तालिबान ने सरकारी अधिकारियों से की वापस काम पर लौटने की अपील, कहा सरकार में होगी महिलाओं की भूमिका

तालिबान के आधिकारिक प्रवक्ताओं में से एक सुहैल शाहीन ने भी इस आशंका को शांत करने की कोशिश की है कि नए अफगानिस्तान में महिलाओं की स्थिति कम हो जाएगी, उन्होंने कहा, उनके शिक्षा का अधिकार भी सुरक्षित है....

Update: 2021-08-17 14:08 GMT

( तालिबान ने कहा- शरिया कानून के मुताबिक महिलाओं को भी सरकार में भूमिका निभाने की अनुमति दी जाएगी )

जनज्वार। तालिबान ने मंगलवार को सरकारी अधिकारियों के लिए 'सामान्य माफी' की घोषणा की और उनसे काम पर लौटने का आग्रह किया है। तालिबान ने यह फैसला तब लिया है जब एक दिन पहले 16 अगस्त को राजधानी काबुल के अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे पर लोगों की भीड़ इसलिए जमा हो गई थी क्योंकि वो देश छोड़कर भागना चाहते थे। तालिबान ने कहा है कि महिलाओं को भी सरकार में भूमिका निभाने की अनुमति दी जाएगी जो शरिया कानून से मेल खाती है।

रविवार 15 अगस्त को अफगानिस्तान पर कब्जे के बाद तालिबान के सांस्कृतिक आयोग के सदस्य एनामुल्लाह समांगनी ने यह पहली टिप्पणी की है।

समांगनी ने माफी की घोषणा करते हुए कहा, आपको अपने नियमित जीवन को पूरे आत्मविश्वास के साथ फिर से शुरू करना चाहिए। सफेद टोपी वाली ट्रैफिक पुलिस दिन में पहली बार सड़कों पर फिर से दिखाई दी है। कुछ लोगों ने सलाह को दिल पर ले लिया है।

उन्होंने कहा कि महिलाओं को भी शरिया कानून के तहत सरकार में शामिल होने की अनुमति होगी। इस्लामिक अमीरात नहीं चाहता कि महिलाएं पीड़ित हों। उन्हें शरीयत कानून के मुताबिक सरकारी ढांचे में होना चाहिए।

उन्होंने आगे कहा कि सरकार का ढांचा पूरी तरह से स्पष्ट नहीं है, लेकिन अनुभव के आधार पर पूरी तरह से इस्लामी नेतृत्व होना चाहिए और सभी पक्षों को इसमें शामिल होना चाहिए। लोग पहले से ही इस्लामी कानून के बारे में जानते थे, तालिबान ने उनसे इनका पालन करने की अपेक्षा की थी। उन्होंने कहा, हमारे लोग मुसलमान हैं और हम यहां उन्हें इस्लाम के लिए बाध्य करने के लिए नहीं हैं।

तालिबान के आधिकारिक प्रवक्ताओं में से एक सुहैल शाहीन ने भी इस आशंका को शांत करने की कोशिश की है कि नए अफगानिस्तान में महिलाओं की स्थिति कम हो जाएगी। सोमवार की देर रात उन्होंने कहा, उनके (महिलाओं) शिक्षा का अधिकार भी सुरक्षित है।

तालिबान की ओर से कहा जा रहा है कि वह इस्लामिक सिद्धांतों को लेकर शासन चलाएंगे लेकिन इस बात को लेकर वह अभी भी अस्पष्ट हैं कि वे अफगानिस्तान पर कैसे शासन करेंगे।

तालिबान की एक चौकी के सामने अपने कार्यालय जाने की कोशिश कर रहे एक व्यक्ति ने कहा, " तालिबान के कुछ लड़ाके फ्रेंडली रहे हैं और उन्हें कोई परेशानी नहीं हुई। लेकिन कुछ सख्त हैं ... वे आपको धक्का देते हैं और बिना किसी कारण के आप पर चिल्लाते हैं।"

तालिबान के कब्जे के बाद देश छोड़ने की उम्मीद में इससे पहले सोमवार 16 अगस्त को काबुल के अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे पर लोगों की भीड़ जमा हुई और फायरिंग की आवाजों के बाद अफरातफरी मच गई। इस दौरान सात लोगों की मौत हो गई। 

इस बीच अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन और विदेश मंत्री एंटोनी ब्लिंकन ने सुरक्षाबलों को अफगानिस्तान से वापस लेने के फैसले का बचाव किया। बाइडेन ने कहा कि मैंने कई वर्षों से तर्क दिया है कि हमारे मिशन को आतंकवाद का मुकाबला करने पर केंद्रित होना चाहिए, न कि आतंकवाद या राष्ट्र निर्माण पर।

अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा कि अफगानिस्तान के हालात अचानक बदल गए। इसका असर दूसरे देशों पर भी पड़ा है लेकिन आतंकवाद के खिलाफ हमारी लड़ाई जारी रहेगी।

बाइडेन ने कहा कि हमारे सैनिकों ने बहुत त्याग किए हैं। अफगानिस्तान में भरोसे का संकट है। हम कोशिश कर रहे हैं कि अमेरिका का हर नागरिक वहां से सुरक्षित लौटे। लोग हम पर सवाल उठा रहे हैं। उन्हें अफगानिस्तान छोड़कर जाने वाले उनके राष्ट्रपति अशरफ गनी से भी सवाल करने चाहिए। हमारी सेना और जोखिम नहीं उठा सकती थी। उम्मीद है वहां हालात फिर बेहतर होंगे।

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