ट्रम्प के खतरनाक इरादे, बाइडन की जीत के बाद अब तक हार मानने को नहीं तैयार

अब तक अमेरिका में जितने भी राष्ट्रपति रहे उन्होंने इस सत्ता बदलाव की अवधि में कोई भी बड़ा निर्णय नहीं लिया था, पर ट्रम्प तो इस अवधि में अधिकतर जिम्मेदार पदों पर बैठे अपने विरोधियों को बर्खास्त कर समर्थकों को पद बाँट रहे हैं....

Update: 2020-11-12 13:53 GMT

file photo

महेंद्र पाण्डेय का विश्लेषण

जनज्वार। चुनावों के बाद से अमेरिका बदहाल है। डेमोक्रेट जो बाईडेन को राष्ट्रपति चुनाव का विजेता घोषित कर दिया गया है, पर मौजूदा राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प हार मानने को तैयार नहीं हैं। चुनाव के नतीजों के दिन वे गोल्फ खेल रहे थे और वापस आते ही ऐसे ताबड़तोड़ नीतिगत फैसले लेने लगे, जैसा चुनावों के बाद और नए राष्ट्रपति के आगमन के बीच के समय पहले किसी भी राष्ट्रपति ने नहीं किया।

अमेरिका में राष्ट्रपति के चुनाव नवम्बर के महीने में होते हैं और नए राष्ट्रपति का शपथ ग्रहण जनवरी में आयोजित किया जाता है। अब तक अमेरिका में जितने भी राष्ट्रपति रहे उन्होंने इस सत्ता बदलाव की अवधि में कोई भी बड़ा निर्णय नहीं लिया था, पर ट्रम्प तो इस अवधि में अधिकतर जिम्मेदार पदों पर बैठे अपने विरोधियों को बर्खास्त कर समर्थकों को पद बाँट रहे हैं।

हाल में ही ट्रम्प ने रक्षा मंत्री मार्क एस्पर को बर्खास्त कर दिया है, और उनके स्थान पर अपने चहेते क्रिस मिलर को रक्षा मंत्री बना दिया है। मार्क एस्पर अधिकतर समय ट्रम्प का साथ देते थे, पर कुछ मामलों में उन्होंने ट्रम्प के अनुचित और जनता-विरोधी आदेशों की अवहेलना भी की।

जून-जुलाई के महीने में जब अमेरिका के लगभग सभी शहरों में ब्लैक लाइव्स मैटर आंदोलन अपने चरम पर था, तब ट्रम्प ने बार-बार मार्क एस्पर को सेना की मदद से आन्दोलन का दमन करने का आदेश दिया, पर रक्षा मंत्री ने सेना को सडकों पर अपने देश की ही जनता के विरुद्ध उतारने से साफ़ इनकार कर दिया था।

इसके बाद ट्रम्प ने नॅशनल काउंटरटेररिज्म सेंटर को अपने जवानों द्वारा प्रदर्शनों का दमन करने का आदेश दिया था, जिसे उसके तत्कालीन डायरेक्टर क्रिस मिलर ने सहर्ष स्वीकार किया, और अपने बर्बर जवानों को अत्यंत आधुनिक हथियारों के साथ सड़कों पर प्रदर्शनकारियों के विरुद्ध खड़ा कर दिया। अब सरकारों के बदलाव के दौर में ट्रम्प ने मार्क एस्पर को आदेश न मानने की सजा और क्रिस मिलर को पुरस्कार दिया है।

क्रिस मिलर को रक्षा मंत्री बनाने के क्रम में नियम और कानूनों को भी ताक पर रख दिया है। अमेरिका के संविधान के अनुसार रक्षा मंत्री बनाने के लिए आवश्यक है कि उस व्यक्ति को सेना की सक्रिय भूमिका से निवृत्त हुए कम से कम 7 वर्ष अवश्य हो चुके हों, पर क्रिस मिलर को सेना के सक्रिय पद से हटे हुए अभी पूरे 6 वर्ष भी नहीं बीते हैं। नॅशनल काउंटरटेररिज्म सेंटर के जवानों को अमेरिका में सबसे क्रूर, बर्बर और खतरनाक माना जाता है, और जिनका काम उग्रवादियों और अवैध तरीके से रह रहे प्रवासियों के विरुद्ध कार्यवाही करना है।

