Russia Ukraine War : भारत-रूस के बीच हुआ दुनिया का सबसे सस्ता तेल समझौता, इंडियन ऑयल ने खरीदा 30 लाख बैरल क्रूड ऑयल

Russia Ukraine War : अमेरिका की ओर सख्त पाबंदियों के ऐलान के बावजूद भारत ने रूस के साथ सस्ते दामों पर क्रूड ऑयल खरीदने को लेकर समझौता किया है...

Update: 2022-03-19 08:31 GMT

(भारत-रूस के बीच हुआ दुनिया का सबसे सस्ता तेल समझौता, इंडियन ऑयल ने खरीदा 30 लाख बैरल क्रूड ऑयल)

Russia Ukraine War : रूस की ओर से हमले का ऐलान होने के बाद आज युक्रेन युद्ध का 24वां दिन है। रूसी हमलों को रोकने के लिए अमेरिका समेत पश्चिमी देश पाबंदियों की घोषणा कर चुके हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन (Joe Biden) आगे और सख्त पाबंदियों का ऐलान कर चुके हैं। ऐसे में दुनिया के कई देशों के साथ दिक्कतें बढ़ गई हैं। इस बीच भारत भारत ने रूस से रियायती दर पर कच्चा तेल (Crude Oil) खरीदने के लिए रास्ते खुले रखने की बात कहे जाने पर हो रही आलोचना पर सख्त संदेश दिया है। खबरों के मुताबिक युद्ध के बीच भारत ने रूस के साथ दुनिया का सबसे सस्ता तेल समझौता किया है। इंडियन ऑयल (Indian Oil) ने 30 लाख बैरल क्रूड ऑयल खरीदा है।

बता दें कि भारत अपनी जरूरत का 85 प्रतिशत कच्चा तेल आयात करता है। इसमें से 60 प्रतिशत खाड़ी देशों से लेता है। वहीं कच्चा तेल आयात करने के लिए भारत सऊदी अरब और अमेरिका पर ज्यादा निर्भर है। भारत इसके अलावा इराक, ईरान, ओमान, कुवैत और रूस से भी तेल लेता है और कुछ स्पॉट मार्केट यानी खुले बाजार से भी खरीदता है। 

रूस ने पिछले हफ्ते के अंत में यूक्रेन पर सैन्य कार्रवाई के जवाब में रूसी तेल और गैस के आयात पर अमेरिका द्वारा प्रतिबंध लगाए जाने के बाद भारत और अन्य देशों को सस्ता तेल देने की पेशकश की थी। यूक्रेन संघर्ष के कारण कच्चे तेल की कीमतों में आई तेजी ने भारत की चुनौतियां बढ़ा दी हैं। इससे स्वभाविक रूप से प्रतिस्पर्धा दर पर तेल प्राप्त करने को लेकर दबाव बढ़ा है। 

सरकार से जुड़े सूत्रों की ओर से कहा जा रहा है कि भार के वैध तरीके से उर्जा खरीदने का राजनीतिकरण नहीं किया जाना चाहिए और जो देश तेल के मामले में आत्मनिर्भर हैं या जो स्वयं रूस से तेल आयात करते हैं वे प्रतिबंधात्मक व्यापार की वकालत नहीं कर सकते हैं। 

गौरतलब है कि दुनियाभर में बेचे जाने वाले क्रूड ऑयल का साठ फीसदी उत्पादन ऑयल उत्पादक देशों के संगठन ओपेक से होता है। रूस ओपेक देशों में शामिल नहीं है लेकिन साल 2017 के बाद से यह ओपेक के साथ तेल उत्पादन की सीमा तय करने की दिशा में काम कर रहा है ताकि क्रूड ऑयल के दाम बेतहाशा न बढ़ें। 

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