कौन हैं पाक के चीफ जस्टिस Umar Ata Bandiyal, जिन्होंने इमरान खान की मनमर्जी पर लगाई रोक, कायम की मिसाल

पाकिस्तान के चीफ जस्टिस उमर अता बांदियाल ने पाक सेना और पीएम को इस बात का साफ संदेश दिया है कि वो खुद को सुप्रीम बॉस समझने की जुर्रत न करे। संविधान के दायरे में वहां की अदालतें इतना सक्षम है कि वो कानून की रक्षा कर सके।

Update: 2022-04-08 01:52 GMT

इस्लामाबाद। पिछले कुछ दिनों से पाकिस्तान ( Pakistan ) में जारी घोर सियासी संकट को सुप्रीम कोर्ट ( Supreme court ) के चीफ जस्टिस उमर अता बांदियाल (Chief Justice Pakistan Umar Ata Bandiyal ) ने अपने एक फैसले से समाप्त कर दिया। उन्हें पाकिस्तान ( Pakistan ) में लोकतंत्र को मजबूती देकर एक मिसाल कायम करने के लिए याद किया जाएगा। पांच सदस्यीय संवैधानिक बेंच के अध्यक्ष और पाकिस्तान के चीफ जस्टिस उमर अता बांदियाल ( Justice Pakistan Umar Ata Bandiyal ) ने पाक सेना ( Pakistan Army ) और पीएम इमरान खान ( Imran Khan ) को इस बात का साफ संदेश दिया है कि वो खुद को सुप्रीम बॉस समझने की जुर्रत न करे। संविधान के दायरे में वहां की अदालतें इतना सक्षम है कि वो कानून की रक्षा कर सके।

फिलहाल, अपने इस ऐतिहासिक फैसले के बाद से पाकिस्तान के चीफ जस्टिस उमर अता बांदियाल ( Justice Pakistan Umar Ata Bandiyal ) दुनिया भर में सुर्खियों में हैं। चर्चा इस बात की है कि आखिर वो जज कौन है जिसने सेना के एक आदेश पर कदमताल करने वाले वहां हुक्मरानों को लोकतांत्रिक तरीके से चलने का पाठ पढ़ाया है। यही वजह है कि चीफ जस्टिस उमर अता बांदियाल पर इस समय सबकी नजरें हैं। खास बात यह है कि पाकिस्तान के राजनीतिक घटनाक्रम पर उन्होंने स्वतः संज्ञान लिया था। इसके बाद तुरंत जजों की बैंच भी गठित की। बेंच से कहा कि वो इस बात की जांच पड़ताल करे कि इमरान खान सरकार ने कानून और संविधान के मुताबिक सबकुछ किया है या नहीं। उन्होंने अपनी प्रतिक्रिया में साफ संकेत भी दिया कि ये मामला अदालत के दायरे से बाहर नहीं है।

आजाद पाकिस्तान के 75 साल के इतिहास में वहां का लोकतंत्र हमेशा लुंजपुंज ही नजर आया है। सेना की तानाशाही ही वहां पर निर्णायक साबित होेती रही है। अधिकांश समय तक पाकिस्तान में सेना का ही शासन रहा है। पाक सेना की वजह से वहां पर एक भी पीएम ने अभी तक पांच साल का कार्यकाल पूरा नहीं किया। ऐसे में पाकिस्तान सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस का यह ऐतिहासिक और साहसिक फैसला चौंकाने वाला है। साथ ही पाकिस्तान में लोकतंत्र को मजबूती देने वाला है। चीफ जस्टिस के इस फैसले से इमरान खान को तो झटका लगा ही साथ ही सेना के मुंह पर भी लगाम लग गया है। खास बात यह है कि उमर अता ने ये काम पहली बार नहीं बल्कि कई बार कर चुके हैं। उनके इस फैसले से पाकिस्तान में निष्पक्ष न्यायपालिका की नींव मजबूत हुई है। यही वजह है कि चीफ जस्टिस उमर अता बांदियाल  ( Justice Pakistan Umar Ata Bandiyal ) अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सराहना बटोर रहे हैं।

न्यायिक बेंच गठित की और सुना दिया अहम फैसला

उमर अता बांदियाल ( Justice Pakistan Umar Ata Bandiyal ) ने इमरान सरकार द्वारा मनमाने तरीके से संसद भंग करने पर तत्काल स्वत: संज्ञान लिया और रोजाना स्तर पर सुनवाई करते हुए ऐतिहासिक फैसला सुना दिया। अपने फैसले से साफ कर दिया कि इमरान सरकार का फैसला गलीत है। संविधान के प्रावधानों के खिलाफ है।

