नोबेल पुरस्कार 2022 में भी महिलाओं और अश्वेतों की भारी उपेक्षा, अधेड़ उम्र के श्वेत पुरुषों का वर्चस्व जारी
2012 में बीबीसी ने सभी विषयों के नोबल पुरस्कार विजेताओं के विस्तृत आकलन के बाद बताया था कि एक प्रारूपिक नोबेल पुरस्कार विजेता अमेरिका के हार्वर्ड यूनिवर्सिटी का पुरुष छात्र होता है, जिसका रंग श्वेत होता है, जिसकी औसत उम्र 61 वर्ष होती है, विवाहित होता है और बिना चश्मा और दाढ़ी का होता है....
महेंद्र पाण्डेय की टिप्पणी
This year 12 person and 2 organizations got the Nobel Prize. Only 2 women and no non-white were among the winners. नोबेल पुरस्कार 2022 की घोषणाओं का दौर ख़त्म हो चुका है, बस अब 10 दिसम्बर को, जो अल्फ्रेड नोबल का मृत्यु दिवस है, इन्हें विजेताओं को सौंपा जाना शेष है। इस बार के पुरस्कारों में भी नोबेल पुरस्कार की घोषणाओं में वही पिटा-पिटाया रवैया नजर आया, जिसमें अश्वेतों की और यूरोप और अमेरिका से बाहर के विशेषज्ञों की पूरी तरह उपेक्षा की जाती है, विज्ञान के क्षेत्र में महिलाओं को नजरअंदाज किया जाता है।
नोबेल शांति पुरस्कार भी एक ऐसे क्षेत्र के दो संगठनों और व्यक्ति को दिया गया, जहां 235 से भी अधिक दिनों से एक अंतहीन युद्ध चल रहा है – दूसरी तरफ सर पर कफन बांधे चेहरे को हिजाब से ढकने के क़ानून का विरोध करती इरान की महिलाओं, म्यांमार के आन्दोलनकारियों और शिक्षा और अधिकारों के लिए तालिबान की बंदूकों के सामने संघर्ष करती अफ़ग़ानिस्तान की महिलाओं को नकार दिया गया।
इस वर्ष चिकित्सा के क्षेत्र में स्वीडन के आनुवंशिकी विशेषज्ञ 67 वर्षीय स्वान्ते पाबो को विलुप्त हो चुके आदिमानव के डीएनए और अनुवांशिकी कोड की खोज के लिए नोबेल पुरस्कार दिया गया है। रसायन शास्त्र के क्षेत्र में तीन वैज्ञानिकों – अमेरिका की 55 वर्षीया कैरोलिन बेर्तोज्ज़ी, डेनमार्क के 68 वर्षीय मोर्तिन मेल्डाल और अमेरिका के 81 वर्षीय बैरी शर्प्लेस को कोशिकाओं के अन्दर क्लिक टेक्नोलॉजी की खोज के लिए दिया गया है।
इस टेक्नोलॉजी से भविष्य में दवा उद्योग को बहुत लाभ पहुंचेगा, क्योंकि इस टेक्नोलॉजी की मदद से कोशिकाओं के भीतर किसी भी पदार्थ के स्थानान्तरण को सुगम किया जा सकता है। अमेरिका की वैज्ञानिक कैरोलिन बेर्तोज्ज़ी, रसायनशास्त्र के क्षेत्र में नोबेल पुरस्कार प्राप्त करने वाली आठवीं महिला हैं। अमेरिका के कैलिफ़ोर्निया स्थित स्क्रिप्प्स रिसर्च इंस्टिट्यूट के वैज्ञानिक बैरी शर्प्लेस को वर्ष 2001 में भी नोबेल पुरस्कार मिल चुका है – उस समय यह पुरस्कार उन्हें ओक्सीकरण प्रक्रिया के लिए नए उत्प्रेरक की खोज के लिए दिया गया था।
इस वर्ष भौतिक विज्ञान का नोबेल पुरस्कार भी तीन वैज्ञानिकों को क्वांटम भौतिकी में अनुसंधान के लिए दिया गया है। पुरस्कार प्राप्त करने वाले वैज्ञानिक हैं – फ्रांस के 75 वर्षीय अलेन आस्पेक्ट, अमेरिका के 79 वर्षीय जॉन ऍफ़ क्लाउजर और ऑस्ट्रिया के 75 वर्षीय अन्तोन ज़िलिंगेर। इन वैज्ञानिकों के अनुसंधान से क्वांटम कंप्यूटर, क्वांटम नेटवर्क और क्वांटम कम्युनिकेशन में नई क्रांति आ सकती है।