ट्रम्प इस दौर में पेंटागन में भी बड़ी तब्दीलियाँ कर रहे हैं और एक के बाद एक कर लगभग सभी प्रमुख पदों पर अपने चहेतों को बैठा रहे हैं। पेंटागन के सैन्य योजना प्रमुख जेम्स एंडरसन को हटाकर अपने कट्टर समर्थक अन्थोनी टाटा को उनके पद पर बैठा दिया। अन्थोनी टाटा पहले फॉक्स न्यूज़ में थे और इस्लाम के विरुद्ध और नस्लभेद के समर्थन में जहर उगलने के लिए जाना जाता है। नए रक्षामंत्री के चीफ ऑफ़ स्टाफ का भार रिपब्लिकन और ट्रम्प के प्रबल समर्थक कश पटेल को दिया गया है।

इसके अलावा भी ट्रम्प के निशाने पर रक्षा मंत्रालय और सेना से सम्बंधित अनेक बड़े अधिकारी हैं। ट्रम्प इस समय सीआईए और न्यूक्लीयर सिक्यूरिटी एडमिनिस्ट्रेशन के प्रमुखों को भी हटा कर उन पदों पर अपने पसंद के लोगों को नियुक्त करने की योजना बना रहे हैं।

अधिकतर विशेषज्ञों के अनुसार ट्रम्प अब पूरी तरह एक अराजकता का माहौल तैयार कर रहे हैं,और संभव है कि वे अंत तक अपनी हार स्वीकार ही नहीं करें और अपने पद पर बने रहने के लिए सेना की मदद लें। अब तक सेना के सभी अधिकारी नागरिक मामलों में किसी भी कार्यवाही के लिए मना करते रहे हैं, संभव है अब उनके चहेते अधिकारी यह काम भी कर दें।

अमेरिका के चुनावों में धांधली से सम्बंधित ट्रम्प और अनेक रिपब्लिकन और दक्षिणपंथी सीनेटरों के तीखे और लगातार आरोपों के बाद भी कहीं से भी धांधली की शिकायत नहीं आई। ट्रम्प ने सुप्रीम कोर्ट में इस सम्बन्ध में याचिका दायर करते हुए वोटों की गिनती दुबारा कराने की मांग की थी, पर सुप्रीम कोर्ट ने उसे अस्वीकार कर दिया।

ट्रम्प के चहेते अटार्नी जनरल विलियम बार ने अब सभी फ़ेडरल अटार्नी को पत्र भेजकर धांधली के आरोपों की जांच करने का आदेश दिया है, पर अटार्नी जनरल ने भी कहीं भी धांधली का कोई सबूत नहीं दिया है। अटार्नी जनरल के इस कदम की आलोचना सामान्य जनता तो कर ही रही है, अब तो न्याय विभाग के अधिकारी भी इस कदम की खुलेआम आलोचना कर रहे हैं। विलियम बार के इस आदेश के बाद इलेक्शन क्राइम ब्रांच के मुखिया रिचर्ड पिल्गर ने विरोध करते हुए इस्तीफ़ा दे दिया है।

ट्रम्प और उनके लोगों द्वारा इस तरह के कदम उठाने का अब अमेरिका में व्यापक विरोध किया जा रहा है, पर लोग आने वाले दिनों में संभावित अराजकता के माहौल से चिंतित हैं। ट्रम्प की ऐसी हरकतों से उनके चहेते मीडिया घराने भी अब ट्रम्प की आलोचना करने से नहीं हिचक रहे हैं।

हाल में ही ट्रम्प के कट्टर समर्थक रहे फॉक्स न्यूज़ ने भी ट्रम्प के एक प्रेस कोब्फ्रेंस की लाइव रिकॉर्डिंग बीच में ही रोक दिया और दर्शकों से क्षमा माँगते हुए बताया कि इतने बकवास को वे आगे नहीं दिखा सकते। पर, ट्रम्प, बकवास और अराजकता एक दूसरे के पूरक हैं, और दुनिया सहमी निगाह से अमेरिका में सत्ता के बदलाव का दौर देख रही है। 

Tags:    

Similar News