Sri Lanka Crisis : रालीन विक्रमसिंघे निकाल पाएंगे श्रीलंका को संकट से बाहर? छठी बार संभाला प्रधानमंत्री का पद

Sri Lanka Crisis : आजादी के बाद से अपने सबसे बुरे दौर से गुजर रहे श्रीलंका में नेतृत्व परिवर्तन हुआ है, पिछले दिनों महिंद्रा राजपक्षे के पीएम पद से इस्तीफे के बाद उनकी जगह रानिल विक्रमसिंघे ने पीएम पद की शपथ ली है...

Update: 2022-05-13 06:01 GMT

Sri Lanka Crisis : रालीन विक्रमसिंघे निकाल पाएंगे श्रीलंका को संकट से बाहर? छठी बार संभाला प्रधानमंत्री का पद

Sri Lanka Crisis : आजादी के बाद से अपने सबसे बुरे दौर से गुजर रहे श्रीलंका में नेतृत्व परिवर्तन हुआ है। पिछले दिनों महिंदा राजपक्षे के पीएम पद से इस्तीफे के बाद उनकी जगह रानिल विक्रमसिंघे ने पीएम पद की शपथ ली है। रानिल विक्रमसिंघे पर देश को अबतक की सबसे बड़ी आर्थिक मंदी से उबारने की चुनौती होगी। बता दें कि 1993 से पांच बार देश के प्रधानमंत्री रह चुके 73 साल के रानिल विक्रमसिंघे फ्री थिकंर माना जाता है जो पश्चिम समर्थक मुक्त बाजार के समर्थक माने जाते हैं।

कौन है श्रीलंका के नए प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे

पेशे से वकील रहे रानिल विक्रमसिंघे ने 70 के दशक में देश की राजनीति में कदम रखा था। 1977 में वो पहली बार चुनकर सदन आए थे। रानिल विक्रमसिंघे राजनीतिक परिवार से आते हैं। उनके चाचा जूनियस जयवर्धने करीब दस साल तक श्रीलंका के राष्ट्रपति रहे। न्यूज एजेंसी एएफपी के मुताबिक रानिल विक्रमसिंघे ने बतौर पत्रकार अपने करियर की शुरूआत की थी। इसके बाद उन्होंने 1973 में अखबार के अपने पारिवारिक बिजनेस को भी संभाला।

पांच बार रह चुके है श्रीलंका के प्रधानमंत्री

रणसिंघे प्रेमदासा के निधन के बाद रानिल विक्रमसिंघे को पहली बार 1993 में श्रीलंका का प्रधानमंत्री बनाया गया। रणसिंघे प्रेमदासा की बम धमाके में मौत हुई थी जिसे लिट्टे ने अंजाम दिया था। रानिल विक्रमसिंघे का प्रधानमंत्री के रूप में पहला कार्यकाल एक साल से थोड़ा ज्यादा चला। रणसिंघे प्रेमदासा साल 2001 में दोबारा सत्ता में आए और प्रधानमंत्री बने। 

देश को आर्थिक संकट से निकालने के लिए रणसिंघे प्रेमदासा ने जो नीतियां अपनाई उसकी दुनियाभर में प्रशंसा हुई लेकिन राष्ट्रपति से मतभेदों के चलते रणसिंघे प्रेमदासा अपना कार्यकाल फिर पूरा नहीं कर पाए। रणसिंघे प्रेमदासा ने साल 2015 में एक बार फिर प्रधानमंत्री पद की शपथ ली। राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे की चुनावी हार के बाद 2015 में रणसिंघे प्रेमदासा को फिर से प्रधानॉमंत्री के रूप में शपथ दिलाई गई।

रणसिंघे प्रेमदासा की "मिस्टर क्लीन" वाली छवि उस वक्त खराब हुई जब उनकी सरकार पर केंद्रीय बैंक बांड से जुड़े एक अंदरूनी व्यापार घोटाले का आरोप लगा। विक्रमसिंघे पर उनके कार्यकाल के दौरान क्रोनिज्म और पिछले राजपक्षे शासन के सदस्यों पर मुकदमा चलाने में विफल रहने का आरोप लगा, जिसके सदस्यों पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाया गया था।

2018 में तत्कालीन श्रीलंकाई राष्ट्रपति मथिरिपाला सिरिसेना ने विक्रमसिंघे को बर्खास्त कर दिया और उनकी जगह महिंदा राजपक्षे को प्रधानमंत्री नियुक्त किया गया। ऐसा करते ही देश में संवैधानिक संकट में आ गया। बमुश्किल दो महीने बाद, विक्रमसिंघे प्रधान मंत्री के रूप में फिर वापस आए। अपने चार दशकों से अधिक के राजनीतिक जीवन में रणसिंघे प्रेमदासा दो राष्ट्रपति चुनाव हारे।

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