विज्ञान के क्षेत्र में इस वर्ष 7 वैज्ञानिकों को नोबेल पुरस्कार दिए गए, जिसमें महज एक महिला वैज्ञानिक, अमेरिका की 55 वर्षीया कैरोलिन बेर्तोज्ज़ी, हैं जिन्हें रसायन शास्त्र के क्षेत्र में नोबेल पुरस्कार दिया गया है। इन वैज्ञानिकों में कोई भी अश्वेत और अमेरिका और यूरोप से बाहर का वैज्ञानिक नहीं है। विज्ञान के क्षेत्र में नोबेल पुरस्कार प्राप्त करने वाले वैज्ञानिकों की औसत आयु 71 वर्ष है – सबसे कम उम्र रसायन शास्त्र में पुरस्कार प्राप्त करने वाली महिला वैज्ञानिक 55 वर्षीया कैरोलिन बेर्तोज्ज़ी की है, जबकि रसायन शास्त्र में ही सबसे अधिक उम्र के वैज्ञानिक, अमेरिका के 81 वर्षीय बैरी शर्प्लेस, भी हैं।
जाहिर है विज्ञान के क्षेत्र में वैज्ञानिकों को जिस विषय पर अनुसंधान के लिए पुरस्कार दिया जाता है, वह अनुसंधान ये वैज्ञानिक सालों पहले कर चुके होते हैं, इसलिए इन पुरस्कारों के लिए वैज्ञानिकों को धैर्यपूर्वक सालों इंतज़ार करना पड़ता है, और कुछ विषय तो इस अंतराल में अपना महत्त्व भी खो चुके होते हैं। यहाँ यह जानना आवश्यक है कि नोबेल पुरस्कार डायनामाइट के आविष्कारक स्वीडन के अल्फ्रेड नोबेल के वसीयत के आधार पर दिया जाता है और उन्होंने अपनी वसीयत में स्पष्ट तौर पर लिखा था कि पुरस्कार देने के लिए आधार वैज्ञानिकों का केवल पिछले वर्ष का ही अनुसंधान हो, पर वसीयत के इस पहलू की शांति पुरस्कारों को छोड़कर अन्य सभी विषयों में पूरी तरह उपेक्षा की जाती है।
इस वर्ष साहित्य का नोबेल पुरस्कार फ्रांस की 82 वषीय लेखिका एनी एर्नौक्स को देने की घोषणा की गयी है, वे साहित्य का नोबेल पुरस्कार प्राप्त करने वाली फ्रांस की 16वीं लेखक हैं। एनी एर्नौक्स पिछले 50 वर्षों से भी अधिक से से लिख रही हैं, और उनका साहित्य उपन्यास, आत्मकथा, समाज का सामान्य जीवन और व्यक्तिगत जीवन में घटी घटनाओं का मिलाजुला स्वरुप होता है। उनकी पुस्तकों में लैंगिक असमानता, भाषा में असमानता और समाज के विभिन्न वर्गों के बीच आपसी संघर्ष का वर्णन रहता है।
इस वर्ष शांति का नोबेल पुरस्कार बेलारूस के एक मानवाधिकार कार्यकर्ता और रूस के एक और यूक्रेन के एक मानवाधिकार पर कार्य करने वाले गैर-सरकारी संस्थानों को देने की घोषणा की गयी है। बेलारूस में मानवाधिकार हनन के खिलाफ आवाज बुलंद करने वाले और अभी जेल में बंद मानवाधिकार कार्यकर्ता 60 वर्षीय अलेस बिअलिअत्स्कि के साथ ही रूस के प्रतिबंधित मानवाधिकार संगठन, मेमोरियल, और यूक्रेन के संगठन, सेंटर फॉर सिविल लिबर्टीज, को यह पुरस्कार संयुक्त तौर पर दिया गया है।
रूसी संगठन मेमोरियल पुतिन की ज्यादतियों के विरुद्ध पिछले वर्ष प्रतिबंधित होने से पहले तक आवाज उठाता रहा था। उक्रेन के संगठन सेंटर फॉर सिविल लिबर्टीज ने रूस-उक्रेन युद्ध के दौरान रूसी सेनाओं द्वारा किये गए युद्ध अपराधों को उजागर करने में बहुत योगदान दिया है।
