Sri Lanka Crisis : भाई महिंदा राजपक्षे को प्रधानमंत्री पद से हटाने के लिए सहमत हुए राष्ट्रपति गोटबाया, खत्म हो सकता है प्रदर्शन

Sri Lanka Crisis : श्रीलंका (Sri Lanka) में लंबे समय से चल रहे खराब आर्थिक संकट (Sri Lanka Crisis) के बीच श्रीलंकाई राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे (Gotbaya Rajpaksha) अपने भाई महिंदा राजपक्षे (Mahinda Rajpaksha) को प्रधानमंत्री पद से हटाने के लिए सहमत हो गए हैं...

Update: 2022-04-29 13:03 GMT

Sri Lanka Crisis : भाई महिंदा राजपक्षे को प्रधानमंत्री पद से हटाने के लिए सहमत हुए राष्ट्रपति गोटबाया, खत्म हो सकता है प्रदर्शन

Sri Lanka Crisis : श्रीलंका (Sri Lanka) में लंबे समय से चल रहे खराब आर्थिक संकट (Sri Lanka Crisis) के बीच श्रीलंकाई राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे (Gotbaya Rajpaksha) अपने भाई महिंदा राजपक्षे (Mahinda Rajpaksha) को प्रधानमंत्री पद से हटाने के लिए सहमत हो गए हैं। समाचार एजेंसी एपी ने इसकी जानकारी दी है। श्रीलंका के पूर्व राष्ट्रपति और मौजूदा सांसद मैत्रीपाला सिरीसेना ने राष्ट्रपति के साथ बैठक के बाद कहा कि गोटबाया राजपक्षे इस बात सहमत हुए हैं कि नए प्रधानमंत्री के नाम से एक राष्ट्रीय परिषद नियुक्त की जाएगी और मंत्रिमंडल में सभी राजनीतिक दलों के सांसद शामिल होंगे।

पूर्व राष्ट्रपति के साथ बैठक के बाद गोटबाया ने लिया फैसला

श्रीलंकाई मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार पूर्व राष्ट्रपति और वर्तमान सांसद मैत्रीपाला सिरीसेना ने राष्ट्रपति के साथ बैठक के बबाद कहा कि गोटबाया राजपक्षे इस बात से सहमत हुए हैं कि एक नये प्रधाानमंत्री के नाम से एक राष्ट्रीय परिषद नियुक्त की जाएगी। इस परिषद के जरिए बनाए गए मंत्रिमंडल में सभी राजनीतिक दलों के सांसद शामिल होंगे। सिरीसेना, राजपक्षे से पहले श्रीलंका के राष्ट्रपति थे। वह इस महीने की शुरूआत में करीब 40 अन्य सांसदों के साथ दलबदल करने से पहले सत्तारूढ़ दल के सांसद थे।

दिवालिया होने के कगार पर पहुंच श्रीलंका

बात दें कि आजादी के बाद से सबसे गंभीर आर्थिक संकट से जूझ रहा श्रीलंका दिवालिया होने के कगार पर पहुंच गया है। इस कारण श्रीलंका ने अपने विदेशी ऋण (कर्ज) की अदायगी स्थगित कर दी है। उसे इस साल विदेशी ऋण के रूप में सात अरब डॉलर और 2026 तक 25 अरब डॉलर अदा करना है। उसका विदेशी मुद्रा भंडार घट कर एक अरब डॉलर से भी कम रह गया है। ऐसे में श्रीलंका के पास इस साल भी विदेशी कर्ज चुकाने जितना पैसा नहीं बचा है।

श्रीलंका में मूलभूत सुविधाएं समाप्त

विदेशी मुद्रा की कमी ने आयात को बुरी तरह से प्रभावित किया है, लोगों को खाने-पीने की चीजें, ईंधन, रसोई गैस और दवा के लिए घंटों कतार में इंतजार करना पड़ रहा है। प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे सहित गोटाबाया और उनके परिवार का पिछले 20 वर्षों से श्रीलंका के लगभग हर क्षेत्र में वर्चस्व रहा है। मार्च से सड़कों पर उतर कर प्रदर्शन कर रहे लोगों ने मौजूदा संकट के लिए उन्हें जिम्मेदार ठहराया है।


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