दो बार महाभियोग का सामना करने वाले पहले शख्स बने ट्रंप, सीनेट में दूसरे ट्रायल को मंजूरी
घण्टों चली बहस के बाद अमेरिकी सीनेट ने ट्रंप के खिलाफ दूसरे महाभियोग ट्रायल को 44 के मुकाबले 56 वोटों से हरी झंडी दे दी, वोट इस सवाल पर हुआ कि क्या सीनेट के पास मुकदमा चलाने के लिए अधिकार है..
जनज्वार। अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के खिलाफ एकबार फिर महाभियोग की प्रक्रिया शुरू हो गई है। घण्टों चली बहस के बाद अमेरिकी सीनेट ने पूर्व राष्ट्रपति ट्रंप के खिलाफ दूसरे महाभियोग ट्रायल को 44 के मुकाबले 56 वोटों से हरी झंडी दे दी। वोट इस सवाल पर हुआ कि क्या सीनेट के पास मुकदमा चलाने के लिए अधिकार है।
बता दें कि अमेरिका के संसद पर हमले की घटना के बाद से ही पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप पर कई तरह के आरोप लगे थे। आरोप है कि उन्होंने बीते 6 जनवरी को अपने समर्थकों को अमेरिकी संसद पर हमला करने के लिए उकसाया था। डेमोक्रेटिक पार्टी के लोगों का आरोप है कि ट्रंप ने भीड़ को उकसाया था।
डेमोक्रेट्स और वहां के कुछ संवैधानिक विशेषज्ञों का कहना है कि जिस राष्ट्रपति का कार्यकाल पूरा हो गया हो और अगर उसने महाभियोग चलाने योग्य अपराध को अंजाम दिया हो तो संविधान में उसे बचाने के लिए अपवाद की व्यवस्था नहीं है।
रिपोर्ट्स के अनुसार रिपब्लिक पार्टी के सांसदों ने तर्क दिया कि यह कार्यवाही संवैधानिक नहीं है क्योंकि ट्रंप अब पद पर नहीं हैं। बता दें कि ट्रंप को कैपिटल हिल पर हिंसा के आरोप में प्रतिनिधि सभा में बीते 13 जनवरी को पहले ही आरोपित किया जा चुका है। अनेरिकी संसद पर हुई घटना में एक पुलिस अधिकारी समेत पांच लोग मारे गए थे।
इसके साथ ही अमेरिका के इतिहास में ट्रंप एकमात्र ऐसे राष्ट्रपति बन गए हैं जिन पर दो बार महाभियोग का मामला चलाया गया है। बताया जाता है कि 6 जनवरी के 13 मिनट की एक वीडियो क्लिप ने इसमें खास भूमिका निभाई।
इस वीडियो क्लिप में ट्रंप चुनाव परिणाम के खिलाफ भीड़ को कैपिटल भवन में धावा बोलने के लिए उकसाते नजर आ रहे हैं। क्लिप में ट्रंप समर्थक शीशे, दरवाजे तोड़ते हुए, पुलिस अधिकारियों पर हमला और एक महिला को गोली मारते हुए देखे जा सकते हैं।
ट्रंप की टीम ने संवैधानिकता के सवाल पर अपनी दलीलें पेश की, जबकि डेमोक्रेट ने वीडियो दिखा कर कहा कि, यह एक अक्षम्य अपराध नहीं है तो क्या है। ट्रंप पद छोड़ने के बाद महाभियोग के आरोपों का सामना करने वाले पहले अमेरिकी राष्ट्रपति हैं और दो बार महाभियोग का सामना करने वाले एकमात्र व्यक्ति हैं।
डोनाल्ड ट्रंप के खिलाफ महाभियोग ट्रायल पर चर्चा के दौरान अमेरिकी सीनेट में बंगाल के 18वीं शताब्दी के ब्रिटिश गवर्नर-जनरल वॉरेन हेस्टिंग्स का भी जिक्र किया आया। अभियोजन पक्ष ने ब्रिटिश हाउस ऑफ कॉमन्स द्वारा उनके खिलाफ महाभियोग का हवाला दिया।
प्रतिनिधि सभा के डेमोक्रेटिक सदस्य जेमी रस्किन, जो मुख्य अभियोजक भी हैं, ने हेस्टिंग्स के खिलाफ महाभियोग ट्रायल की मिसाल पेश की, जो हेस्टिंग्स के गवर्नर-जनरलशिप खत्म होने और इंग्लैंड लौटने के लगभग चार साल बाद की घटना थी। आज से 233 साल पहले इसी महीने उनके खिलाफ महाभियोग शुरू हुआ था।
रस्किन ने कहा कि 1787 में वॉरेन हेस्टिंग्स पर महाभियोग अमेरिकी संविधान के निर्माताओं के लिए एक मॉडल था, जिन्होंने उसी साल इसका मसौदा तैयार किया था।