अर्थशास्त्र के क्षेत्र में अमेरिका के अर्थशास्त्रियों – 68 वर्षीय बेन एस बर्नानके, 69 वर्षीय डगलस डायमंड और और 67 वर्षीय फिलिप डिबविग को संयुक्त तौर पर पुरस्कार दिया गया है। इन अर्थशास्त्रियों ने बैंक प्रणाली और वित्तीय संकट पर विस्तृत अध्ययन किया है।
अर्थशास्त्र का पुरस्कार अल्फ्रेड नोबल के वसीयत का हिस्सा नहीं है, और इसे नोबल पुरस्कार भी तकनीकी तौर पर नहीं कहा जाता है। यह बैंक ऑफ़ स्वीडन के तरफ से दिया जाने वाला, बैंक ऑफ़ स्वीडन प्राइज इन इकनोमिक साइंस इन मेमोरी ऑफ़ अल्फ्रेड नोबल, पुरस्कार है और यह पहली बार वर्ष 1968 में दिया गया। शेष सभी पुरस्कार – शांति, साहित्य, भौतिकी शास्त्र, रसायन विज्ञान और चिकित्सा – अल्फ्रेड नोबल की मृत्यु के 5 वर्ष बाद, यानि वर्ष 1901 से, लगातार दिए जा रहे हैं। वर्ष 1901 से वर्ष 2022 तक अर्थशास्त्र समेत विभिन्न विषयों में 615 बार पुरस्कार दिए गए हैं।
हाल में ही वर्ष 1901 से 2008 के बीच 773 नोबेल पुरस्कार विजेताओं के विस्तृत विश्लेषण से यह स्पष्ट होता है कि अधिकतर नोबेल पुरस्कार विजेताओं, विशेष तौर पर विज्ञान के क्षेत्र में, एक से अधिक विषयों का अध्ययन किया है और अपने अनुसंधान के विषय भी लगातार बदलते रहे हैं। अधिकतर नोबेल पुरस्कार विजेताओं की संगीत, कला और दूसरी गतिविधियों में गहरी रुचि रही है।
नोबेल पुरस्कार विजेता वैज्ञानिकों की कला और संगीत में प्रशिक्षण लेने की संभावना सामान्य वैज्ञानिकों की तुलना में 9 गुना अधिक रहती है। अर्थशास्त्र के क्षेत्र में लगभग सभी विजेताओं ने अर्थशास्त्र के साथ ही गणित, भौतिक शास्त्र या खगोल विज्ञान का अध्ययन किया है। साहित्य के पुरस्कार विजेताओं में कलाकार होने की संभावना सामान्य लेखकों की तुलना में तीन गुना अधिक होती है, जबकि इनके अभिनेता होने की संभावना 20 गुना अधिक रहती है।
इस वर्ष अर्थशास्त्र समेत सभी विषयों पर कुल 12 व्यक्तियों और दो संस्थानों को नोबेल पुरस्कार देने की घोषणा की गयी है, जिसमें कोई भी अश्वेत नहीं है और महज दो महिलायें ही हैं। सभी विजेता अमेरिका और यूरोपीय देशों के लोगों को ही दिए गए हैं। वैज्ञानिक विषयों पर पुरस्कार विजेताओं की औसत उम्र 71 वर्ष है, जबकि अर्थशास्त्र समेत सभी विषयों के पुरस्कार विजेताओं की औसत उम्र 70 वर्ष से कुछ कम है।
वर्ष 2012 में बीबीसी ने सभी विषयों के नोबल पुरस्कार विजेताओं के विस्तृत आकलन के बाद बताया था कि एक प्रारूपिक नोबेल पुरस्कार विजेता अमेरिका के हार्वर्ड यूनिवर्सिटी का पुरुष छात्र होता है, जिसका रंग श्वेत होता है, जिसकी औसत उम्र 61 वर्ष होती है, विवाहित होता है और बिना चश्मा और दाढ़ी का होता है।
इसके बाद वर्ष 2019 में एक वैज्ञानिक पत्रिका, इनसाइड साइंस ने केवल वैज्ञानिक विषयों पर नोबल विजेताओं वैज्ञानिकों के चेहरों का आकलन कर निष्कर्ष निकाला था कि नोबेल पुरस्कार प्राप्त वैज्ञानिक श्वेत वर्ण के अधेड़ उम्र के और पुरुष होते हैं। जाहिर है, नोबेल पुरस्कारों के घोषणाओं में महिलाओं और अश्वेतों की लगातार उपेक्षा की जाती है।