USCIRF Religious Freedom : बाइडन ने मोदी को दिया झटका, सिद्दीकी कप्पन मामले में घेरते हुए कहा - 'भारत में हिंदू राष्ट्रवाद को दिया जा रहा है बढ़ावा'

USCIRF Religious Freedom Report : हाल ही में USCIRF ने अमेरिका के बाइडन प्रशासन से धार्मिक स्वतंत्रता के दर्जे के संबंध में भारत, चीन, पाकिस्तान, अफ़गानिस्तान और 11 अन्य देशों को खास चिंता वाले देशों की सूची में डालने की सिफारिश की थी।

Update: 2022-05-04 09:00 GMT

USCIRF Religious Freedom Report : अमेरिका ने भारत को सिद्दीकी कप्पन मामले में घेरा, तीसरे साल भी विशेष चिंता वाली सूची में डाला

USCIRF Religious Freedom Report : तीन मई यानि विश्व प्रेस आजादी दिवस पर यूएस कमीशन ऑन इंटरनेशनल रिलिजियस फ़्रीडम (USCIRF) ने अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता ( Religious freedom ) के मामले में भारत ( India ) पर निशाना साधा है। USCIRF ने कहा है कि वो भारत के उन पत्रकारों के साथ खड़ा है जो धार्मिक स्वतंत्रता उत्पीड़न और हिंसा के शिकार हैं।

धार्मिक स्वतंत्रता पर अपनी रिपोर्ट ( Religious Freedom Report ) में अमेरिकी पैनल ने अपने ट्वीट में भारत का खासतौर से जिक्र किया है। पैनल ने कहा कि वो उन पत्रकारों के साथ खड़ा है जिन्हें मुसलमान, ईसाइयों, दलित, सिखों और आदिवासियों के ख़िलाफ हो रही हिंसाओं के बारे में रिपोर्ट करने की वजह से सरकार द्वारा निशाना बनाया जा रहा है और हिरासत में लिया जा रहा है। पैनल ने सिद्दीक़ी कप्पन ( Siddiqui Kappan ) और किशोर राम का नाम लेकर अपनी रिपोर्ट में जिक्र किया है।

प्रेस फ्रीडम के मामले में भारत 8 स्थान फिसला

USCIRF वही आयोग है जिसने कुछ दिन पहले ही अमेरिका ( America ) के बाइडन के प्रशासन से धार्मिक स्वतंत्रता के दर्जे के संबंध में भारत, चीन, पाकिस्तान, अफ़गानिस्तान और 11 अन्य देशों को "खास चिंता वाले देशों" की सूची में डालने की सिफारिश की थी। दरअसल, इस बार प्रेस स्वतंत्रता के सूचकांक में भारत आठ स्थान फिसल कर 150 पर पहुंच गया है।

तीसरे साल भी भारत को विशेष चिंता वाली सूची में डाला

यूएससीआईआरएफ़ ने अपनी वार्षिक रिपोर्ट में विदेश विभाग से लगातार तीसरे साल भारत को विशेष चिंता वाले देशों की अमेरिकी सूची में रखने की सिफ़ारिश की थी। साथ ही जो बाइडन प्रशासन से भारत के खिलाफ जरूरी प्रतिबंधों का आह्वान भी किया था। आयोग ने उन व्यक्तियों और इकाइयों पर भी प्रतिबंध की मांग की थी जो धार्मिक आजादी के गंभीर उल्लंघन में शामिल पाए जाते हैं। ऐसे लोगों की अमेरिका में मौजूद संपत्तियों को जब्त करने के साथ ही देश में इनके प्रवेश पर भी रोक लगाने की भी सिफारिश की थी।

भारत पर लगाया हिंदू राष्ट्रवदी एजेंडा पर जोर देने का आरोप

रिपोर्ट में ये भी कहा गया कि भारत सरकार ने हिंदू राष्ट्रवादी एजेंडा को बढ़ावा देने सहित कई ऐसी नीतियों का प्रचार-प्रसार किया, जिससे मुसलमानों, ईसाइयों, सिखों, दलितों और अन्य धार्मिक अल्पसंख्यकों पर नकारात्मक असर पड़ा। अनलॉफुल एक्टिविटिज़ प्रिवेंशन ऐक्ट के इस्तेमाल का जिक्र करते हुए भारत के कई राज्यों में लाए गए धर्मांतरण विरोधी कानून की भी आलोचना की थी। यूएससीआईआरएफ़ ने भारत पर में लगातार व्यवस्थित तरीक़े से धार्मिक स्वतंत्रता का उल्लंघन किया जा रहा है।

कौन हैं सिद्दीक कप्पन

सिद्दीक़ी कप्पन मुसलमान पत्रकार हैं और उन्हें धार्मिक मुद्दों पर रिपोर्टिंग के लिए जाना जाता है। कप्पन को एक दलित के बलात्कार की रिपोर्टिंग के लिए यूपी के हाथरस जाते समय गिरफ़्तार किया गया था। उन पर मुस्लिमों को भड़काने' के लिए रिपोर्टिंग करने का आरोप है।

इसी तरह फरवरी 2022 में समाज में हाशिए के समुदायों के लिए आवाज़ उठाने वाले एक दलित पत्रकार किशोर राम को एक दलित परिवार के इंटरव्यू के दौरान जाति का मुद्दा उठाने पर गिरफ़्तार किया गया। इस परिवार के सदस्यों की बलात्कार के बाद हत्या की गई थी।

प्रेस फ़्रीडम इंडेक्स में कितना फिसला भारत?

रिपोर्टर्स विदाउड बॉर्डर्स (आरएसएफ़) की ओर से जारी ताजा रिपोर्ट में भारत प्रेस की आजादी के मामले में 142वें पायदान से फिसलकर 150वें स्थान पर पहुंच गया है। नेपाल को छोड़कर भारत के अन्य पड़ोसी देशों की रैंकिंग में भी गिरावट आई है, जिसमें पाकिस्तान 157वें, श्रीलंका 146वें, बांग्लादेश 162वें और म्यांमार 176वें स्थान पर पहुंच गए हैं।

क्या है यूएससीआईरएफ़?

USCIRF Religious Freedom Report : यूएससीआईआरएफ़ एक स्वतंत्र निकाय है, जिसे अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम, 1998 द्वारा विश्व स्तर पर धार्मिक स्वतंत्रता के उल्लंघन की निगरानी करने के लिए बनाया गया है। ये आयोग राष्ट्रपति, विदेश मंत्री और कांग्रेस को नीतिगत सिफारिशें करने के लिए बनाया गया है। ये कोई एनजीओ नहीं बल्कि कांग्रेस द्वारा बनाई गई इकाई है। इसमें राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त 9 अंशकालिक आयुक्त और सदन और सीनेट में दोनों राजनीतिक दलों के नेतृत्व को शामिल किया जाता है।

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