Tasleema Nasreen : बांग्लादेश में हिंदुओं पर अत्याचार जारी, तसलीमा नसरीन का फूटा गुस्सा

Tasleema Nasreen : बांग्लादेश की जानी मानी लेखिका तसलीमा नसरीन ने हिंदू मंदिरों पर हमले को लेकर अपनी नाराजगी जाहिर की है और वहां के मौजूदा हालात पर कई सवाल भी खड़े किए हैं।

Update: 2021-10-19 13:57 GMT

Tasleema Nasreen : हर वर्ष की तरह इस बार भी बांग्लादेश (Bangladesh) के अल्पसंख्यक समुदाय पर बहुसंख्यक समुदाय (Majority Community) द्वारा बड़े पैमाने पर अत्याचार हो रहा है। इन दिनों समूचा बांग्लादेश नफरत की आग में जल रहा है। सोशल मीडिया पर फैली एक अफवाह ने वहां पर रह रहें अल्पसंख्यक यानी हिंदू, बौद्ध और क्रिश्चियन समुदाय के सैकड़ो लोगों की जान ले ली है। अब वहां रह रहे हिंदू परिवार के लोगों में भय का माहौल बना हुआ है।

दरअसल, बांग्लादेश के कोमिला इलाके में दुर्गा पूजा (Durga Puja) के पंडाल में कुरान की बेअदबी को लेकर उड़ी अफवाह के बाद वहां का सांप्रदायिक माहौल बिगड़ गया। जिसके बाद वहां मौजूद हिंदू (Hindus) , बौद्ध औ क्रिश्चियन यूनिटी काउंसिल के लोगों ने दावा किया कि इस हमले में लगभग 70 लोग घायल हुए हैं और साथ ही कई लोगों की मौत भी हुई है। इसके अलावा पूजा पंडालों, 130 दुकानों, घरों और मंदिरों को भी नुकसान पहुंचाया गया है।

बांग्लादेश में यह कोई नई घटना नहीं है, बल्कि वहां पर अल्पसंख्यक (Minorities) समुदाय पर पिछले कई वर्षों से हमले हो रहे हैं। एक धार्मिक संगठन की रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले नौ साल में हिंदुओं के लगभग 3721 घरों और मंदिरों में तोड़फोड़ व लोगों पर हमला किया गया है। अगर ढ़ाका ट्रिब्यूटन के रिपोर्ट की बात करें पता चलता है कि पिछले पांच साल का वक्त वहां रह रहे हिंदुओं के लिए भयानक रहा है। इस दौरान हिंदुओं के मंदिरों, मूर्तियों और पूजा स्थलों पर 1678 हमलों के मामले सामने आए हैं। आकड़ो से ज्यादा वहां की जमीनी हालात और ज्यादा डराते हैं, क्योकि नागरिक अधिकार समूह के कार्यकर्तोओं का कहना है कि यह आकड़े सही तस्वीरें पेश नही करते हैं, अगर वास्तविक आकड़ो की बात करें तो दंगो से प्रभावित होने वाले मंदिर और व्यक्तियों की संख्या कहीं ज्यादा है। बांग्लादेश में छोटे मामलों को मीडिया कवरेज नही मिलती है और न ही इन मामलों के लिए कोई शिकायत दर्ज की जाती है।

तस्लीमा नसरीन ने जताई चिंता

बांग्लादेश की जानी मानी लेखिका तसलीमा नसरीन (Taslima Nasreen) ने इस मामले में अपनी नाराजगी जाहिर की है और वहां के मौजूदा हालात पर कई सवाल भी खड़े किए हैं। इसके लिए उन्होंने अपनी लोकप्रिय पुस्तक 'लज्जा' की याद दिलाई और आग में लपटे हिंदू गांव की तस्वीर शेयर करते हुए लिखा कि "लज्जा आज भी प्रासंगिक है।" इसके बाद उन्होंने भारतीय उदारवादी व्यक्तित्व वाले नेताओं व सामाजिक कार्यकर्ताओं पर सवाल खड़े करते हुए कहा कि "में समझ नहीं पाती हूं कि अपने देश की अल्पसंख्यक आबादी का समर्थन करने वाले माहान भारतीय मुझसे क्यों नफरत करते हैं जब मैं अपने देश के अल्पसंख्यक आबादी का समर्थन करती हूं"

