विदेश मंत्री एस जयशंकर ने चीन को बताया दुनिया के लिए खतरा, जानें क्यों?
भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने ऑस्ट्रेलियाई विदेश मंत्री मारिस पायने के साथ संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में चीन पर निशाना साधा। जयशंकर ने कहा कि जब कोई बड़ा देश लिखित समझौतों की अवहेलना करता है तो यह पूरे अंतरराष्ट्रीय समुदाय के लिए चिंता का विषय होता है।
नई दिल्ली। ऑस्ट्रेलिया के मेलबर्न में चौथी क्वाड ( QUAD ) विदेश मंत्रियों की बैठक के बाद भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ( External Affairs Minister S Jaishankar ) ने चीन पर हमला बोला है। उन्होंने शनिवार को कहा कि वास्तविक नियंत्रण रेखा ( LAC ) पर मौजूदा स्थिति चीन ( China ) द्वारा सीमा पर सैनिकों को एकत्र न करने के लिखित समझौतों की अवहेलना करने के कारण पैदा हुई है। यह स्थिति खतरनाक है।
इसलिए चीन को बताया चिंता का विषय
एस जयशंकर ( S Jaishankar ) ने ऑस्ट्रेलियाई विदेश मंत्री मारिस पायने के साथ संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में कहा कि जब कोई बड़ा देश लिखित समझौतों की अवहेलना करता है तो यह पूरे अंतरराष्ट्रीय समुदाय के लिए चिंता का विषय होता है। यह बयान भारत और चीन की सेनाओं के बीच पूर्वी लद्दाख सीमा पर गतिरोध को लेकर पूछे गए एक सवाल के जवाब में दिया। यह पूछे जाने पर कि क्या शुक्रवार को यहां 'क्वाड' के विदेश मंत्रियों की बैठक में भारत-चीन सीमा पर गतिरोध के मुद्दे पर चर्चा हुई तो एस जयशंकर ने इसका जवाब हां में दिया। उन्होंने कहा कि हां, हमने ( क्वाड ) भारत-चीन संबंधों पर चर्चा की। यह हमारे पड़ोस में होने वाले घटनाक्रम की जानकारी एक दूसरे को देने के तरीके का एक हिस्सा है। यह एक ऐसा मसला है, जिनमें कई देशों को रुचि है। खासतौर से हिंद-प्रशांत क्षेत्र के देशों को।
आलोचना से क्वाड की विश्वसनीयता नहीं होगी कम
भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने 'क्वाड' ( QUAD ) पर चीन के विरोध को खारिज करते हुए कहा कि चार देशों का यह संगठन "सकारात्मक काम" करेगा तथा हिंद-प्रशांत क्षेत्र में स्थिरता और समृद्धि कायम रखने के प्रति योगदान देगा। 'क्वाड' की आलोचना करने से इसकी विश्वसनीयता कम नहीं होगी। क्वाड के सदस्य देशों के विदेश मंत्रियों- अमेरिका के एंटनी ब्लिंकन, जापान के योशिमासा हयाशी और ऑस्ट्रेलिया की मारिस पायने के साथ शुक्रवार को जयशंकर ने हिंद-प्रशांत क्षेत्र को "दबाव" से मुक्त रखने के लिए सहयोग बढ़ाने की प्रतिबद्धता जताई। हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन के आक्रामक तेवरों पर परोक्ष रूप से संदेश देने के उद्देश्य से "दबाव" शब्द का इस्तेमाल किया गया है।
टकराव के लिए उठाया गया कदम है क्वाड
दूसरी तरफ चीन ( China ) ने एक दिन पहले कहा था कि उसे आगे बढ़ने से रोकने के लिए क्वाड गठबंधन एक ''उपकरण'' की तरह है। यह टकराव को तेज करने के लिए ''जानबूझकर उठाया गया कदम'' है। क्वाड में शामिल देश इसमें सफल नहीं होंगे। क्वाड विदेश मंत्रियों के ऑस्ट्रेलिया के मेलबर्न में वार्ता शुरू करने संबंधी एक सवाल का जवाब देते हुए चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियन ने यहां संवाददाता सम्मेलन में कहा कि चीन का मानना है कि क्वाड तंत्र केवल उसे नियंत्रित करने का एक उपकरण है। यह टकराव को भड़काने और अंतरराष्ट्रीय एकजुटता और सहयोग को कमजोर करने के लिए जानबूझकर उठाया गया कदम है।
ऑस्ट्रेलिया के मेलबर्न में शुक्रवार को चौथी क्वाड विदेश मंत्रियों की बैठक हुई। भारत, जापान और संयुक्त राज्य अमेरिका के साथ चौथी क्वाड विदेश मंत्रियों की बैठक की अध्यक्षता ऑस्ट्रेलिया ने की। इसमें शीर्ष राजनयिक अर्थव्यवस्था, सुरक्षा, कोरोनावायरस महामारी और स्वतंत्र व खुले इंडो-पैसिफिक सहित क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने की मांग कर रहे हैं।
विवाद की वजह चीन का अड़ियल रवैया
बता दें कि जून 2020 में पैंगोंग झील में हिंसक झड़प के बाद भारत और चीन की सेनाओं के बीच पूर्वी लद्दाख सीमा पर गतिरोध पैदा हुआ। उसके बाद दोनों पक्षों ने हजारों सैनिकों को सीमा पर भेजकर अपनी तैनाती धीरे-धीरे बढ़ा ली है। गलवान घाटी में हिंसक झड़प के बाद तनातनी तनाव में बदल गई। दोनों देशों के बीच कई दौर की चर्चा के बाद भी इस समस्या का समाधान अभी तक नहीं निकला है। इसके पीछे मुख्य वजह चीन का अड़ियल और विस्तारवादी रवैया माना जा रहा है।