेन ( Ukraine ) पर रूसी हमले ( Russian Attack ) का डर सच साबित हुआ। इसका पहला असर यह हुआ कि यूक्रेन का एयरस्पेस बंद होने की वजह से एयर इंडिया की फ्लाइट वहां पहुंचने के बदले दिल्ली लौट आई है। इसका सीधा असर यह हुआ कि लगभग 20 हजार भारतीय छात्र ( Indian Student Stranded ) वहां पर फंस गए हैं। अब अहम सवाल यह है कि वहां फंसे हजारों भारतीय छात्रों को सुरक्षित बाहर कैसे निकाला जाए।

दरअसल, यूक्रेन ने कहा है कि उसने अपने पूर्वी क्षेत्रों में रूसी सैन्य अभियानों के बीच अपना हवाई क्षेत्र बंद कर दिया है। हवाई क्षेत्र बंद होने की वजह से करीब 20 हजार भारतीय छात्र ( Indian Student Stranded ) जो अब भी यूक्रेन में फंसे हुए हैं। मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक यूक्रेन में करीब 20 हजार छात्र पढ़ते हैं। इनमें से ज्यादातर मेडिकल की पढ़ाई के लिए वहां गए हैं। अधिकांश छात्रों ने एक साल की पढ़ाई के लिए पहले ही फीस भर दी है। अब परिवार को चिंता है कि तनावपूर्ण स्थिति में कहीं बेटे की पढ़ाई प्रभावित न हो जाए।

अभिभावक छात्रों के स्वदेश लौटने का इंतजार कर रहे हैं। साथ की उनकी सुरक्षा को लेकर भी चिंतित हैं। वहीं रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध शुरू होने से छात्रों के माता-पिता की परेशानियां भी बढ़ गई हैं। छात्रों के अभिभावक उनके स्वदेश लौटने का इंतजार कर रहे हैं।

छात्रों की घर वापसी को सुनिश्चित करने के लिए हाल ही में यूक्रेन में भारतीय दूतावास ने एडवाइजरी जारी की थी। एडवाइजरी के जरिए भारतीय छात्रों और नागरिकों को देश छोड़ने के लिए कहा गया था। एडवाइजरी में छात्रों से अस्थायी रूप से यूक्रेन छोड़ने की सलाह दी गई थी। उनकी सुरक्षा के हित में किसी बात का इंतजार किए बगैर अस्थायी रूप से यूक्रेन छोड़ने की सलाह दी थी। एडवाइजरी में ये भी कहा गया है कि छात्र चार्टर उड़ानों का भी इस्तेमाल कर सकते हैं।

केंद्र ने जयंत की चेतावनी को हल्के में क्यों लिया?

यूपी चुनाव ( UP Election 2022 ) के दूसरे चरण के प्रचार के दौरान आरएलडी प्रमुख जयंत चौधरी ( Jayant Chaudhary ) ने कहा था कि पीएम मोदी को यूपी चुनाव से जयादा यूक्रेन में फंसे हजारों भारतीय छात्रों को वहां से बाहर निकालने की चिंता करनी चाहिए। सिर्फ दो से तीन एअर इंडिया की फ्लाइट से उनकी वतन वापसी संभव नहीं है। छात्रों की वहां से वापसी केंद्र सरकार की सबसे बड़ी प्राथमिकता होनी चाहिए। सरकार को इसके लिए बड़े मिशन चलाने की जरूरत है। लेकिन मोदी सरकार ने इसे गंभीरता से लेने के बजाय हल्के में लिया।

संसद में भी उठा था मुद्दा

शिवसेना ( Shiv Sena ) नेता प्रियंका चतुर्वेदी ने भी इस मुद्दे को राज्यसभा में उठाया था। उन्होंने सरकार से युद्ध छिड़ने का इंतजार किए बगैर फ्लाइट के रेट का मुद्दा भी सरकार के सामने रखा था। उन्होंने कहा था कि यूक्रेन की एजेंसियां छात्रों को वहां से जाने को कहे, उससे पहले हमे उनका रेस्क्यू करना चाहिए। इन छात्रों से ऐसी उम्मीद करना कि वे चार्टर उड़ान के जरिए वापस आ जाएं। ये भारतीय नागरिकों के लिए बड़ी नाइंसाफी है। फ्लाइट्स के दाम आसमान छू रहे हैं।

यूक्रेन में क्यों फंसे भारतीय छात्र?

कुछ दिन पहले ही एअर इंडिया ने ऐलान किया था कि वो यूक्रेन के लिए तीन फ्लाइट का संचालन करेगा। 22, 24 और 26 फरवरी को इन तीन फ्लाइट का संचालन किया जाएगा। कुछ छात्रों को विशेष प्लेन भेजकर वापस लाया थी गया। लेकिन हकीकत यह है कि छात्रों से यूक्रेन से एयरलिफ्ट करने की योजना पर केंद्र सरकार ने वो तेजी नहीं दिखाई जो उसने यमन से भारतीयों को बाहर निकालने में दिखाई थी। कोरोना के दौरान भी केंद्र सरकार एयर मिशन पर जोर दिया था। माना जा रहा है कि मोदी सरकार ( Modi Government ) का पूरा अमला यूपी चुनाव में व्यस्त रहा। भाजपा की चुनावी जीत के चक्कर में यूक्रेन में हजारों छात्र फंस गए हैं।

मुगालते में मोदी सरकार

बता दें कि केंद्र सरकार विशेष एयर मिशन के तहत छात्रों को वहां से बाहर निकालने के बजाय रूस से इस बात की अपील करती रही कि वो युद्ध की शुरुआत न करे। शांति वार्ता के जरिए विवाद का निस्तारण करे। मोदी सरकार ( Modi Government ) इस मुगालते में भी रही कि रूस यूक्रेन पर हमला नहीं करेगा, लेकिन हुआ, इसके उलट और 20 हजार भारतीय छात्र वहां फंस गए।

इस बीच भारत ने रूस और यूक्रेन के बीच तनाव को तत्काल कम करने का आह्वान किया है। आगाह किया कि स्थिति एक बड़े संकट में तब्दील हो सकती है। वहीं संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुतारेस ने रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से यूक्रेन में सेना नहीं भेजने और ''शांति से मसले हल करने'' की अपील की है।