तसलीमा नसरीन बांग्लादेश के हिंदुओं की मदद के लिए चंदा भी जुटा रही हैं। जिसकी डिटेल उन्होंने ट्विटर पर साझा भी की है। बता दे कि तसलिमा नसरीन बांग्लादेश की लेखिका है और अक्सर इस्लाम की बुराईयों और इस धर्म की खामियों के बारे में बात करती हुई नजर आती रहती हैं।

बांग्लादेश में हिंदूओं पर अत्याचार जारी, तसलीमा नसरीन का फूटा गुस्सा

हर वर्ष की तरह इस बार भी बांग्लादेश के अल्पसंख्यक समुदाय पर बहुसंख्यक समुदाय द्वारा बड़े पैमाने पर अत्याचार हो रहा है। इन दिनों समूचा बांग्लादेश नफरत की आग में जल रहा है। सोशल मीडिया पर फैली एक अफवाह ने वहां पर रह रहें अल्पसंख्यक यानी हिंदू, बौद्ध और क्रिश्चियन समुदाय के सैकड़ो लोगों की जान ले ली है। अब वहां रह रहे हिंदू परिवार के लोगों में भय का माहौल बना हुआ है।

दरअसल, बांग्लादेश के कोमिला इलाके में दुर्गा पूजा के पंडाल में कुरान की बेअदबी को लेकर उड़ी अफवाह के बाद वहां का सांप्रदायिक माहौल बिगड़ गया। जिसके बाद वहां मौजूद हिंदू, बौद्ध औ क्रिश्चियन यूनिटी काउंसिल के लोगों ने दावा किया कि इस हमले में लगभग 70 लोग घायल हुए हैं और साथ ही कई लोगों की मौत भी हुई है। इसके अलावा पूजा पंडालों, 130 दुकानों, घरों और मंदिरों को भी नुकसान पहुंचाया गया है।

बांग्लादेश (Bangladesh) में यह कोई नई घटना नहीं है, बल्कि वहां पर अल्पसंख्यक समुदाय पर पिछले कई वर्षों से हमले हो रहे हैं। एक धार्मिक संगठन की रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले नौ साल में हिंदुओं के लगभग 3721 घरों और मंदिरों में तोड़फोड़ व लोगों पर हमला किया गया है। अगर ढ़ाका ट्रिब्यूटन के रिपोर्ट की बात करें पता चलता है कि पिछले पांच साल का वक्त वहां रह रहे हिंदुओं के लिए भयानक रहा है। इस दौरान हिंदुओं के मंदिरों, मूर्तियों और पूजा स्थलों पर 1678 हमलों के मामले सामने आए हैं। आकड़ो से ज्यादा वहां की जमीनी हालात और ज्यादा डराते हैं, क्योकि नागरिक अधिकार समूह के कार्यकर्तोओं का कहना है कि यह आकड़े सही तस्वीरें पेश नही करते हैं, अगर वास्तविक आकड़ो की बात करें तो दंगो से प्रभावित होने वाले मंदिर और व्यक्तियों की संख्या कहीं ज्यादा है। बांग्लादेश में छोटे मामलों को मीडिया कवरेज नही मिलती है और न ही इन मामलों के लिए कोई शिकायत दर्ज की जाती है।

तस्लीमा नसरीन ने जताई चिंता

बांग्लादेश की जानी मानी लेखिका तसलीमा नसरीन ने इस मामले में अपनी नाराजगी जाहिर की है और वहां के मौजूदा हालात पर कई सवाल भी खड़े किए हैं। इसके लिए उन्होंने अपनी लोकप्रिय पुस्तक 'लज्जा' की याद दिलाई और आग में लपटे हिंदू गांव की तस्वीर शेयर करते हुए लिखा कि "लज्जा आज भी प्रासंगिक है।" इसके बाद उन्होंने भारतीय उदारवादी व्यक्तित्व वाले नेताओं व सामाजिक कार्यकर्ताओं पर सवाल खड़े करते हुए कहा कि "में समझ नहीं पाती हूं कि अपने देश की अल्पसंख्यक आबादी का समर्थन करने वाले माहान भारतीय मुझसे क्यों नफरत करते हैं जब मैं अपने देश के अल्पसंख्यक आबादी का समर्थन करती हूं"

तसलीमा नसरीन बांग्लादेश के हिंदुओं की मदद के लिए चंदा भी जुटा रही हैं। जिसकी डिटेल उन्होंने ट्विटर पर साझा भी की है। बता दे कि तसलिमा नसरीन बांग्लादेश की लेखिका है और अक्सर इस्लाम की बुराईयों और इस धर्म की खामियों के बारे में बात करती हुई नजर आती रहती हैं।

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