Russia-Ukraine War : बुजुर्ग के सिर में गोलियां दागने वाले रूसी कमांडर को यूक्रेन ने दी यह सजा

Russia-Ukraine War : आपको बता दें कि शिशिमारिन पर 28 फरवरी को उत्तर पूर्वी यूक्रेन के चुपाखिवा गांव में 62 साल के आॅलेक्जेंडर शेलीपोव की हत्या करने का आरोप था। उसके खिलाफ 13 मई को मुकदमा शुरू किया गया था और पिछले बुधवार को वह इसमें दोषी पाया गया था...

Update: 2022-05-23 13:00 GMT

Russia-Ukraine War : बुजुर्ग के सिर में गोलियां दागने वाले रूसी कमांडर को यूक्रेन ने दी यह सजा

Russia-Ukraine War : रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध (Russia-Ukraine War) के बीच बीच यूक्रेन की ओर से एक बड़ी कार्रवाई की गयी हैं। यूक्रेन की एक अदालत ने सोमवार को एक रूसी सैनिक को निहत्थे यूक्रेनी नागरिक की हत्या (Russia-Ukraine War) के लिए आजीवन कारावास की सजा सुनायी हैं। ये इस तरह की पहली कानूनी कार्रवाई है। ये यूक्रेन में रूस के खिलाफ पहला युद्ध अपराध का मामला था।

सजा सुनाते हुए ​जस्टिस सेरही अगाफोनोव ने कहा कि टैंक कमांडर (Tank Commander) 21 साल के वदिम शिशिमारिन ने एक आॅटोमेटिक हथियार से पीड़ित के सिर (Russia-Ukraine War) पर कई गोलियां दागी थी। ये आपराधिक आदेश उसे उसके एक अधिकारी ने दिया था।

आपको बता दें कि शिशिमारिन पर 28 फरवरी को उत्तर पूर्वी यूक्रेन के चुपाखिवा गांव में 62 साल के आॅलेक्जेंडर शेलीपोव की हत्या (Russia-Ukraine War) करने का आरोप था। उसके खिलाफ 13 मई को मुकदमा शुरू किया गया था और पिछले बुधवार को वह इसमें दोषी पाया गया था।

19 मई को युवा रूसी सैनिक को हत्या के लिए दोषी ठहराए जाने के बाद एक दिन बाद, यूक्रेनी अभियोजन पक्ष ने जस्टिस अगाफोनोव से आजीवन कारावास की सजा देने की अपील की थीं।

अपने मुकदमे के दौरान, शिशिमारिन ने गवाही दी थी कि उसने एक अधिकारी के आदेश पर पीड़ित को मार डाला। उसने जोर देकर कहा था कि वह आदमी यूक्रेनी सेना की दोनों लोकेशन के बारे में बता सकता था।

यूक्रेन ने रूस पर युद्ध के दौरान अलग-अलग मोर्चों पर युद्ध अपराध करने का आरोप लगाया है। हालांकि क्रेमलिन ने बार-बार इसे नकारा है।

रूसी सेना के खिलाफ युद्ध (Russia-Ukraine War) अपराधों के सबसे गंभीर आरोप बुका से हैं। हालांकि, मॉस्को ने अरोपों का खंडन किया है और इसके बजाय कीव पर प्रोपेगेंडा चलाने का आरोप लगाया है। बुचा में कथित युद्ध अपराधों के कारण रूस को संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद की अपनी सदस्यता से भी हाथ धोना पड़ा हैं 

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