मजबूत रीढ़ वाले शख्स माने जाते हैं बांदियाल

पाकिसतान में जस्टिस बांदियाल को मजबूत रीढ़ वाला शख्स माना जाता है। यही वजह है कि संसद भंग कर चुनाव कराने के फैसले के बाद वो तुरंत हरकत में आ गए। उनके फैसले ने इमरान खान ( Imran khan ) संकट में डाल दिया। दरअसल, बांदियाल को जो भी लोग जानते हैं, उनका मानना है कि वो रीढ़ वाले सख्त जज हैं। वह कानून और न्यायपालिका के सम्मान और प्रतिष्ठा को सबसे आगे रखते हैं।

जनरल मुशर्रफ को भी सिखा चुके हैं सबक

चीफ जस्टिस उमर अता बांदियाल वो शख्स भी हैं जो 2007 में तब चर्चा में आ गए थे जब जनरल परवेज मुशर्रफ ने पाकिस्तान में तख्ता पलट दिया था। उस समय वो लाहौर हाईकोर्ट में जज थे। उन्होंने सभी जजों से कहा था कि उन्हें नए संविधान के तहत दोबारा शपथ लेनी होगी। तब जस्टिस बांदियाल ऐसे अकेले जज थे जिन्होंने ऐसा करने से मना कर दिया। उनके इस फैसले पर वकीलों का एक बड़ा आंदोलन उनके पक्ष में चला और उन्हें जज के तौर पर मुशर्रफ को बरकरार रखना पड़ा।

पाक के लोग मानते हैं बांदियाल का लोहा

उमर अता बांदियाल ( Justice Pakistan Umar Ata Bandiyal ) की खासियत यह है कि वो जब फैसला करते हैं तो किसी को नहीं बख्शते हैं। वह पूरी सतर्कता और कानून प्रावधानों पर हर मसले को परखते हैं। वह केवल दो महीने पहले ही पाकिस्तान सुप्रीम कोर्ट के के 28वें चीफ जस्टिस बने हैं। जब वो इस पद पर आसीन हुए तो सबसे बड़ा सवाल यही था कि पाकिस्तान सुप्रीम कोर्ट के सामने लंबित पड़े 51000 से ज्यादा केसों का क्या होगा। उन्होंने पहले महीने में ही 1761 मामलों में फैसला सुना दिया। उनके कामकाज के इस शैली से लोगों को भरोसा बंधने लगा कि वो तेजी से काम करने वाले ऐसे चीफ जस्टिस भी हैं। वह पाकिस्तान की न्यायपालिका को मजबूती दे सकते हैं।

बैरिस्टरी वहीं से की जहां से गांधी, नेहरू, पटेल और जिन्ना पढ़े

खास बात यह है कि कानून में उनकी दिलचस्पी बाद में हुई, क्योंकि पहले उन्होंने कोलंबिया यूनिवर्सिटी से इकोनॉमिक्स में बैचलर डिग्री हासिल की थी। फिर वो कानून की पढ़ाई करने कैंब्रिज आ गए। वहां से प्रसिद्ध लिंकन इनन लॉ कालेज से उन्होंने बैरिस्टर एट लॉ पास किया। यह कॉलेज कानून का वही कॉलेज है जहां से महात्मा गांधी, जवाहर लाल नेहरू, सरदार वल्लभभाई पटेल और मोहम्मद अली जिन्ना ने कानून की पढ़ाई की थी।

Pakistan News : 63 वर्षीय उमर अता बांदियाल लंबे समय तक वकालत करने के बाद 2004 में लाहौर हाईकोर्ट में जज नियुक्त हुए। फिर वो वहीं पर चीफ जस्टिस बने। इसके बाद 2014 में वह पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट में पहुंचे। सबसे सीनियर होने के कारण जनवरी 2022 में पाकिस्तान की सर्वोच्च अदालत के चीफ जस्टिस बने। इसके अलावा बांदियाल एक ऐसे परिवार से ताल्लुक रखते हैं जिसमें उनके पिता पहले लाहौर के डिप्टी कमिश्नर रहे और फिर 1993 में कुछ समय के लिए मंत्री भी बने। पिता के सरकारी सेवा में होने के कारण उनकी पढ़ाई कभी एक जगह नहीं हुई। कभी इस्लामाबाद तो कभी लाहौर तो कभी रावलपिंडी में उनकी पढ़ाई होती रही। 

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