अफगानिस्तान : तालिबान के खौफ से काबुल के संगीत स्कूल में खामोशी, भविष्य को लेकर अनिश्चितता
अफगानिस्तान में संगीत बनाना लंबे समय से एक जोखिम भरा प्रयास रहा है। वर्षों से कई संगीतकारों को कथित तौर पर धमकी दी गईं, उनका अपहरण किया गया या उन्हें मार दिया गया है.....
जनज्वार। काबुल में अफगानिस्तान इंस्टीट्यूट ऑफ म्यूजिक (एएनआईएम) के दरवाजे इन दिनों बंद हैं। तालिबान के डर के कारण संगीत विद्यालय के युवा छात्र, शिक्षक घर पर रह रहे हैं। एएनआईएम के संस्थापक व निदेशक सरमस्त के मुताबिक हाल ही में कुछ हथियारबंद लोग स्कूल की संपत्ति में घुसे।
सरमस्त ने बताया कि हथियारबंद लोगों ने स्कूल द्वारा परिवहन के लिए उपयोग की जाने वाली कारों को चुराने की कोशिश की और वाद्ययंत्रों को नष्ट कर दिया। 1990 के दशक में तालिबानी शासन के दौरान संगीत पर सख्त पाबंदी थी। घर पर प्रदर्शन करना या संगीत सुनना भी आपको परेशानी में डाल सकता है। अब एएनआईएम का भविष्य अनिश्चित है। एनपीआर से बातचीत में सरमस्त कहते हैं, "तालिबान द्वारा शहर पर कब्जे के कारण उत्पन्न स्थिति बहुत अप्रत्याशित है। आजकल काबुल में चीजें बहुत तेजी से बदल रही हैं।
सरमस्त लगातार स्कूल के फैकल्टीज के संपर्क में हैं। उन्होंने बताया कि कुछ छात्र अपने वाद्य यंत्र इसलिए घर नहीं ले गए क्योंकि उन्हें लगता है कि अगर तालिबानी घर-घर जाकर तलाशी लेंगे और अगर घर में संगीत के उपकरण मिल जाएंगे, तो इससे उन्हें परेशानी हो सकती है।
विश्व बैंक और नेशनल एसोसिएशन ऑफ म्यूजिक मर्चेंट्स (एनएएमएम) सहित दानदाताओं की मदद से एएनआईएम 2010 में काबुल में खोला गया था। लड़के और लड़कियां एक ही कक्षाओं में संगीत और शिक्षा का अध्ययन करते थे। छात्र अफगानिस्तान और पश्चिमी शास्त्रीय परंपराओं दोनों से वाद्य यंत्र बजाना सीखते थे।
अफगानिस्तान में सांस्कृतिक जीवन और कला को फिर से जिंदा करने के प्रयास में स्कूल को एक बड़ी सफलता की कहानी के रूप में पेश किया जाता था। महिला ज़ोहरा ऑर्केस्ट्रा सहित स्कूल के सभी कलाकारों ने न्यूयॉर्क के कार्नेगी हॉल से लेकर दावोस में वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम तक, दुनियाभर में प्रदर्शन किया है। गरीब समुदायों के इन युवा संगीतकारों ने दर्शकों को अफगानिस्तान का एक वो पक्ष दिखाया है जो अक्सर समाचार से गायब रहता है।
अफगानिस्तान में संगीत बनाना लंबे समय से एक जोखिम भरा काम रहा है। वर्षों से कई संगीतकारों को कथित तौर पर धमकी दी गईं, उनका अपहरण किया गया या उन्हें मार दिया गया है। 2014 में एएनआईएम के एक संगीत कार्यक्रम के दौरान सरमस्त के पीछे बैठे एक आत्मघाती हमलावर में विस्फोट हो गया। इसमें दो लोगों की मौत हो गई और कई अन्य घायल हो गए।
सरमस्त ने कुछ समय के लिए सुनने की क्षमता ही खो दी थी और उनके सिर और शरीर से छर्रे निकालने के लिए एक ऑपरेशन किया गया। संयोग से इस विस्फोट में कोई भी छात्र घायल या मारा नहीं गया था।
वे कहते हैं कि इस विस्फोट के दौरान उन्हें जो आघात मिला, वह शायद जीवन भर उनके साथ रहेगा। तालिबान ने मीडिया के सामने खुद को ऐसे पेश किया है कि वह 1990 के दशक की तुलना में अब कम हिंसक हो गए हैं। समरस्त को इसपर शक है। समरस्त कहते हैं कि आज तालिबान वादा कर रहा है कि वो मानवाधिकारों और विविधता का सम्मान करेंगे, लेकिन सोशल मीडिया पर जिस तरह के वीडियो फुटेज सामने आ रहे हैं वो बहुत उत्साहजनक नहीं हैं।
सरमस्त को स्कूल के छात्रों के भविष्य की चिंता है। उनका कहना है कि इसके 10 स्नातकों (ग्रेजुएट्स) ने अमेरिका में संगीत का अध्ययन करने के लिए छात्रवृत्ति प्राप्त की है, जिसमें पियानो वादक एल्हम फ़ानूस भी शामिल हैं, जिन्होंने न्यूयॉर्क के हंटर कॉलेज में भाग लिया और हाल ही में मैनहट्टन स्कूल ऑफ़ म्यूज़िक से मास्टर डिग्री प्राप्त की है।
फ़ानूस अपनी सफलता का श्रेय भी एएनआईएम को देते हैं। वह कहते हैं एएनआईएम की वजह से ही वह आज यहां हैं। फ़ानूस भी स्कूल से जुड़े लोगों की सुरक्षा के लिए चिंतित हैं और उम्मीद कर रहे हैं कि अफगानी संगीत बनना जारी रहे।
फानूस कहते हैं, "मुझे लगता है कि एक संस्कृति देश को बनाती है और देश को वह ताकत देती है जिसकी उसे जरूरत होती है। संस्कृति देश का प्रतिनिधित्व करती है। बिना सांस्कृतिक गतिविधियों के एक दश पूरी तरह से अधूरा है।"
समरस्त एएनआईएम की प्रगति के रास्ते में तालिबान आड़े न आए इसके लिए दृढ़ संकल्पित हैं। स्कूल ने हाल ही में अधिक कार्यक्रमों और पहनावाओं को समायोजित करने के लिए एक बड़ी इमारत में विस्तार किया था। समरस्त कहते हैं कि संगीत केवल एक प्रकार का मनोरंजन नहीं है। यह केवल एक कला नहीं है। यह अफ़गानों को वर्षों के गृहयुद्ध से ठीक होने में मदद करने के लिए एक बड़ी ताकत है।
सरमस्त ने अफगानिस्तान नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ म्यूजिक को फिर से खोलने की योजना बनाई है, वे कहते हैं, "देश को इसकी जरूरत है।" उन्हें उम्मीद है कि अंतर्राष्ट्रीय समुदाय तालिबान के द्वारा मानवाधिकारों के सम्मान करने के वादों की निगरानी करेगा और यह सुनिश्चित करेगा कि अफगानिस्तान के लोगों के संगीत के अधिकार फिर से खत्म नहीं किए गए हैं।